SHAMA KHAN

Shama Khan is a renowned suspense writer, celebrated for her captivating fictional and non-fictional thrillers. Known for weaving gripping narratives, her stories blend mystery, emotion, and unexpected twists. Among her standout works are Shah Umair Ki Pari, a tale of enigmatic connections, and Lette Hi Neend Aa Gayi, a chilling suspense that keeps readers guessing till the end. Shama’s ability to craft immersive plots has earned her widespread acclaim and a devoted readership.

Lette hi neend aagyi-02

Lette hi neend aagyi-02 सुबह हो चुकी थी मगर ना ही बारिश रुकी ओर ना ही तूफान थमने का नाम लेरहा होता है आज रमीज़ ने अपने कमरे में ही नमाज़ पढ़ा और दुआ करने में लग गया तस्बीह पढ़ते हुए वो जब कमरे से बाहर बरामदे में आया तो वही नक़ाब पोश औरत उसे…

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Lette hi neend aagyi-01

Lette hi neend aagyi-01 तेज़ तूफ़ान में क़ब्रिस्तान में कुदाल लिए क़ब्र खोदता 50 साल का अब्दुल रमीज़ निहायत ही शरीफ ईमानदार और नूरानी सख्सियत का मालिक रहता है ! सादा लिबास सिर पर हर वक़्त टोपी हाथों में तस्बीह बूढ़े लब जो हर वक़्त रब की तस्बीह पढ़ा करते है ! अपने गाँव रहमतगंज के पुराना…

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shah umair ki pari

Shah Umair Ki Pari-02

Shah Umair Ki Pari-02 शहर धनबाद में :- सड़क से ऑटो लेकर परी ऑफिस पहुँचती है ! उसका ऑफिस धनबाद के बहुत ही नामी एरिया बैंक मोड़ में रहता है !ऑफिस पहुँच कर, वो अपने केबिन में चली जाती है ! “आज बॉस से सैलरी के लिए बात करती हूँ कि टाइम पर दे दें…

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shah umair ki pari

Shah Umair Ki Pari-01

Shah Umair Ki Pari-01  शहर धनबाद में :- “परी “अपने नाम की ही तरह खुबसूरत लम्बे बाल,गुलाबी होंठ, भूरी आँखे ,सुडौल सी दिखने वाली। बाइश साल की परी , नादिया हसन खान और हसन खान टैक्सी ड्राइवर की एकलौती बेटी और ज़िन्दगी की उलझनों में उलझी हुए एक आम जिंदगी जीती हुई लड़की ! परी…

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Beti Rahmat Ya Zahmat

BETI-Rahmat ya Zahmat-end

BETI-Rahmat ya Zahmat-end अपने शौहर के इंतज़ार में नींद की आगोश में जा चुकी शबनम की आँख रात के आखिरी हिस्से में खुलती है तो वो देखती है के वो बिस्तर पर अकेली ही है !“कितने बे हिश होगये है नाज़िम , उनको मेरी परवाह ही नहीं इतनी रात होगयी मगर वो कमरे में नहीं…

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Beti Rahmat Ya Zahmat

Beti Rahmat ya Zahmat 01

Beti Rahmat ya Zahmat 01 एक औरत जब वो बेटी होती है, अपने वालदैन के लिए जन्नत के दरवाज़े खोल देती है। जब वो बीवी बनती है, शौहर का आधा दीन मुकम्मल कर देती है। जब वो माँ बनती है, जन्नत उसके क़दमों में होती है। सुभान अल्लाह! ये मर्तबा है एक औरत का दीन-ए-इस्लाम…

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