BETI-Rahmat ya Zahmat-end

अपने शौहर के इंतज़ार में नींद की आगोश में जा चुकी शबनम की आँख रात के आखिरी हिस्से में खुलती है तो वो देखती है के वो बिस्तर पर अकेली ही है !
“कितने बे हिश होगये है नाज़िम , उनको मेरी परवाह ही नहीं इतनी रात होगयी मगर वो कमरे में नहीं आये ,देखती हूँ किधर है वो ?” शबनम खुद में कहती हुई बिस्तर से उठ कर कमरे से बाहर जाती है तो सामने बरामदे में नाज़िम अपने अम्मी के चारपाई के बगल में ही दूसरी चारपाई पर सोया होता है !
“मैं फ़िज़ूल में ही परेशान होती हूँ सफर से थक गये होंगे इसलिए बाहर ही सोगये !”शबनम खुद से कहते हुए वापस कमरे में जाकर सोजती है !
अगले दिन भी शबनम नाज़िम का इंतज़ार करती रहती है , ना ही वो उससे किसी तरह की बात करता है और ना ही वो कमरे में आता है ! इसी तरह तिसरा दिन भी गुजर जाता है ! अब शबनम को अपने शौहर का ये बदला रवैया अंदर ही अंदर चुभने लगता है !
नाज़िम को आये चार दिन हो चुके होते है मगर ना उसने शबनम से कोई बात की होती है ना ही उसके साथ मिया बीवी वाले तालुकात बनाये होते है ! उसकी इस हरकत से शबनम अंदर ही अंदर परेशान हो जाती है ! रात को काम से फारिग होकर शबनम अपने शौहर पास जाकर बैठ जाती है ! नाज़िम उसे नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी माँ और बहनों से बात करने में लगा होता है !
एक एक नाज़िम की बहने सोने के लिए चली जाती है ! शबनम देखती है के नाज़िम चारपायी पर ले रहा सोने के लिये तो वो उसका हाथ पकड़ कर उठाते हुए कहती है ! ” आप को नींद आ रही चलिये कमरे में !”
“देखो शबनम मुझे बहुत जोरों की नींद आ रही मुझे सोना है तुम भी जाओ जाकर सो जाओ !” नाज़िम कहता हुआ खामोश चारपाई लेट जाता है ! मगर शबनम उसे जबरदस्ती उठाती है !
“मेरा बेटा अपाहिज है किया जो तू उसे उठा कर ले जारही ! मेरे बेटे का मन नहीं है तेरी जैसी मोटी भैंस के साथ लेटने का चल छोड़ मेरे बेटे का हाथ और जा यहाँ से !” नाज़िम की माँ शबनम का हाथ अपने बेटे के हाथ से छुड़ाते हुए कहती है !
“अम्मी कैसी बात कर रही आप ? मैं तो शादी से पहले से ही मोटी हूँ और आप सब ने मुझे देख कर ही निकाह तय किया था फिर ऐसी बातें क्यों ?” शबनम रोते हुए कहती है !
“उस वक़्त अन्धी होगयी थी मैं जो मुझे तेरा मोटापा नहीं दिखा , अब मालूम चला के तू मोटी होने के साथ बाँझ भी है तीन महीने रही है तू नाज़िम के साथ बता क्यों नहीं ठहरा तुझे हमल ? ” शबनम की सास गरजते हुए कहती है !
“”अम्मी आप ये कैसी बेतुकी बात कर रही, हमल (pregnancy) का ठहरना ना ठहरना सब अल्लाह की मर्ज़ी है इसमें मेरा किया कसूर है !” शबनम रोते हुए कहती है !
“मैं बेतुकी बात कर रही ? तू है ही बाँझ तुझसे शादी कर के मेरा बेटा फस गया है और कमीनी तू जो ये रो कर सारे मोहल्ले को सुना रही के हम तुझ पर जुल्म कर रहे ,बेटा नाज़िम तू खुद देख ले ये भैंस हमारे इज्जत का जनाज़ा निकाल देगी !” कहते हुए शबनम की सास उसके गालों पर एक के बाद एक कई थप्पड़ रसीद करदेती है !
“अम्मी मुझे मारने या बकने से कोई फायदा नहीं है ! अगर मेरा हमल (pregnancy) नहीं ठहरा तो इसका मतलब ये नहीं के मैं बाँझ हूँ हो सकता है कमी आप के ही बेटे में हो ! वैसे हम साथ रहे ही कितने दिन है सिर्फ तीन महीने ही तो !”शबनम आँसू पोछते हुए कहती है !
“बदजात तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ? मैं ना मर्द हूँ ? अभी तेरी सारी अकड़ निकालता हु !” नाज़िम गुस्से में कहता हुआ शबनम को बालों से पकड़ कर कमरे में लेकर जाता है , बड़ी ही बेरहमी से उसकी पिटाई करदेता है !
उसे अपने बेटे के हाथों पिटता देख शबनम की बहुत ज्यादा खुश हो जाती है और खुश हुए कहती है !
“और लड़ा मुझसे ज़ुबान देख मेरे बेटे ने कैसे खबर ली तेरी !”शबनम की सास होते हुए कहती है !
कुछ दिन अपने घर रुक कर नाज़िम वापस वापस बिहार अपने काम पर वापस चला जाता है ! शबनम सारा सारा दिन ससुराल में काम में लगी रहती है ! धीरे धीरे मायूशी और ना उम्मीदी ने उसके ज़िन्दगी में जगह बना लिया होता है और इसी तरह से वक़्त गुजरता रहता है ! शादी के आठ महीने हो चुके होते है और शबनम इन आठ महीनों में एक या दो बार ही अपने मायके गयी थी सिर्फ कुछ घंटो के लिये !
“अम्मी मुझे अपने मायके जाना है अम्मी अब्बू से और बहनों से मिलने काफी दिन होगये उनकी कोई खबर नहीं मिली ! ” शबनम अपनी सास से कहती है !
“वो कौन सा तेरे बगैर मर रहे ! जो तू हमेशा मायके जाने के लिए बेचैन रहती है !”शबनम की सास से तंज कस्ते हुए कहा !
“अम्मी जाने दे मेरा बहुत मन होरहा आ जाउंगी शाम तक !”शबनम कहती है !
“ठीक है !”शबनम की सास मुख़्तसर सा कहती है !
“शबनम बेटा तू जब से आयी है बिलकुल खामोश खामोश सी है सब ठीक तो है !” शबनम की अम्मी उसके पास बैठते हुए कहती है !
“जी अम्मी सब ठीक है आप परेशान ना हो मैं बहुत खुश हूँ अपने ससुराल में !” शबनम कहती है !
“अल्लाह ” मेरी बच्ची को बस इसी तरह खुश रखे ! बस बेटा मैं तो दुआ करती हूँ के तेरी दोनों बहनो को भी तेरे जैसा ससुराल मिले ! उनके रिश्ते में बहुत दिक्कत आ रही अब बताओ बेटा तू ही बता वो काली है तो इसमें उनकी क्या गलती है ! सभी ये कह कर रिश्ता काट देते है के लड़की काली है ! बच्चियों की उमर भी निकल रही !” शबनम की अम्मी कहते हुए रोने लगती है !
“अम्मी रो ये नहीं अल्लाह मेरी दोनों बहनों की किस्मत मुझसे कई गुना अच्छी लिखेगा ! अच्छा अम्मी मुझे अपना फ़ोन दे नाज़िम से बात करनी है !”शबनम कहती है !
“ये ले फ़ोन , तू जब तक बातें कर तब तक मैं तेरे लिये कुछ खाने का लेकर आती हूँ !” शबनम की अम्मी कहती हुई कमरे से बाहर चली जाती है !
“हेल्लो कौन ?” नाज़िम कॉल उठाते ही कहता है !
“अस्सलाम ओ अलैकुम , कैसे हो आप मैं शबनम !”शबनम कहती है !
“वालेकुम अस्सलाम , मैं ठीक हूँ और ये किसके नंबर से तुम बात कर रही हो ?” नाज़िम पूछता है..!
“जी यह नंबर मेरे मायके का है !” शबनम कहती है !
“अच्छा ठीक है ! फ़िलहाल मैं काम में मसरूफ हूँ बाद में तुमसे बात करता हूँ !” कहते हुए नाज़िम कॉल काट देता है !
“बात तक नहीं की मुझसे ? आखिर क्यों ? मेरी क्या गलती है ! जो मेरे शौहर को मुझसे कोई मतलब ही नहीं सिर्फ अपने घर की नौकरानी बना कर रख दिया है मुझे ! एक तो मेरे घर की गरीबी उसपर से दोनों छोटी बहनों का बोझ अगर मैं भी सब छोड़ कर आगयी तो मेरे अम्मी अब्बू तो मर ही जायेंगे !
या अल्लाह क्या करू मैं ? किस को अपने दिल का हाल बताऊं ? बहुत बेचैन हूँ मैं अंदर से ” शबनम खुद से कहती है !
शबनम और नाज़िम के निकाह को एक साल हो जाते है मगर शबनम के हालातों में कोई तबदीली नहीं आयी होती है !
वो सारा दिन घर के कामकाज में लगी रहती रात को उसकी सास उससे अपनी खिदमत करवाया करती ! शबनम सब्र करती रही के शायद कभी तो उसका नसीब बदलेगा और नाज़िम को उससे मोहब्बत होगी क्यों के जब एक शौहर अपनी बीवी से मोहब्बत करता है तो वो उसकी ज़िन्दगी में आसानिया ला ता है !
“अम्मी मेरी चप्पल टूट गयी है , और पहनने वाले कपड़े भी जगह जगह से फट गये है आप मुझे नयी चप्पल और कुछ जोड़े कपड़े पहनने के दिला दो !” शबनम आँगन में झाड़ू लगाते हुए अपनी सास से कहती है ! जो किसी महारानी की तरह बरामदे में पड़े खटिये पर बैठी पान चबा रही होती है !
“मेरे बेटे के पैसे इतने फालतू नहीं है के तुझपे लुटाऊ ! हु। .. बड़ा आयी नये कपड़े और चप्पल लेगी !”शबनम की सास नाक चढ़ाते हुए कहती है !
“ठीक है मगर अम्मी मुझे कम से कम डॉक्टर से दिखा दे पन्द्रह रोज से मुझे बुखार और बदन दर्द रह रहा !”शबनम उदास होते हुए कहती है !
“ठीक है मगवा देती हूँ वरना सारे काम मेरी बेटियों को करने पड़ेंगे !” शबनम की सास कहती है !
“खुद की बेटी महकती है गुल की मानिंद , बेटे की बीवी कांटो सी चुभन है !” शबनम अपनी सास की तरफ देखते हुए सोचती है !
शबनम दो से तीन रोज तक मेडिकल से लाया हुआ दवा खाती रहती है मगर उसके तबीयत और भी ज्यादा खराब रहने लगती है जांच कराने पर मालूम चलता है के जो दवा उसकी सास ने मेडिकल से मंगवा कर दिया था वो रिएक्शन कर गया था ! साथ में उसे typhoid बुखार भी महीनों से रह रहा है ! शबनम की सास ने पड़ोस की एक औरत के साथ शबनम को हॉस्पिटल में भर्ती करने के लिए भेज देती है !
हॉस्पीटल की बिस्तर पर बदहाल पड़ी शबनम खुद के सोचों में उलझी रहती है ! उसे बार बार ख्याल आता है के आखिर उसकी क्या गलती है जो उसकी ज़िन्दगी ऐसी आज़माइशों से घिरी हुई है ! वो बार बार अल्लाह से और शब्र और अपने शौहर की मोहब्बत मांगती है !
“क्यों महारानी अस्पताल से आते ही फिर से बिस्तर पर आराम कर रही ? इतने दिन अस्पताल में चैन से सोयी फिर भी तेरी नींद पूरी नहीं हुई ? चल उठ और जाकर काम कर !” शबनम की सास कहती है !
“अम्मी मेरी तबीयत बिलकुल बेहतर नहीं है मुझसे काम नहीं होगा !” शबनम लेटे हुए ही कहती है !
“कैसे नहीं करेगी तू घर का काम रुक तुझे अभी बताती हूँ !”शबनम की सास कहते हुए सिधा बावरची खाने में जाती है चूल्हे से जलती हुई लकड़ी नीकल कर शबनम का हाथ जला देती है !
शबनम जलन की शिददत से जोर चींख मारती है और चिढ़ते हुए कहती है !” जो करना कर ले , जब तक मेरी तबीयत सही नहीं होगी मैं काम नहीं करुँगी !”
“बहुत गर्मी चढ़ गयी है तुझे रुक अभी बताती हूँ !” शबनम की सास कहते हुए अपने बेटे को कॉल लगाती है !
“बेटा मेरी तबीयत सही नहीं रह रही और इधर तेरी बीवी कमरे में पड़ी आराम कर रही घर का सारा काम मुझे और तेरी बहनों को करना पड़ रहा है !
“अच्छा अभी बताता हूँ उसे , आप जरा मेरी बात उससे कराना !” नाज़िम कहता है !
“ऐ मोटी ले फ़ोन बात कर नाज़िम से !”शबनम की सास कहती है !
“”आप अपने बेटे से खुद ही बात करे मुझे नहीं करनी बात किसी से भी !” शबनम कहती है !
“सुन रहा है ना तू ये क्या कह रही ?” शबनम की सास गरजते हुए कहती है !
“आप लोग बाहर से खाना मंगा कर खालो मैं कल ही घर आकर इसका बुखार उतारता हूँ !”नाज़िम कहता है !
अगले दिन भी शबनम को तेज बुखार रहता है न उसने कल से कुछ खाया होता है और ना दवा होती है उसके पास वो अपने कमरे में बुखार की सिद्दत से सोयी होती है !
दोपहर करीब 12 बजे नाज़िम घर पहुँचता है ! घर आते ही बरामदे में खटिया पर बैग रख कर वो सिधा अपने कमरे में जाता है और बुखार से तप रही बेचारी शबनम को बालों से पकड़ कर घसीटता हुआ कमरे से बाहर लाता है !
“यह क्या कर रहे है आप ?किस तरह से मुझे घसीट रहे ? मेरी तबीयत बिलकुल भी सही नहीं है और बालों को तो छोड़े मेरे सर में शदीद दर्द है !”शबनम बेचैन होते हुए कहती है !
“अगर तुमने घर का काम नहीं किया और कोई ड्रामा किया तो तुझे आज का आज छोड़ दूंगा !”नाज़िम गुस्से में कहता है ! तो शबनम डर जाती है
वो खुद में सोचती है ! मेरे वाल्दैन की गरीबी है , और अपने दोनों बहनों के रिश्ते भी नहीं होरहे ऐसे में अगर मैं भी जाकर बैठ गयी तो सब कीज़िन्दगी बहुत मुश्किल हो जायेगी !”
तबियत बेहतर ना होने के बावजूद भी शबनम सारा दिन घर का काम करती है ! उसकी सास नन्दे और उसका शौहर बेगैरतों की तरह एक दूसरे के साथ हाँ बोल रहे थे और लज़ीज़ पकवान बनवा कर खा रहे होते है !
अगले दिन बुखार की शिद्दत से सुबह में शबनम की आँख नहीं खुलती है ! तो उसकी सास चूल्हे में पानी गरम करने के लिये पतीले में चढ़ा देती है और जब वो पानी अच्छी तरह से ग्राम होजाता है तो उस ग्राम पानी को लेकर सो रही शबनम क पैरों पर उड़ेल देती है ! पैरों पर गरम पानी गिरते ही शबनम जलन से चीख मारती है !
“उठ जल्दी और नाश्ता बना यहाँ कोई तेरा नौकर है जो रोज रोज तेरे लिए नाश्ता बनाएगा !” शबनम की सास गरजते हुए कहती है !
शबनम लेंगड़ाते हुए कमरे से निकल कर नाज़िम के पास जाती है जो के आराम से खटिया पर लेटा होता है !
“आप मुझे मेरे मायके पहुँचा दे मैं कुछ दिन वही रहूं गी !” शबनम रोते हुए कहती है !
“तू कही नहीं जायेगी, चुप चाप से जाकर काम कर जो भी अम्मी कह रही हैं !” नाज़िम गुस्सा होते हुए कहता है !
“देखिये कल आप की अम्मी ने मेरे हाथ जला दिये थे और आज पैर ! मेरी तबीयत सच में सही नहीं है इसलिए मैं सो रही थी मुझसे काम नहीं होगा , मुझ सच में तेज बुखार है आप चाहे तो छू कर देख ले !” शबनम अपना हाथ बढ़ाते हुए कहती है !
“तेरी इतनी हिम्मत के तू मेरी अम्मी पर इल्जाम लगाये ,काम तो तुझे ही हर हाल में करना पड़ेगा नहीं तो तुझे अभी का अभी जान से मारदुंगा या अभी का अभी तलाक़ देदूंगा !” नाज़िम शबनम का गाला दबाते हुए कहता है !
“”चिल्लाने , मारने , और नफरत करने के अलावा कभी तो मुझे समझने की कोशिश की होती ! आप और आप के घर के लोग सब के सब बे हिस है , इंसानियत है ही नहीं आप में , आप मेरा गला छोड़ दे मुझे तकलीफ हो रही !” शबनम अपना गला छुड़ाते हुए कहती है !
” गला ही नहीं मैं तुझे ही छोड़ देता हूँ। …, मैं तुझे तलाक़ देता हूँ !” नाज़िम गुस्से में चींखता हुआ कहता है !
शबनम अपना सर पकड़ कर वही बैठ कर बे इन्तेहाँ रोने लगती हैं कुछ देर रोने के बाद वो उठ कर वापस अपने कमरें जाती है अपने कपड़े बैग में रख कर घर से बाहर जाने लगती है ! तभी नाज़िम उसे रोकता है और कहता है !
“मैंने कहा ना तुम कही नहीं जाएगी , वापस जाओ कमरे में !”
“मेरा रास्ता छोड़ो मुझे जाने दो !” शबनम कहती है !
तो नाज़िम उसपर थप्पड़ की बौछार करदेता है ! तभी शबनम उसका हाथ पकड़ लेती है और खींच के एक थप्पड़ नाज़िम के गाल पर मारती है और कहती है!
“”अब बस बहुत हुआ अब और नहीं , अब मुझपर तुम्हारा कोई हक़ नहीं रहा !, तुम सब ने मिल के मेरी ज़िन्दगी अज़ाब बना दी थी देखना जिस तरह मैं तुम सब क वजह से अज़ाब का शिकार हुई हु वैसे ही तुम सब की ज़िन्दगी अज़ाब बन जाएगी !” शबनम कहते हुए जाने लगती है !
“अरे जा बड़ी आयी हमारी ज़िन्दगी अज़ाब बनाने वाली ! तुझ से लाख दुगना बेहतर लड़की से अपने बेटे की शादी करुँगी और पोते पोतियों की लाइन लगा दूंगी !” शबनम की सास शबनम को जाता देख कहती है !
“मेरा खुदा इतना बेरहम नहीं हैं के वो मुझपे हुए न इंसाफ़ी का इन्साफ ना करे वो जरूर कुन फ़रमायेगा !” शबनम मुड़ कर कहती है फिर वापस अपने मायके की तरफ चल देती है ! रोने की सिद्दत से उसकी आँखे सूज जाती है !
नाज़िम खड़ा उसे जाते हुए देख रहा होता है !
अपने मायके में रह रही शबनम के तलाक़ की इद्दत पूरी होते ही एक अच्छे घर से रिश्ता आजाता है ! लड़के की पहली बीवी का इंतेक़ाल हो चूका होता है और उसके दो बच्चे ,एक बेटा और बेटी भी होते है ! पहले तो शबनम दूसरी शादी से इंकार करती है , मगर फिर वो अपने घर के हालात देख कर निकाह के लिये हाँ कह देती है !
शबनम का दूसरा शौहर आसिफ बहुत ही नेक और बेहतरीन इंसान होता है ! आसिफ शबनम की ज़िन्दगी में आसानियाँ लाता है वो शबनम से बे इन्तेहाँ मोहब्बत करने लगता है ! आसिफ से मोहब्बत और इज्जत पा कर शबनम को यक़ीन होने लगता है के सभी मर्द एक जैसे नहीं होते !
इसी तरह निकाह को पांच साल गुजर चुके होते है ! आसिफ से शबनम को दो बच्चे रहते है ! शबनम अपने चरों बच्चो को बहुत ही मोहब्बत और सफ़कत के साथ परवरिश करती है ! अल्लाह ने उसकी ज़िन्दगी में आसानियाँ अता कर दी होती है बहुत खुश और पुर सुकून होती है ! उसकी दोनों बहनों का भी निकाह अच्छे घराने में होजाता है !
वही दूसरी तरफ नाज़िम की दूसरी बीवी निहायत बदतमीज़ बद एख़लाक़ होती है ! उसने नाज़िम और उसकी अम्मी की ज़िन्दगी अज़ाब बना कर रख दी होती है !
समाप्त
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शमा खान


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