
Shah Umair Ki Pari-04
Shah Umair Ki Pari-04 शाह उमैर की परी – 4 दूसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला : –कई दिन गुज़र गए है मैंने बाहर का नज़ारा नहीं देखा शहंशा की दी हुई काम ही इतने ज्यादा है के मैं उनके महल से बाहर नहीं निकल पाया ! आज बाहर घूम आता हु थोड़ा ! ” उमैर…