
Hareem-Ek Dastaan 03
हरीम – एक दास्तान 03
ऑफिस पहुंच हरीम अपनी जगह बैठ कंप्यूटर स्टार्ट कर काम शुरू कर देती है! हरीम अपने ही शहर में मौजूद BPO कॉल सेंटर में पिछले तीन सालों से Customer service representative का जॉब कर रही होती है!
“हरीम आज तुम फिर से ऑफिस लेट आई हो.., मैं लास्ट वार्निंग दे रहा हु तुम्हें अगली बार तुम वक्त पर नहीं आई तो तुम्हारी छुट्टी पक्की समझी..??” हरीम का टीम लीडर उससे कहता है..!
“Sir आइंदा से मैं ध्यान रखूंगी..!” कहते हुए हरीम अपना काम शुरू कर देती है..!
ऑफिस टाइम खत्म होने में अभी एक घंटा बाकी रहता है तभी हरीम के मोबाइल पर उसकी अम्मी का कॉल आता है ! ”हाँ अम्मी बोलिए !” हरीम कॉल रिसीव करते हुए कहती है !
“हरीम पांच बज चुके है कहा रह गयी तुम बेटा..? लड़के वाले बस आने ही वाले है !” दूसरी तरफ कॉल पर हरीम की अम्मी कहती है ! “जी बस थोड़ी देर में ऑफिस से निकलती हूँ !” हरीम कहते हुए कॉल कट कर देती है !
“हरीम तुम इतनी उदास क्यों होगई किसका कॉल था..?” हरीम की कलीग और उसकी एक आखिरी बची दोस्त मुस्कान ने पूछा..!
“क्या बताऊं मुस्कान मेरे घर वाले वापस से मुझपर दूसरी शादी का कह रहे, मगर मेरा मन दूसरी शादी करने को नहीं मानता..!” हरीम ने उदास लहजे में कहा..!
“हरीम मेरी मानो तो तुम अपने घर वालों की बात मान लो और शादी कर लो आखिर कब तक अकेले रहोगी एक वक़्त के बाद हमें हमारे हमसफर की जरूरत पड़ती ही है..!” मुस्कान उसे समझाते हुए कहती है..!
“मुस्कान क्या शादी ही एक लड़की के जिंदगी का असल मकसद होता है, हम अकेले क्यों नहीं रह सकते किया दिक्कत है खैर छोड़ो मैं जा रही वरना अम्मी दोबारा कॉल कर के चिल्लाने लगे गी..!” कहते हुए हरीम बोझल कदमों से उठ कर अपने मैनेजर के केबिन में जाती है उसे घर पर कोई इमरजेंसी आ गयी है कह कर जल्दी छुट्टी लेकर घर की तरफ निकल जाती है !
“बेटा आ गयी तुम चलो जल्दी से मुँह हाथ धोकर तैयार हो जाओ लड़के वाले बस आते ही होंगे !” हरीम की अम्मी हरीम को घर में दाखिल होते ही कहती है !
“हाँ जा रही हूँ मगर अम्मी एक बात याद रखना अगर मुझे लड़का पसंद नहीं आया तो मैं साफ़ साफ़ मना करदूंगी !” हरीम कहती हुई अपने कमरे की तरफ जाने लगती है !
“हाँ ठीक है पहले एक दूसरे से मिल तो लो फिर हाँ या ना करना !” अम्मी ने समझते हुए कहा !
“अम्मी वो लोग पहले इसे पसंद कर ले यह दुआ करो खा खा कर मोटी हो गयी है ..! रिश्ते का ना सही कम से कम इसे अपनी सेहत का तो ख्याल रखना चाहिये !” कासिम भाई कहते है..!
उनकी बातें हरीम को बहुत बुरी लगती है मगर वो सामने खड़ी अपनी भाभी को देख सलाम कर खामोश अपने कमरे में जाकर तैयार होने लगती है !
आईने के सामने खड़ी वो अपने रुखसार पर आने वाले आंसुओ को बार बार पोछ रही होती है और सोचती है के क्या हक़ीक़त में यह समाज ऐसा ही है ? जिसमें औरतों को अपने मर्ज़ी से जीने की कोई आज़ादी नही है? क्या तलाक एक गाली है ? जिसके बाद एक औरत को उसके अपने घर में भी इज्जत नही दी जाती, भले ही गलती लड़के की ही हो, हाँ कर दिया था मैंने रिश्ता खतम अपना और अतिफ का आखिर क्यों कोई लड़की अपने और अपने शौहर के रिश्ते को बचाने के लिए दिन रात ज़िल्लत और मार सहती रहे..? वैसे ही जैसे आज तक मेरी भाभी सहती आ रही..! आज भी तो उनके गाल पर मार के निशान दिखा मुझे..! क्या हम लड़कियों की खुद की जिंदगी जिंदगी नही है? और ये लोग क्या बार बार मुझे मोटा कहते रहते है यह जिस्म पहले तो ऐसे मोटा नही था डिप्रेशन के वजह से मेरा जिस्म मोटा होगया अब क्या इसमें भी मेरी गलती है ? हरीम अपने ख्यालों की दुनिया में गुम होती है साहत ही उसके आंखों से आंसुओं जारों कतार बहते रहते है..!
तभी गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ से वो अपने ख्यालों के दुनिया से वापस आती है , हरीम के मकान के सामने एक बड़ी सी कार आकर रूकती है ! हरीम दुपट्टे से अपने आँसु पोछती हुई खिड़की से झाँक कर देखती है तो उसे गाड़ी से उतरते हुए उसकी ही हम उमर एक औरत और दो मर्द दिखते है अभी हरीम उन्हें देख ही रही थी के उसकी अम्मी पीछे से आ जाती है!
“कम्बख्त की मारी खिड़की से क्या झाँक कर देख रही है? किसी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे ? तुझे जल्दी तैयार होने के लिये कहा था मगर तु अभी तक तैयार नही हुई है आखिर मसला क्या है तुम्हारे साथ? ” हरीम् की अम्मी उसपर बातों की बरसात कर देती है ! ” अम्मी मैं तैयार हूँ बस कपड़े बदलने है आप जाओ नीचे मैं थोड़े देर में आती हूँ! ” हरीम उदास लफ़्ज़ों में कहती है!
” ठीक है आजाना वक़्त पर वरना अपने भाई के गुस्से को तो तु जानती ही है उसे एक मिंट नही लगे गा तेरा दिमाग ठिकाने लगाने में इस लिए बेटी अगर वो तुझे पसंद करले तो तु ना मत करना मेरी खातिर ! ” अम्मी कहते हुए चली जाती है !
अम्मी की बातों से हरीम् का दिमाग सुन पड़ जाता है!
” एक माँ को हमदर्द कहा जाता है मगर मेरी अम्मी को क्या होगया है? हर वक़्त मेरे साथ इनका अजीब रवैया रहता है ! ” हरीम उदास मन से खुद से कहती है !
सफेद कुर्ता, सफेद पैंट उसपर नीले रंग का दुपट्टा सर पर ओढ़े हरीम अनम सीढ़ियों से उतरती है, सामने हॉल रूम में बैठी उसकी हम उमर लड़की अपने जगह से उठकर कर हरीम् को सलाम करते हुए उसे बाजू से पकड़ कर लाकर सिधा सोफे पर बैठा देती है ! और पास ही बैठे सख्स से कहती है
“क्यों नफीस कैसी लगी मेरी नयी अम्मी और देखो तो पापा के साथ इनकी जोड़ी कितनी खूबसूरत लग रही है, मुझे तो यह फोटो में ही पसंद आ गयी थी.., क्यों हैं ना क्यूट सी मेरी होने वाली अम्मी… ?”
“हाँ बिल्कुल..! क्यूट और गोलू मोलु सी है मेरी होने वाली सासु माँ मगर रुखसार रिश्ता जोड़ने से पहले इनसे पहले इनकी मर्ज़ी तो जान लो ! ” नफीस नाम के सख्श ने कहा!
” पापा के साथ …?, मेरी होने वाली अम्मी..? ” अचानक से हरीम के दिमाग में सवाल उठता है तो वो अपने बराबर में बैठे सख्स को नजरे उठा कर देखती है!
वो कोई करीब पचास से साठ साला उमर का सख्श होता है जिसके सर और दाढ़ी के बाल की सफ़ेदी उसके उमर की दासतां बयां कर रहे होते है ! वो खामोश बैठा होता है ! हरीम गुस्से भरी नज़र से अपनी अम्मी की ओर देखती है, तो उसकी अम्मी उसे आँखो से खामोश रहने का इशारा करती है! और सामने बैठे औरत से मुस्कुराते हुए कहती है!
” भला इसे क्यों कर इंकार होगा? मेरी बेटी वही करती है जो हम कहते है , बड़ी फरमा बरदार है मेरी बच्ची! ”
” ऑन्टी यह सब तो ठीक है मगर फिर भी इनकी मर्ज़ी होना भी जरूरी है, चाहे शादी पहली हो या दूसरी ,आप लोगों ने इन्हे सब को बता तो दिया है न ? अगर नहीं तो रुख़्शार तुम खुद ही इन्हे सब कुछ बता दो! ” नफीस अपनी बीवी से कहता है!
” हाँ बिल्कुल असल में हरीम आज से दो साल पहले मेरी अम्मी का इंतकाल ला_इलाज मर्ज के वजह से हो चुका है, और एक साल पहले ही मेरी शादी नफीस से हुई है, मेरे चले जाने के बाद से पापा बिल्कुल अकेले हो गये है,और आज कल तो वो काफी बीमार भी पड़ रहे है , हम दोनों ने कई बार पापा से कहा के वो हमारे साथ हमारे घर में रहे मगर वो अपना घर छोड़ कर जाने को तैयार ही नहीं है और फिर घर में कोई है भी नही उनका ख्याल रखने वाला इस लिए मैंने और नफीस ने यह फैसला किया के हम पापा की दूसरी शादी करा देंगे पहले तो पापा बिल्कुल भी राजी नही थे, मगर हमारे समझाने पर मान गये..!
नफीस और आप के भाई कासिम एक ही ऑफिस में काम करते है, नफीस ने आप के भाई से जब मेरे पापा के रिश्ते की बात बतायी तो उन्होंने कहा के वो भी अपनी बहन के लिये रिश्ते की तलाश में है! बस इस तरह बात यहाँ तक आ पहुँची! आई हॉप के आप को इस रिश्ते से कोई ऐतराज नही है? ” रुख़्शार हरीम् को समझाते हुए कहती है!
” अरे रुख़्शार जी आप को इतना डिटेल देने की जरुरत नहीं है , मेरी बहन को हम सब पर पूरा भरोसा है के हम उसके लिये कभी गलत नहीं करेंगे !” कासिम रजिया के साथ टेबल पर नाश्ता लगाते हुए कहता है !
” आप लोग बातें करो मैं कुछ देर में आती हूँ , भाभी क्या आप जरा मेरे साथ मेरे कमरे में चलेंगी ? ” हरीम अचानक से कहते हुए अपने कमरे की तरफ चल देती है !
” हाँ आती हूँ हरीम , आप लोग नाश्ता करे मैं अभी आयी ! ” रजिया कहती है फिर वो टेबल पर नास्ता रख कर हरीम के कमरे की तरफ चल देती है !
कासिम , और हरीम की माँ हरीम की इस हरकत पर काफी नाराज़ होते है मगर वो अपने गुस्से को अपनी झूठी मुस्कराहट में छुपा लेते है !
“भाभी क्या है यह सब ? भैया कैसे मेरा रिश्ता मुझसे उमर में बड़े इंसान से कर सकते है ? आप ने देखा उनकी बेटी मेरे उम्र की है ! ” हरीम रूम में इधर उधर टहलते हुए कहती है !
“अजीब तो मुझे भी लगा था जब तुम्हारे भैया ने मुझे इस रिश्ते के बारे में बताया , मगर तुम अपने भाई और अम्मी को तो जानती हो उन्हें इन सब से कोई मतलब नहीं के लड़का बूढ़ा है या जवान उन्हें तो बस उनकी दौलत नज़र आरही है जिसका कुछ हिस्सा शादी के बाद उन्हें मिल जायेगा ! मुझे माफ़ करदेना हरीम इस मामले में मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती मैं शर्मिंदा हूँ ! ” रजिया भाभी कहती है !
“मेरी माँ और मेरे भाई ने मेरा सौदा कर दिया कुछ रुपयों के लिये !” हरीम रोते हुए अपने बिस्तर पर बैठ जाती है !
” हाँ हमने सौदा किया है तुम्हारा मगर मेरा यक़ीन मानो इस शादी से हम सब का फायदा होगा ,वो लोग बहुत पैसे वाले है हरीम, खैर अभी यह सब बातें छोड़ो और नीचे चलो सभी लोग तुम्हारा इंतज़ार कर रहे है !” कासिम कमरे में आते हुए कहता है !
” मगर भाई…. मेरा दिल नही मानता है इस रिश्ते के लिये! ” हरीम रोते हुए कहती है!
“तो मना लो अपने दिल को और यह रोता हुआ चेहरा सही कर के नीचे आओ, वो लोग रोके की छोटी सी रशम करना चाहते है! ” कासिम कहता हुआ चला जाता है!
इधर रोके की बात सुन कर हरीम पर दुःखों का पहाड़ गिर पड़ता है!
क्रमशः 04
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शमा खान
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