Ishq Ek Bla-01

Ishq Ek Bla-01

“चाचा जल्दी  से मुझे  एक नहाने का साबुन और सर्फ़ की पैकेट देना !” दरमियाना कद , साफ़ रंगत ,सलवार कुरता सरपर अदब से दुपट्टा रखे पैर में पुरानी हवाई चप्पल पहने ज़ारा हफ्ते हुए जनरल स्टोर पहुंचते ही  दुकानदार से कहती है..!

“अरे ज़ारा बेटी आराम से , दे रहा हूँ इतनी जल्दी में क्यों हो..? ” दुकानदार ने ज़ारा को हांफते देख कहा..!

“असल में चाचा घर पर बहुत सा काम पसरा हुआ है जिसे मुझे वक़्त पर मुकम्मल करने है , और भाभी नहाने जा रही थी तभी देखा तो सर्फ़ और  साबुन खत्म होचुके थे तो भाभी ने मुझे लाने भेजा..!” ज़ारा ने अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए कहा..!

 “बस इतनी सी बात थी ,ये लो बेटा ये नहाने का साबुन और सर्फ़ की पैकेट तुम्हारे तिस रूपए होगये..!” दुकानदार ने ज़ारा को सामान थमाते हुए कहा..!

ज़ारा के माँ बाप एक एक कर के कुछ साल पहले ही इंतेक़ाल हो चुके थे ! तब से वो अपने भाई और भाभी के साथ रह रही होती है माँ  बाप के मौत के बाद से उसके जिंदगी से सारे लाड वा प्यार भी मर चुके होते है..,   माँ बाप के मौत के बाद से ही  बेचारी पर जुल्मों सितम का दौर शुरू हो चुका होता है ! कोई भी दिन उसका ऐसा नहीं   गुजरता जिसमे उसकी भाभी के डांट फटकार और मार उसने ना खाया  हो ! 

दुकान में खड़ी जारा अभी अपने दुपट्टे के कोने में बंधे पैसे को दुकानदार को देने के लिये खोल ही रही थी के तभी उसकी नज़र सामने अपने दोस्तों के साथ बैठे ज़ैद पर पड़ती है जो इशारे में उसे सामान के पैसे देने से मना करता है , मगर जारा दुपट्टे से पैसे निकाल कर दुकानदार को देने लगती है के ज़ैद ने सामने से आकर उसका हाथ पैसे देने से रोक लिया और कहा !” तुम रहने दो  मैं पैसे देदूंगा और भी कुछ लेना है तो लेलो , मैं  कब से इशारे में तुम्हे पैसा देने से मना कर रहा था तुम हो के समझ ही नहीं रही..!”

 “जैद मेरा हाथ छोड़ दो सारे लोग हमे ही देख रहे है !” ज़ारा जैद के हाथों को झड़कते हुए कहती है !

“ठीक है , मगर तुम्हारे समान के पैसे मैं दूंगा..!” जैद कहता है..!

“नहीं चाहिए तुम्हारे पैसे..!”कहते हुए जरा दोबारा पैसे दुकानदार की तरफ बढ़ाती है मगर जैद फिर से उसे रोक देता है..! और कहता है..!

“कहा ना , मैं दे दूंगा पैसा तुम सामान लेकर घर जाओ..!”

” ऐ लड़के तुम क्यों देगा ज़ारा बेटी के सामान का पैसा चल जा यहाँ से !” दुकानदार ने गुस्से में कहा..!

“चाचा आप अपना काम से काम रखो और ये बताओ ज़ारा के सामान के कितने पैसे देने है आप को..?” ज़ैद ने अपने पॉकेट से पैसे निकालते हुए कहा..!

“कहा ना चला जा यहाँ से क्यों बेचारी बच्ची के इज्जत का तमाशा बना रहा..!” दुकानदार ने ज़ैद को समझाते हुए कहा..!

“चाचा ये आप वापस रख लो नहीं चाहिए मुझे कोई सामान..!” ज़ारा कहते हुए सामान वापस दुकान पर रख कर रोते हुए अपने घर की तरफ चल देती है ! उसके पीछे मोहल्ले की कुछ छोटी लड़कियाँ भी चल देती है जो वहाँ खड़ी जारा और ज़ैद की खटपट देख सुन रही थी..!

“किया यार जैद क्यों उस बेचारी के पीछे पड़ा है..? कैसे रोते हुए गई है वो, तुझे मालूम है ना उसके घर के हालात फिर भी..!” जैद के दोस्त आदिल ने कहा..!

“मैं जानता हूं उसके घर के हालात मगर भाई मैं उसके पीछे नहीं पड़ा हूं प्यार करता हूं उससे, और वो भी मुझसे प्यार करती है ,उसके आंखों में मैंने खुद के लिए  प्यार देखा है..!” जैद अपने दोस्त आदिल से कहता है..!

“भाई फिर भी उसने अपने मुंह से तो नहीं कहा ना के वो तुझे प्यार करती है..? और क्या जरूरत थी इतना तमाशा बनाने का..!” जैद का दोस्त आदिल नाराज होते हुए बोलता है..!

“ठीक है भाई गलती हो गयी , इस बार जारा से मुलाकात होगी तो माफी मांग लूंगा और तू देखना वो खुद अपने मुंह से इजहार ऐ मोहब्बत करेगी बस एक बार उससे बात करने का मौका मिल जाए…!” जैद मुस्कुराते हुए कहता है..!

जैद एक शरीफ और पढ़े लिखे खानदान का लड़का होता है., सही गलत की उसे काफी समझ होती है मगर इंसान कभी कभी इश्क में नासमझी कर बैठता है ठीक उसी तरह उसने ना चाहते हुए भी गलती करदी थी..!

कुछ महीने पहले ही गांव की एक शादी में दोनों की मुलाकात हुई थी तब से दोनों दिल ही दिल में एक दूसरे को पसंद करने लगते है..! तब से ही दोनों ही एक दूसरे को अक्सर छुप छुप कर देखा करने लगे मगर जारा को कही ना कही अपने भाई और भाभी का डर भी होता है..! 

उधर जारा रोते हुए अपने घर के दहलीज़ तक पहुँचती है तो देखती है उसकी भाभी पहले से ही दरवाज़े पर गुस्से में खड़ी उसका ही इंतज़ार कर रही होती है ! भाभी को देख ज़ारा जल्दी जल्दी दुपट्टे से अपने आँसू पोछने लगती है..!

” ऐ कलमुही तुम रोते हुए क्यों आ रही हो ? और तेरे हाथ खाली क्यों है ? साबुन कहा है ?” ज़ारा की भाभी ने गुस्से में पूछा..!

” जी भाभी वो..,  वो..,  असल में दुकान में साबुन खत्म हो गया था इसलिए खाली हाथ आ गयी !” जारा ने डरते हुए कहा..!

“कमीनी बदजात जब दुकान में साबुन नहीं था तब तू आधे घंटे से दूकान पर किया कर रही थी बता कौन से यार के  साथ अयस्सी कर रही थी, मैं यहाँ साबुन के इंतज़ार में कब से बैठी हूँ , बता  किस यार के पास गयी थी बता ना मुझे..!” ज़ारा की भाभी उसे थप्पड़ पे थप्पड़ मारते हुए कहती है..!

वो बेचारी खामोशी से आँखों में आंसुओं का सैलाब लिए अपनी भाभी की मार खाती रहती है..! उसके पिछे आयी लड़कियाँ दूर खड़ी उसे मार खाता देख अफ़सोस कर रही होती है..!

इसी तरह कुछ दिन गुजर जाते है ज़ारा घर से कही भी बाहर नहीं जाती है , ना ही घर की छत पर जाती है  क्यों के उसे डर रहता है के कही ज़ैद उसे देख कर उससे बातें न करने लगे और उसकी ज़िन्दगी और मुश्किलों में ना पड़ जाये , वो खुद का सारा दिन घर के काम और इबादत में गुजारने लगती है ..!

“ज़ारा आज  खाला के यहाँ चले जाना और उन्हें याद करा देना के मेरे पैसे जल्द लौटा दे मुझे जरुरत है..!” ज़ारा के भाई वसीम ने कहा..!

“जी भैया ठीक है , मैं घर का काम खत्म कर के चली जाऊँगी !” ज़ारा ने झाड़ू लगाते हुए कहा..!

दोपहर तीन बजे के करीब ज़ारा अपने खाला के घर जाने के लिए निकलती है तभी उसे रस्ते में उसी की राह ताकता ज़ैद दिखता है तो वो अपने कदम मजीद तेज़ चलने लगती है..!

“ज़ारा सुनो मुझे तुमसे जरुरी  बात करनी है !” ज़ैद ज़ारा के सामने दौड़ते हुए आकर खड़ा होते हुए कहता है तो वो वही ठिठक कर रुक जाती है..!

“देखो आप  बार बार मुझे परेशान मत किया करो , मैं तुम्हारे सामने हाथ जोड़ती हूं मुझे जाने दो..!” ज़ारा नज़रे झुकाये कहती है !

“जारा मुझे उस दिन की बदतमीजी के लिए माफ करदो मुझे इस तरह से तुम्हे सब के सामने शर्मिंदा नहीं करना चाहिए था, तुम सिर्फ एक बार मुझसे बात कर लो फिर मैं तुम्हे परेशान नहीं करूँगा !” ज़ैद ज़िद्द करते हुए कहता है तो जारा मान जाती है , वो दोनों रस्ते से दूर हट कर  पेड़ की छाव में बातें करने चले जाते है !

गरम हवा के थपेड़े ज़ारा के जुल्फों को उड़ा रहे होते है ,  ये पहली बार था जब उसने जैद को इतने करीब से देखा था..!

ज़ैद के सामने होने की वजह से उसके दिल की धड़कने तेज़ तेज़ धड़क रही होती है !

“तुम्हारे साथ ये कड़ी धुप भी आज सुकून बख्श रही है ,पता है ज़ारा मैं रोज तुम्हारी गली और हर उस जगह के चक्कर लगाया करता था जहाँ से तुम्हें देखने की उम्मीद रहती थी मुझे और कितने दिनों बाद आज तुम मेरे सामने हो , ना जाने कब से मैं इस लम्हे का मुन्तज़िर था के बस एक बार तुमसे बात करू और अपने दिल का हाल बताऊं !” ज़ैद मोहब्बत भरे अंदाज़ से जारा की तरफ देखते हुए  कहता है..!

“आप इस तरह मुझे क्यों देखते हो..? आप की इन नज़रों से मुझे वहसत होती है..!” ज़ारा नजरे झुकाए घबराते हुए कहती है..!

“भला मोहब्बत से किसे वहशत होती है..? , तुम बेकार का घबराती हो..!” ज़ैद ने कहा..!

“मुझे है मोहब्बत से वहसत , और इस बात का यक़ीन भी के जिस दिन भी मेरे घर वालों को ये सब मालूम चला तो वो मुझे या फिर आप को  मार देंगे..!” आँखों में आयी अस्को की धारा को पोछते हुए ज़ारा कहती है !

“पहले ये बताओ तुम मुझसे मोहब्बत करती हो या नहीं ?” ज़ैद ज़ारा की आँखों में आँखे डाले पोछता है..!

“हाँ.., मैं आप से मोहब्बत करती हूँ , इतना के आप अंदाज़ा भी ना लगा सको..!” ज़ारा ने कहा..!

“ज़ारा मैं भी तुमसे बे इन्तेहाँ मोहब्बत करता हूँ , और मैं तुमसे ही निकाह करूँगा.., मैं खुद रिश्ता भेजूंगा तुम्हारे घर !” ज़ैद कहता है..!

“मगर ज़ैद हमारा निकाह कैसे मुमकिन है..? मेरे भैया भाभी नही माने तो..?” ज़ारा ने सवालिया नजरों से पूछा..!

“ज़ारा ये सब तुम मुझपर छोड़ दो मैं सब संभाल लूंगा, मेरी सिर्फ दो साल की पढ़ाई बाकी है उसके बाद जॉब फिर मैं तुमसे निकाह करूँगा और यह मेरा वादा है तुमसे..!” ज़ैद जारा का हाथ थामते हुए कहता..!

“किसी वादे की जरुरत नहीं ज़ैद मुझे तुम पर यक़ीन है.., अब मैं चलती हूँ वरना दिक्कत होजायेगी !” जारा कहते हुए जाने लगती है तो ज़ैद उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहता है..!

“सुनो , रोज ना सही मगर कभी कभी मिलते रहना मैं मिलने की जगह तुम्हें बता दिया करूँगा..!”

“आज तो इतेफाक से मैं तुम्हारे सामने आ गई तो मिल लिया आगे कैसे मिलोगे  बताओगे मुझे..!” जारा ने सवाल किया..!

“हम्म..!  तुम्हारे पड़ोस में है ना कई सारे मासूम बच्चे बस जब भी तुमसे मिलने का मन  होगा उन्हें एक टॉफी देकर तुम तक घबर भेज दूंगा और तुम आजाना मुझसे मिलने..!” जैद सोचते हुए कहता है..!

“अगर ज़िन्दगी रही तो जरूर मिलेंगे !” कहते हुए जारा चली जाती है..!

“तुम बस इसी तरह  से मिलती रहो तो हम जिंदा रहेंगे ..!” जारा को जाते देख जैद खुद से कहता है..!

दोनों एक दूसरे से  इजहार ऐ मोहब्बत के बाद हंसते मुस्कुराते अपने अपने रास्ते को चल देते है…! आज कई साल बाद जारा को दिली खुशी हासिल हुई होती है.! उसके जर्द पड़े चेहरे पर आज चमक दिख रही होती है.., और ये चमक जैद की मुहब्बत की होती है..! जिसने उसके दिल के वीराने में मोहब्बत की शमा रौशन की होती है..!

क्रमशः Ishq Ek Bla-02

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शमा खान…!

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