Ishq Ek Bla-02

“इश्क़” एक बला – 02
जब तक ज़ैद की पढ़ाई चलती रही तब तक वो और जारा दोनों एक दूसरे से हफ्ते,या महीने में कभी कभार छुप छुप कर मिलते रहे..!
वक़्त के साथ साथ ज़ारा और ज़ैद की मोहब्बत परवान चढ़ती रही , मगर ज़ारा की भाभी और भाई के सितम में भी इज़ाफ़ा होता रहा ! शायद ही कोई ऐसा दिन गुज़रा हो जब उसकी भाभी ने घर के काम के वजह से उसे थप्पड़ ना मारा हो या जलील ना किया हो ! इसी तरह उसकी ज़िन्दगी में उसके घर वालों की सितम की धुप और जैद की मोहब्बत की छाव बनी रही..! कही ना कही उसे अपने हालातों पर सब्र करना सिख लिया होता है ! और उसे ये यकीन होता है के आने वाले वक्त में उसके हालात बेहतर होंगे..!
आखिर के दो साल के लम्बे इंतज़ार के बाद ज़ैद की पढ़ाई मुकम्मल हो जाती है ! पढ़ाई पूरी होते ही वो सरकारी नौकरी के लिये तैयारियॉँ करने लग जाता है काफी मेहनत के बाद आखिर के उसकी मेहनत रंग लाती है .., और उसकी सरकारी नौकरी भी हो जाती है..!
ज़ैद शहर जाने से पहले सिर्फ एक बार ज़ारा से मिलना चाह रहा था तो वो ज़ारा के घर के पास जाता है और उसके घर के पास खेल रही एक छोटी बच्ची से कहता है ! ” बेटा ज़ारा आपी से कह देना मुझे उससे कुछ जरुरी बात करनी है तो वो आज तीन बजे वही खेत में मुझे दरख्त के नीचे मिले जहाँ हम मिलते है और हां ये लो तुम्हारा इनाम..!, ठीक है तुम कह दोगी ना ज़ारा से..? “
“ठीक है ज़ैद भैया मैं अभी जाकर ज़ारा आपी को बता देती हूँ..!” छोटी बच्ची जैद से चॉकलेट लेते हुए कहती है..!
“शुक्रिया तुम्हारा , मगर बेटा ध्यान से ज़ारा के घर में इस बारे किसी को पता ना चले वरना दिक्कत हो जाएगी !”ज़ैद बच्ची को समझाते हुए कहता है !
ज़ैद पेड़ के छाव में बैठ कर ज़ारा का इंतज़ार कर रहा होता है !
“अस्सलाम ओ अलैकुम ज़ैद कैसे हो आप आज बहुत दिन बाद मुझे याद किया आप ने ? ” ज़ारा पिछे से आते हुए कहती है !
“वालेकुम अस्सलाम ज़ारा मैं ठीक तुम बताओ कैसी हो आओ पहले मेरे पास आकर बैठो फिर बताता हूँ !” ज़ैद ज़ारा को जवाब देता है ! फिर उसे अपने बराबरा में बैठना का इशारा करता है तो ज़ारा उसके बराबर में आकर बैठ जाती है !
“जारा इतने दिन तुमसे नहीं मिल पाया उसके लिए मुझे माफ करदो असल में मैं तुम्हारी और अपनी जिंदगी बनाने के लिए मेहनत कर रहा था और मेरी मेहनत रंग लाई , मेरी नौकरी पक्की होगयी है और मैं कल शहर भी जा रहा हूं ..!” जैद खुशी और गम दोनों के मिले जुले तासुरात के साथ कहता है..!
“तुम्हारे आंखों में आँसू क्यों जैद..? यह तो खुशी की बात है के तुम्हारी नौकरी हो गईं मगर जैद आप के बिना मैं यहां अकेली हो जाऊंगी, भले ही हम रोज नहीं मिलते मगर छुप छुप कर रोज एक दूसरे को देखने की आदत सी हो गई है..!” जारा कहती है..!
“जारा तुम बिलकुल भी परेशान मत होना.., मैं हर छे महीने में आया करूंगा, बस कुछ दिनों की ही बात है और जब तक नहीं आऊंगा तब तक तुम्हारी पड़ोसन सीमा है वो मेरे दोस्त आदिल की बहन है जो तुम्हारी सहेली भी है उससे मैंने बात कर ली है मैं उसके पाते पर हर 15 दिन में खत लिखा करूंगा जब भी मेरा खत उसे मिलेगा वो तुम्हे दे दिया करेगी .., जारा तुम मेरे खत का जवाब दोगी ना बोलो..!” जैद कहता है..!
“सीमा को मैंने हमारे बारे में नहीं बताया था., कही उसने हमारे बारे में भाभी को बता दिया तो..?” जारा कहती है..!
“तुम बेकार का डर रही हो वो भरोसे मंद लड़की है.., वैसे भी उसका भाई मेरा दोस्त है तो मेरे लिए आसान होगया, मैंने उसे मना लिया है वो नहीं बताएगी तुम्हारी भाभी को.., तब खत का जवाब दोगी ना बोलो..!” जैद फिर कहता है..!
“ठीक है मगर मैं तुम्हारे दो खत का जवाब एक बार में दूंगी यानी महीने में एक बार..!” जारा कहती है..!
“ठीक है.., मंजूर है मुझे मगर..!” जैद कहता है तभी जारा फूट फूट कर रोने लगती है..!
“क्या हुआ जरा तुम इस तरह क्यों रो रही हो..?”जारा को रोते देख जैद कहता है..!
“पता नहीं, तुम्हारे जाने की बात से मुझे अचानक से बहुत डर सा लग रहा है और मेरा मन भी बहुत घबरा रहा ऐसा लग रहा शायद अब हम दोबारा कभी भी नहीं मिल पाएंगे.., जैद हम हमेशा के लिए बिछड़ जायेंगे..!” जारा रोते हुए कहती है..!
“पागल हो गई हो क्या..? यह कैसी बात कह रही हो..,जारा सिवाय मौत के कोई भी हमे एक दूसरे से जुदा नहीं कर सकता..!” जैद जारा के रुखसार को अपने दोनों हाथों में लिए कहता है तो जारा रोती हुई उसे अपने गले से लगा कर खूब रोती है ..!
“जारा मैं तुमसे बे इन्तेहाँ मोहब्बत करता हूं और हमारी मोहब्बत पाक है हम ने कोई गुनाह नहीं किया देखना हमारा रब हमारी मदद जरूर करेगा..,
जारा सुनो ना मैंने इतनी मेहनत कर के इसलिए तो नौकरी हासिल की है ताके तुम्हे उस जहन्नम से निकाल सकूँ.,तुम्हे तुम्हारे भाई और भाभी से बचा सकू..!” जैद जारा को अपने आगोश में लेते हुए कहता है..!
“ठीक है ज़ैद मगर तुम शहर जाकर अपना ख्याल रखोगे अच्छा अब मुझे देर हो रही मैं अब जाती हूँ !” ज़ारा अपने जगह से उठते हुए कहती है !
“ठीक है मैं अपना ख्याल रखूंगा और तुम अपना और हां ज़ारा तुम बहुत एहतियात से रहना जब तक मैं गाँव ना आ जाऊँ !” ज़ैद ज़ारा की पेसानी को चूमते हुए कहता है फिर दोनों अपने अपने मंज़िल की तरफ चल देते है !
दो महीने और 15 दिन बाद..!
“ज़ारा ज़ारा कहाँ है तू आ इधर !”ज़ारा की पड़ोसन सीमा आवाज़ देती है !
“हाँ सीमा अभी आई..!” ज़ारा कहते हुए दौड़ कर सीमा के घर पहुँचती है !
“अरे आराम से .., वैसे बड़ी जल्दी आगयी तुम.., ऐसी भी क्या बेचैनी..!”सीमा ज़ारा को छेड़ते हुए कहती है..!
“जब तुझे किसी से प्यार होगा ना तब तुझे ये बेचैन समझ आयेगी.., चल अब परेशान मत कर दे भी दो खत मुझे वापस घर जाकर बहुत से काम करने है..!”ज़ारा अज़ीज़ी के साथ कहती है..!
“अच्छा बाबा ठीक है यह लो तुम्हारे लव लेटर्स वैसे यह तुम्हारा पाँचवा लेटर है चार के तूने दो बार जवाब दे दिए है इसके कब देगी !” सीमा ज़ारा को खत देते हुए कहती है !
“पहले पढ़ तो लूँ और पंद्रह दिन बाद एक और खत आजाये तब दोनों खत के जवाब इखट्टे भेज दूंगी !” ज़ारा खत खोलते हुए कहती है !
क्रमशः Ishq Ek Bla-03-End
Previous Part: Ishq Ek Bla-01
Follow Me On : facebook
शमा खान
Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02Ishq Ek Bla-02

