Ishq Ek Bla-03-End

“मेरी दिल की सुकून, मेरी जान ज़ारा ,
अस्सलाम ओ अलैकुम
मैं यहां खैरियत से हूँ और उम्मीद करता हूँ के तुम भी खैरियत से होगी ! तुम्हारा खत मुझे वक्त पर मिल गया था ! पढ़ कर काफी ख़ुशी हुई और थोड़ा ताज्जुब भी , तुमने ऐसा क्यों कहा के हमारा “इश्क़” एक बला है जो हमें आफत में डाल देगा , भला जिस इश्क़ से दिल को सुकून मिले वो बला कैसे हो सकता है ! ज़ारा मेरी जान हम दोनों एक दूसरे की उम्मीद है कोई बला नहीं आइंदा से कोई भी ऐसी बात मत करना जिससे हमारी उम्मीद कमज़ोर पड़े समझी पगली !
ज़ारा यहाँ शहर में ज़िन्दगी रफ़्तार से गुजर रही वक़्त का पता ही नहीं चलता के कब सुबह होती है और कब रात !
दो महीने गुजर चुके है अब बस चार महीने और फिर हमारी मुलाक़ात तय है और इस बार मैं तुम्हारे पसंदीदा गुलाब जरूर लेकर आऊंगा बहुत दिल करता है के तुम्हे गुलाब के फूल देकर अपनी मोहब्बत का इज़हार फिर से करू बार बार करू !
अच्छा सुनो नाराज़ मत होना मैंने खत के साथ कुछ पैसे भेजे है अपनी जरुरत के सामान लेलेना और हाँ मुस्कुराते रहना क्यों के तुम्हारी मुस्कराहट मेरी ज़न्दगी है !
तुम्हारा ज़ैद !
“वालेकुम अस्सलाम ज़ैद मेरा रब तुम्हे सलामत रखे !” ज़ारा ज़ैद सलाम का जवाब देती है
फिर मुस्कुराते हुए खत बंद कर देती है ! ज़ैद के भेजे हुए पैसे को सीमा को देते हुए कहती है ! ” सीमा यह पैसे और ज़ैद के भेजे हुए खत तुम संभाल कर रख दोगी जब मुझे जरूरत होगी तब तुमसे ले लूंगी..?
” हाँ क्यों नहीं ज़ारा मैं रख देतीं हूँ , वैसे ज़ारा मानना पड़ेगा तू बड़ी किस्मत वाली है जो तुझे ज़ैद जैसा प्यार करने वाला लड़का मिला है कितनी क़दर करते है वो तेरी और कितना ख्याल रखते है वो तुम्हारा !” सीमा लालच भरी नज़रों से देखते हुए ज़ारा से कहती है..!
“बस यह समझ ले सीमा अल्लाह ने ज़ैद की शकल में एक फरिश्ते को भेजा है जो मेरी ज़िन्दगी के सारे मुश्किलात को एक दिन खत्म कर देगा..!” ज़ारा खुश होते हुए कहती है..!
” सही कहा एक फरिश्ता की तरह ही है वो आदिल भाई के दोस्तों में सब समझदार और सुलझे हुए इंसान है..!” सीमा जवाब देती है !
“सही कहा तूने .., चल अब मैं चलती हूँ मुझे बहुत काम समेटने है ..!” ज़ारा कहती हुई वहाँ से चली जाती है..!
कुछ दिन बाद !
“सीमा यह ज़ैद के खतों का जवाब है तुम अपने भाई को देदेना वो ज़ैद को पोस्ट करदेंगे और यह जैद के खत भी संभाल कर रख दे..!” ज़ारा सीमा को खत थमाते हुए कहती है !
“ठीक है , मैं आदिल भाई को दे दूंगी वो पोस्ट कर देंगे..!” सीमा खत लेते हुए कहती है..!
ज़ारा सीमा को खत देकर फ़ौरन अपने घर वापस लौट आती है..!
” यहां मुझे कोई पूछने वाला नहीं और इन दोनों की आशिक़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है ,मुझे अपना डाकिया बना कर रख दिया है.. , कोई न कोई इलाज तो अब इस ज़ारा की बच्ची का करना होगा अब पानी सर से ऊपर जा रहा ! सीमा जाकर ज़ारा की भाभी को ज़ैद और ज़ारा के बारे में सारी बात बता देती है..!
“देख सीमा शक तो मुझे पहले भी था इस कलमुही पर , मगर तू यह बता तेरे पास इस बात का क्या सबूत है ?” ज़ारा की भाभी सीमा से पूछती है..!
“मुझे मालूम था आप को यक़ीन नहीं होगा इसलिए मैं सबूत अपने साथ लेकर आयी हूँ !” सीमा ज़ारा की भाभी को ज़ैद के भेजे हुए खत देते हुए कहती है..!
“आने दे इसके भाई को उनको सब बताती हु , उन्हें भी तो पता चले के शरीफी का चोला ओढ़े इनकी बहन इनके नाक के नीचे क्या गुल खिला रही..?” ज़ारा की भाभी खुश होते हुए कहती है तो सीमा भी मुस्कुरा कर वापस अपने घर को चल देती है ! रात को जैसे ही ज़ारा के भाई आते है उसकी भाभी वो सारे खत उन्हें पढ़ा देती है !
“कितनी बदनामी वाली बात है ये बताओ कब से चल रहा था यह सब !” ज़ारा के भैया गुस्से में उसकी भाभी से पूछते है..!
“मुझसे नहीं ये सवाल जाकर अपनी बहन से पूछो..!” ज़ारा की भाभी ने कहा..!
“ज़ारा इधर आना जरा..!” ज़ारा के भैया उसे प्यार से आवाज़ देते है..!
“जी भैया अभी आयी !” सर पर दुपट्टा रखते हुए वो जल्दी से अपने भाई और भाभी के पास जाती है !
“ज़ारा मुझे सुनने में आया है के तुम किसी लड़के से प्यार करती हो क्या ये बात सच है..?” ज़ारा के भैया पूछते है..!
“नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है , ना मैं किसी लड़के को जानती हूँ और ना मैं किसी से प्यार करती हूँ !” ज़ारा डरते हुए कहती है..!
“मेरी प्यारी बहन तुम इतना डर क्यों रही हो..? मैं तो ये सोच रहा हूँ के हमें कही ना कही तुम्हारे शादी के लिए रिश्ता तलाश करेंगे ही अगर कोई लड़का है तुम्हारी ज़िन्दगी में तो बता दो, हमारे लिए आसानी हो जायेगी !” ज़ारा के भाई उसे फुसलाते हुए पूछते है !
“हाँ , ज़ारा बताओ अपने भैया से बल्कि मैं ये सोच रही हम कल ही उसके घर जाकर रिस्ता पक्का कर आयेंगे !” ज़ारा की भाभी कहती है !
“बता ना जारा करती है किसी लड़के से प्यार या नहीं !” ज़ारा के भैया फिर बहला कर पूछते है..!
” जी भैया मैं जैद से प्यार करती हूँ..,!” ज़ारा अभी कुछ और कहती उसकी भाभी का ज़ोर दार थप्पड़ उसके गाल को लाल कर जाता है..!
“देखा मैं कहती थी ना आप को के इसके चाल चलन मुझे सही नहीं लगते ! यह दोनों हमारी नाक के नीचे एक दूसरे से छुप कर एक दूसरे से खेतों में हमेशा मिलते थे और ना जाने किया किया करते थे ..! अब भुगतो , ना जाने और किस किस से मुंह काला कर के हमारी इज्जत का तमाशा बनाया है इसने..?” ज़ारा की भाभी कहती है..!
“भैया मैं सिर्फ ज़ैद को और वो मुझे पसंद करते है मगर हम दोनों ने कभी कोई गलत काम नहीं किया है जिससे आप की बदनामी हो..!” ज़ारा डर से रोते हुए कहती है..!
“फिर ये सब क्या है ? अगर सीमा मुझे इसके काले करतूतों के बारे में नहीं बताती तो कभी इसकी अय्याशियों के बारे में पता ही नहीं चलता ! ” ज़ारा की भाभी ज़ारा के मुँह पर ज़ैद के भेजे हुए खत मारते हुए कहती है !
“सीमा ने बताया मगर क्यों ?” ज़ारा खुद में कहती है , एक तरफ उसे दोस्ती में मिले धोखे का दुःख होता है तो दूसरी तरफ अब उसके साथ उसके भाई भाभी क्या करेंगे इसका खौफ्फ़ !
“कमीनी हमारी इज्जत का जनाज़ा निकाल रही थी रुक तुझे बताता हूँ !” कहते हुए कमरे में रखी पलंग का पाया उठाया ज़ारा के गर्दन पर रख कर एक तरफ उसका भाई और दूसरी तरफ उसकी भाभी रख कर बैठ गए !
बेचारी ज़ारा खुद को बचाने के लिए बहुत हाथ पैर मारती उसकी बे नूर होती आँखों में ज़ैद का मुस्कुराता चेहरा समाया होता है आखिर के वो तड़प तड़प कर दम तोड़ देती है !
“यह तो मर गयी ? गाँव के लोग पूछेंगे तो क्या जवाब हम देंगे ” ज़ारा के भाभी ने कहा !
“किसी को कुछ पता नहीं चलेगा , कह देंगे के इसके गले में दिक्कत थी , और गला फूलने की वजह से उसकी मौत हो गयी !” ज़ारा के भाई कहते है !
ज़ारा को मरे हुए तीन महीने हो चुके होते मगर ज़ैद को किसी ने भी कोई खबर नहीं दी होती है ! ज़ैद वक़्त पर हर पंद्रह दिन ज़ारा के नाम खत भेजता रहा मगर ज़ारा का कोई भी जवाब ना मिलने से वह बेचैन रहने लगता है उसे ज़ारा की फ़िक्र में रात भर नींद नहीं आती है ! आखिर के ज़ैद को शहर आये सात महीने गुजर जाते है और वो छुट्टी लेकर गाँव की तरफ रवाना हो जाता है !
गांव की कच्ची सड़को पर चलते हुए उसके ज़ेहन में ढेरों बातें शोर मचा रहे होते है , वो चरों तरफ नज़र घुमाता हुआ चल रहा होता है के शायद कोई उसे मिल जाये जिससे वो ज़ारा की खबर ले सके , तभी उसे सामने से आता हुआ उसका दोस्त आदिल दिखता है ज़ैद जो उसे देख कर उसकी तरफ दौड़ता हुआ आता है !
“ज़ैद तू अब आरहा ,और वहां तेरी ज़ारा कब का मर कर क़बर में सो चुकी है !” आदिल ज़ैद के कंधो को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहता है !
“यह तू कैसी बकवास बात मेरी ज़ारा के बारे में कर रहा है यार जरा सोच समझ कर बोल !” ज़ैद आदिल से नाराज़ कहता है !
“मैं सच कह रहा हूँ मेरे दोस्त तेरी ज़ारा अब इस दुनियाँ में नहीं रही और उसकी वजह मेरी बहन सीमा है ,जब ज़ारा ने आखिरी बार तुम्हे खत लिखा तो सीमा उस खत को पढ़ कर चिढ़ गयी और उसे मुझे देने के बजाये अपने पास रख लेती है ! वो तुम दोनों का सच्चा प्यार देख ज़ारा से दिल ही दिल में हसद करने लगी थी और वो अपने जलन में इतनी अंधी हो गयी थी के उसने एक रोज ज़ारा के घर जाकर उसकी भाभी को तुम्हारे भेजे खत पढ़ा देती है फिर !” आदिल कहता हुए रुक जाता है !
” फिर क्या हुआ बता ना भाई !” ज़ैद के हाथ से उसके कपड़ो का बैग छूट कर गिर जाता है वो आदिल से घबराते हुए कहता है !
“और फिर ज़ारा के भाई और भाभी ने उसे बहुत बेरहमी से कमरे में रखे पलंग के पाये से गला दबा कर उसे जान से मार दिया ! जब इस बात का पता सीमा को चला तो उसने अपनी गलती का एहसास हुआ उसने ही ज़ारा को क़त्ल करने की बात मुझे बतायी मगर मेरी हिम्मत नही हुई के मैं जारा के मरने की खबर तुम्हे दूं..!” आदिल कहता है..!
” गांव वालों ने भी कुछ नहीं कहा दफना आये चुप चाप मेरी ज़ारा को किसी ने भी उसके क़ातिलों को सजा नहीं दिलवायी !” ज़ैद रोते हुए कहता है !
“भाई किसी को ज़ारा के क़त्ल का मालूम चलेगा तब ना , गांव में तो यह हल्ला है के उसके गले में काफी दिनों से दर्द था और रात में गले में ज्यादा दर्द होने से गला फूल गया था जिससे उसकी मौत हो गयी है !” आदिल कहता है..!
“भाई उसके भाई और भाभी तो पहले से ही उसके दुश्मन थे मगर तेरी बहन को कैसी जलन हो गयी थी..? भरोसा किया था मैंने और ज़ारा ने सीमा पर वो दोस्त भी तो थी ज़ारा की और उसने क्या किया..? मेरी ज़ारा को मरवा दिया..!” ज़ैद कहता हुआ बे तहासा रोने लगता है..!
” मुझे माफ़ करदे यार और यह ले ज़ारा की लिखी हुई आखिरी खत जो उसने सीमा को दिया था !” आदिल ने अपनी जेब से खत निकल कर ज़ैद को दिया !
ज़ैद फ़ौरन खत को खोल कर पढ़ने लगता है !
मेरी डूबती हुई ज़िन्दगी की आखिर उम्मीद , मेरी मोहब्बत ज़ैद
वालेकुम अस्सलाम ( आप के सलाम का जवाब )
मुझे ख़ुशी हुई के आप खैरयत से है और वहां शहर में आप का वक्त अच्छा गुजर रहा है ! अल्लाह आप को सलामत रखे और यहां भी सब अच्छा है मगर आप की कमी बहुत खलती है मुझे और हाँ आप को खत के साथ मुझे पैसे भेजने की क्या जरुरत थी ? मैं क्या करुँगी इन पैसो का..? मुझे सिर्फ और सिर्फ आप का साथ चाहिए और मैने अगर गलती से भी इन पैसों से कुछ ख़रीदा और भाभी को पता चल गया तो मेरी खैर नहीं ! आइंदा से मुझे कुछ भी मत भेजना..!
वैसे मुझे आजकल एक अनजाना सा खौफ्फ़ फिर से सताने लगा है.., ऐसा लगता है के मेरे पास ज्यादा वक़्त नहीं है और शायद हम अब कभी नहीं मिल पायेंगे..! आप बस वापस आजाओ ऐसा ना हो के बहुत देर हो जाये..! मुझे आप की बहुत याद आती है..!
और हाँ गुलाब लेकर आओगे ना ?
आप की ज़ारा !
ज़ैद ज़ारा की खत को अपने जेब में रखता है फिर वो अपने बैग की चैन खोल कर उसमे रखे गुलाब का गुलदस्ता निकालता है जो वो ज़ारा के लिए लेकर आया होता है..! उसकी आँखों से आंसू का सैलाब निकल कर उसके चेहरे के चारो तरफ फ़ैल रहा होता है..!
“आदिल तू मुझे एक बार ज़ारा की क़बर दिखा दे बस..!” ज़ैद रोते हुए आदिल से कहता है..!
“हाँ भाई चल मैं तुझे अभी ले कर चलता हूँ..!” आदिल ज़ैद का बैग अपने कंधे पर टांगते हुए कहता है फिर वो और ज़ैद गांव के कब्रिस्तान की तरफ चल देते है..!
“भाई यह है ज़ारा की क़बर !” आदिल ज़ैद को ज़ारा की क़बर दिखाते हुए कहता है..! तो ज़ैद घुटनों के बल ज़ारा की क़बर के पास बैठ जाता है ! आँसू थे के जो उसकी आँखों से बहते हि जा रहे होते है वो ज़ारा की क़बर के सामने बैठ कर बे इन्तहा रोता है..!
“ज़ैद मेरे भाई बस कर अब कितना रोयेगा चल अब घर चल..!” आदिल ज़ैद को उठाते हुए कहता है..!
“मुझे कही नहीं जाना है यार तू देख रहा है ना के ज़ारा मुझसे बात नहीं कर रही मुझसे उससे बात करनी है बस एक बार..!” ज़ैद कहता है तो आदिल उसे छोड़ देता है..!
ज़ैद गुलाबों का गुलदस्ता ज़ारा की क़बर पर रख देता है और कहता है ! ” ज़ारा तुमने खत में लिखा था ना गुलाब लेकर आना देखो मैं तुम्हारे लिये गुलाब लेकर आया हूँ देखो कितने ताज़ा और खुशबूदार है तुम्हे इनकी ताजा महक पसंद है ना.., ज़ारा मेरी मोहब्बत झूठी नहीं है ज़ारा मैं सब कुछ तुमसे निकाह करने के लिये ही तो कर रहा था और जब वो वक़्त आया जब हम एक हो सकते थे तब तुम इस दुनिया में ही नहीं रही..! क्यों जारा..?
वैसे तुमने ठीक कहा था ज़ारा हमारा “इश्क़ ” एक बला है और देखो इस बला ने तुम्हे मुझसे छीन लिया..! तुम कुछ बोलती क्यों नहीं..? जारा बोलो ना कुछ तो जवाब दो बस एक बार मुझसे बात कर लो ज़ारा .. ज़ारा..!” ज़ैद ज़ारा की क़बर पर सर रख कर रोते हुए कहता है हुआ अचानक खामोश हो जाता है..!
“ज़ैद मेरे भाई चल उठ अब घर चलते है !” आदिल कहता हुआ जैसे ही ज़ैद को उठाते की कोशिश करता है तो देखता है के ज़ैद ज़ारा की क़बर पर दम तोड़ चूका होता है..!
ज़ारा की तरह उसने भी इस खोखली दुनिया को अलविदा कह दिया होता है..! उसकी वो दो आंखें अब बे नूर हो चुकी होती है .., जिनमें कभी उसने अपने और जारा के लिए हसीन ख्वाब सजाए थे..!
समाप्त
Previous Part : Ishq Ek Bla-02
Follow Me On : facebook
शमा खान !
Ishq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-EndIshq Ek Bla-03-End

