KHAMOSH AAHEIN

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KHAMOSH AAHEIN
KHAMOSH AAHEIN

ख़ामोश आहें..! 

बर्फीले बारिश के मौसम की  गहरी रात होती है..! शहर की तंग गलियों में अजीब से वीरानी पसरी हुई होती है ..! पुराने मकानों की दरारों में वक़्त की चुप्पी दफ़्न होती है, और सर्द हवा गली के किसी कोने में छुपे अधूरे अफ़सानों की कहानियाँ सुना रही होती है..!

मोहल्ले की उसी गली में एक हवेली खड़ी होती है, उँची, शाही मगर वीरान और उदास जैसे उस हवेली ने कई सालों से कोई रंगीनियां नहीं देखी हो !

 उसी हवेली की खिड़की के पीछे चुपचाप बैठी होती है 30 साला  ज़ोया। जिसकी आँखें किसी अनदेखी दुनिया में खोई हुई बारिश को देख रही होती है..! ज़ोया की कहानी भी एक अनकही दास्तान बनकर रह गई थी..! वह एक ऐसी लड़की थी, जिसके दिल में मोहब्बत का एक गहरा समंदर होता है, मगर उसकी लहरें हमेशा किनारों से टकराकर लौट आती है..! 

 अरमान—जिसका नाम ही उसकी तक़दीर बन गया उसका हमसफ़र हमनफ़स था, मगर यह सफ़र कभी अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच सका..!

बाहर बर्फीली बारिश हो रही होती है मगर जोया के अंदर आज फिर यादों की बारिश ने तूफान पैदा कर दिया होता है, और वो आज अपनी माजी की यादों में भीगना चाहती है… मगर अब उसकी वो छत और वो राहें बहुत दूर हो चुकी थी जिस पर वो खुले आसमान के नीचे बारिश से लुत्फ अनदोज कभी होती थी..!

 अश्क उसकी आंखों से बह कर उसके रुखसार को छूते हुए उसके डायरी के पन्नों पर पड़ रहे होते है, जिस पर उसने बेशुमार जज़्बात अपने और अपने माजी के बारे लिखे होते है..!

कई साल पहले की बात है जब अपने कॉलेज के बाद अपने शहर के एक पुरानी लाइब्रेरी में जोया जाया करती थी, जहाँ धूल भरी किताबें खामोश कहानियों की तरह अलमारियों में कैद थीं जिन्हें शायद ही कोई कभी कभार पढ़ा करता था..!

उन्हीं किताबों में से कुछ अपनी पसंद की किताबों को  अलमारी से निकल कर साफ कर के कुर्सी पर बैठ जोया सुकून से पढ़ा करती थी..! 

जब एक शाम के वक़्त हल्की पीली रौशनी में  जोया एक किताब के पन्ने पलट रही थी, तभी अचानक एक किताब उसके हाथ से फिसल कर नीचे गिर जाता है..! अभी वो सोच ही रही थी के उठाती हु तभी..!

“आपकी किताब…”

एक हल्की-सी मुस्कान के साथ किसी ने वह किताब उठाकर उसकी तरफ़ बढ़ाई। ज़ोया ने नज़रें उठा का कर देखा तो..

एक लड़का सामने खड़ा था—गहरी आँखों वाला, खूबसूरत सा जिसके चेहरे पर  हल्की दाढ़ी, चेहरे पर मुस्कान और हाथों में किताबों की खुशबू में लिपटा हुआ होता है..! 

“शुक्रिया,” ज़ोया ने धीमे से कहा और किताब ले ली।

“वैसे मेरा नाम अरमान है..? और आप का..?” अरमान ने कहा..!

“जोया..!” जोया ने मुख्तसर सा कहा..! और अपने किताबों में कोई रही..!

“आप यहाँ अक्सर आती हैं?” आरमान ने हिचकिचाते हुए पूछा..!

“हाँ, मुझे किताबें पढ़ना बेहद पसंद हैं।” ज़ोया ने पन्नों पर नज़रें टिकाये हुए कहा..!

“वैसे कौनसी किताब पढ़ रही है आप..?” अरमान ने फिर पूछा..!

“जी मैं शमा खान की कहानी “शाह उमैर की परी पढ़ रही हु..! मुझे इनकी कहानियां बेहद पसंद है क्यों के ? ये कुछ अलग ही अंदाज में अपने कहानी के किरदार को दिखाती है और सब से बड़ी बात इनकी कहानियां सस्पेंस से भरी होती है जो के मुझे बेहद पसंद है..!जोया ने एक्साइटेड होते हुए कहा…!

“तब तो फिर हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं..! मुझे भी शमा खान की कहानियां बेहद पसंद है खास कर इनकी कहानी “लेटते ही नींद आ गई” वो बेहद ही सस्पेंस फुल स्टोरी है जिसे मुझे पढ़ना बहुत पसंद हैं,” आरमान ने मुस्कराकर कहा..!

ज़ोया ने अरमान की बात सुन कर एक हल्की मुस्कान दी, मगर कुछ नहीं कहा..! शायद यह एक शुरुआत दौर था उनके जिंदगी का इसलिए..!

वक़्त इसी तरह गुज़रता गया..! उनकी लाइब्रेरी की छोटी-छोटी मुलाक़ातें गहरी होती गईं..! अब वे अक्सर फुर्सत के वक्त पार्क में मिलते थे, अपनी पसंद की किताबों पर बातें करते, कभी यूँ ही खामोश राहों पर एक साथ बस एक दूसरे को महसूस करते हुए चलते..! तो कभी बारिश होती तो उसमें साथ में भीगते हुए किसी बेनाम अहसास को महसूस करते..! दोनों एक दूसरे के साथ काफी बेहतरीन वक्त गुजारने लगते है..!  अक्सर दोनों कॉलेज के बाद लाइब्रेरी जाते और साथ में पढ़ाई किया करते..!  वक़्त के साथ उनके दरमियान एक बेनाम रिश्ता पनपने लगा। यह न दोस्ती थी, न पूरी तरह इज़हार-ए-मोहब्बत—बस दोनों दिलों की एक ख़ामोश ज़ुबान थी, और दोनों ने एक दूसरे के लिए दिल में पैदा हो रहे इन जज्बात को समझ लिया होता है..! 

“ज़ोया, क्या तुमने कभी सोचा है कि कुछ रिश्ते नाम के मोहताज नहीं होते?” आरमान ने एक दिन पूछा।

“हाँ, होते है मगर यह दुनिया रिश्तों को नाम देना चाहती है,” ज़ोया ने उदास लहजे में कहा।

“अगर हमारी मोहब्बत को कोई नाम न मिले, तो क्या यह अधूरी रह जाएगी?”

ज़ोया ने आरमान की आँखों में देखा—वहाँ मोहब्बत की रोशनी थी, मगर एक अजीब सी ना उम्मीदी भी..!

“कुछ चीज़ें पूरी होकर भी अधूरी रहती हैं, आरमान और कुछ अधूरी होकर भी पूरी..! तकदीर के खेल बड़े निराले होते है मगर मुझे यकीन है हम अधूरे कभी नहीं होंगे..! ” उसने धीमे से कहा..!

दोनों कई सालों तक दुनिया से चुप कर अपनी मोहब्बत को जीते रहे..! उनकी मोहब्बत उनके रूह से जुड़ी थी..! उन्होंने कभी एक दूसरे को हवस का शिकार नहीं बनाया होता है..! उनकी मोहब्बत बेहयायी से पाक थी..!

उनकी मोहब्बत एक ख़ामोश सफर पर थी, मगर  दुनिया को ख़ामोश मोहब्बतें कब मंज़ूर हुई हैं?

एक दिन ज़ोया के घर में तूफ़ान आ गया जब उसके वालिद ने उसे एक रोज अरमान के साथ पार्क में बैठा देखा..! वो गुस्से से पूरे घर में टहलते हुए जोया के घर आने के इंतेज़ार कर रहे होते है..! तभी जोया चेहरे पर मुस्कान सजाए घर में दाखिल होती है तो अपने अब्बू को अपना मुन्तजिर पाती है..!

“वो लड़का कौन था?” उसके वालिद ने सख़्त आवाज़ में उस पर गरजते हुए पूछा..!

“अब्बू… वह मेरा दोस्त है,” ज़ोया ने हिम्मत करके कहा..!

“बस दोस्त?” उसकी माँ ने तंज़ कसते हुए कहा ..! “या फिर कुछ और ..? जोया याद रखो तुम एक शरीफ घराने की बेटी हो और शरीफ घराने की बेटियों को यूं इस तरह किसी ना मेहरम के साथ यूं पार्क और दीगर जगह घूमना अच्छा नहीं होता..!” जोया की मां ने शख्त अल्फ़ाज़ में कहा..!

“अम्मी मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है बाकी ये सच है के मैं और अरमान एक दूसरे से मोहब्बत  करते है और हम एक दूसरे से ही शादी करना चाहते है ..!”

“बेटा, मोहब्बत पेट भरने के लिए रोटी नहीं देती… हम तुम्हारे लिए एक महफ़ूज़ मुस्तकबिल चाहते हैं।” जोया की मां ने कहा..!

 “इसका घर से बाहर जाना आज से बंद , मैं कल ही अपने दोस्त से बात करता हु इससे पहले के ये हमारी इज्जत के साथ और खेले अपने दोस्त के बेटे से फौरन इसका निकाह तय करता हु..! और हां एक और बात कान खोल कर सुन लो अगर तुमने हमारे फैसले के खिलाफ जाने की कोशिश की तो मैं तुम्हारे उस आशिक को मौत के घाट उतार दूंगा या खुद को मार दूंगा..!” जोया के अब्बू बेहद गुस्से में कहते हुए चले जाते है..!

अपने अब्बू की बात सुन कर  जोया सुन सी होगईं..! क्यों के वो अपने अब्बू के मिजाज से अच्छे से वाकिफ होती है..! अपने अब्बू से कहने के लिए उस के पास कोई जवाब नहीं होता है..! और ना ही उसकी तालीम उसे इजाजत देती के वो अपने मां बाप से बदतमीजी करे..!

उसने अपनी अम्मी से कई बार कहा के वो उसके अब्बू से बात करे और सिर्फ एक बार अरमान से मिल ले मगर वो नहीं मानी उनके के लिए पसंद की शादी एक कलंक की तरह होता है जो के उनकी समाज में बनी बनाई इज्जत को तार तार करदेती..!

जोया को अरमान और अपने अब्बू दोनों ही अजीज होते है वो दोनो में से किसी को भी खोना नहीं चाहती है..!

उस रात, ज़ोया ने अपनी डायरी खोली और  लिखा 

“मेरे अब्बू ने मुझे सख़्त लहज़े में धमकी दी कि अगर मैंने अरमान से शादी का ज़िक्र भी किया, तो वो या तो अरमान को मार देंगे या खुद को। ये सोचकर मेरा दिल दहल  सा जाता है, क्योंकि मैं दोनों को ही नहीं खोना चाहती। दोनों मेरे लिए बेइंतहा अज़ीज़ हैं—एक मेरा प्यार, तो दूसरा मेरा वजूद।

अब मैं एक ऐसे दोराहे पर खड़ी हूँ जहाँ एक तरफ मेरी मोहब्बत है और दूसरी तरफ मेरे अब्बू की ज़िंदगी। मैं समझ नहीं पा रही कि क्या करूँ, किसे चुनूँ, किसे समझाऊँ, और कैसे इस दर्दनाक हालात से बाहर निकलूँ। मेरा दिल चिल्ला-चिल्ला कर कहता है कि मोहब्बत कोई गुनाह नहीं, लेकिन अगर इसे पाने की कीमत अपनों की ज़िंदगी हो, तो क्या यह सही है?

मैं चाहती हूँ कि सब कुछ ठीक हो जाए, अब्बू भी मुझे समझें और अरमान भी मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन सके..!

 लेकिन क्या ऐसा मुमकिन है? या फिर मुझे अपनी मोहब्बत की क़ुर्बानी देनी होगी, सिर्फ इसलिए कि दुनिया के बनाए उसूल ना बिगड़ जाए ?”

अपने दिल की हर बात  डायरी में लिख कर जोया सोचने लगती है..! मगर उसके मन का बोझ कम नहीं हो रहा होता है..!

जोया ने अपने घर वालों से छुपकर अरमान से मिलने का फैसला कर लिया होता है मगर उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी मौजूद होती है..!

 लेकिन मोहब्बत का जज़्बा डर से कहीं ज़्यादा ताक़तवर होता है..! जोया ने रात के सन्नाटे में अरमान को कॉल किया, उसकी आवाज़ में हल्का सा कंपन मौजूद होता है, मगर लफ्ज़ों में हौसला अभी भी बाकी होता है..!

“अरमान मुझे तुमसे अभी मिलना है, मैं आ रही हूँ तुम भी आ जाओ…!”

वो धीरे-धीरे घर के दरवाज़े से बाहर निकली, हर कदम पर डर के साए मौजूद होते है, लेकिन दिल की धड़कनें उसे आगे बढ़ने पर मजबूर कर रही होती है..! बाहर हवाओं में अजीब सी ठंडक मौजूद होती है जैसे मौसम भी उसकी बेचैनी को महसूस कर रहा हो..! आसमान में चाँद आधा-अधूरा होता है—वैसे ही, जैसे जोया की तक़दीर..!

सड़कें वीरान होती है, सिर्फ दूर कहीं एक कुत्ते के भौंकने की आवाज़ सन्नाटे को चीर रही थी..! उसके घर से कुछ दूरी पर, एक गली के मोड़ पर अरमान उसका इंतज़ार कर रहा होता है..! अरमान की आँखें बेचैनी से रास्ते पर टिकी जोया का इंतजार कर रही होती है..! और जैसे ही उसे जोया की परछाईं दिखी, उसके दिल को सुकून मिला..!

जोया ने चारों तरफ़ नज़रें दौड़ाई, कहीं कोई देख तो नहीं रहा? फिर हल्के क़दमों से अरमान की तरफ़ बढ़ी..! लेकिन उसे नहीं पता था कि इस रात के साये में सिर्फ अरमान ही उसका इंतजार नहीं कर रहा था… कुछ और भी था, जो अंधेरे में छुपा हुआ उसकी हर हरकत पर नज़र रखे था और वो था उसकी बेबसी..!

“जोया कांपते हुए अरमान के करीब आई, उसकी आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे होते है ..!जैसे ही उसने अरमान को गले लगाया, उसकी सिसकियाँ और तेज़ हो गईं..! वो बे इंतेहा रोई..! और कहा..!

“अरमान… मुझे माफ़ कर दो…”

अरमान ने घबराकर उसे अपने सीने से अलग किया और उसकी आँखों में झाँकते हुए पूछा..!

“क्यों जोया? आखिर हुआ क्या है, और तुम रो क्यों रही हो?”

जोया ने गहरी सांस ली, उसके लफ़्ज़ कांप रहे होते है, जैसे किसी ने उसके दिल पर बोझ रख दिया हो..! उसने अरमान के चेहरे को थामते हुए दर्द भरी आवाज़ में कहा..!

“क्योंकि मेरे हाथ में हमारी तक़दीर लिखने का क़लम नहीं है…!”

अरमान बेचैनी से उसके आँसुओं को देख रहा होता है, जैसे वो समझ नहीं पा रहा हो कि जोया की ज़िंदगी में ऐसा क्या हुआ जिसने उसकी हँसी को छीन लिया..!

“साफ़ बताओ जोया, ये सब क्या है?” अरमान ने  बेचैनी से पूछा..!

जोया ने सिर झुका लिया, उसकी आवाज़ अब और भी भारी हो चुकी होती है..!

“हम एक नहीं हो सकते, अरमान… शायद आज हमारी आख़िरी मुलाकात है..! क्योंकि मैं अपने अम्मी-अब्बू के ख़िलाफ़ जाकर तुम्हारे साथ ख़ुश नहीं रह सकती…!”

जोया के ये लफ़्ज़ सुनते ही अरमान का दिल धड़कना भूल गया..! उसने जोया को मजबूती से पकड़ा, जैसे डर हो कि वो उससे बिछड़ जाएगी..!

“जोया… ये तुम क्या कह रही हो? मैं तुम्हारे बिना जिंदा तो रहूंगा मगर जी नहीं पाऊंगा..!” अरमान अश्क भरी आंखों से कहता है..!

लेकिन जोया के पास अब कोई जवाब नहीं मौजूद नहीं होता है, उसके आँसू ही उसकी बेबसी बयां कर रहे होते है..!  हवाएँ पहले से तेज़ हो गई होती है, जैसे कुदरत भी इस मोहब्बत की जुदाई पर मातम मना रही हो…!

उस रात के सन्नाटे में कुत्तों की लगातार रोने की आवाज भी आ रही होती है..!

आज की रात, न जोया कुछ सोच पा रही थी, न अरमान..! बस एक एहसास होता है एक-दूसरे को खो देने का डर, जो उन्हें और करीब ला रहा होता है वो चाहकर भी अलग नहीं हो पा रहे होते है, जैसे मोहब्बत ने उनकी रूहों को जकड़ लिया हो..!

आज के बाद उन्हें हमेशा के लिए जुदा होना था, मगर इस आख़िरी मुलाकात में वो पहले से कहीं ज़्यादा करीब थे। उनके दिलों की धड़कनें तेज़ हो चुकी थीं, आँसू उनकी आँखों से बहकर गालों पर ठहर रहे थे, लेकिन दर्द अब उनकी रूह में उतर चुका था।

जोया अरमान के सीने से लगी सिसक रही थी, जैसे उसकी रूह बिखर रही हो। अरमान ने अपनी बाहों को और कस लिया, मानो चाहता हो कि वक्त यही रुक जाए, ये लम्हा कभी ख़त्म न हो।

“हमने हमेशा अपनी मोहब्बत को पाक रखा, जोया…” अरमान ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ काँप रही थी।

“हाँ, लेकिन ये जुदाई के लम्हे बहुत भारी हैं, अरमान…” जोया ने भर्राई हुई आवाज़ में जवाब दिया।

और फिर, उस सुनसान सड़क किनारे, उस सर्द रात में, जब हवाएँ भी दर्द से भरी थीं—उन्होंने पहली बार एक-दूसरे के लबों को छुआ। वो एक पल के लिए अपने ग़म, अपनी मजबूरियों और दुनिया के बनाए हर बंधन से आज़ाद हो गए होते है..!

यह कोई वासना नहीं थी, यह दो टूटे दिलों का आख़िरी इज़हार होता है..! एक अलविदा, जो लफ़्ज़ों से कह पाना मुमकिन नहीं था..!

“अरमान, कहीं चलो… आज की रात हम साथ रहेंगे। क्या मालूम, फिर कब मुलाक़ात हो?” जोया ने धीमी आवाज़ में कहा, उसकी आँखों में बिछड़ने का खौफ था।

अरमान ने गहरी सांस ली, वो खुद भी जोया को छोड़ना नहीं चाह रहा होता है उसकी मोहब्बत सिर्फ लफ्ज़ों में नहीं, उसकी आँखों में भी झलक रही होती है..!

“जोया, मन तो मेरा भी नहीं है कि तुम मुझसे दूर जाओ..! अगर तुम्हें कोई दिक्कत नहीं, तो तुम मेरे हॉस्टल के कमरे में चल सकती हो..! वैसे भी मैं वहाँ अकेला ही रहता हूँ…!”

जोया ने बिना कुछ सोचे हामी भर दी..! इस वक़्त उसे सिर्फ अरमान के करीब रहना होता है.., जितना हो सके, जितनी देर तक हो सके..!

कुछ ही देर बाद, दोनों अरमान की मोटर साइकिल पर बैठकर उसके हॉस्टल के कमरे की तरफ़ बढ़ गए। रास्ता सुनसान होता है, ठंडी हवाएँ उनके चेहरे पर लग रही होती है, मगर जोया के अंदर एक अजीब सी गर्मी मौजूद होती है जज़्बातों की, मोहब्बत की, और शायद अपने फैसले की..!

कमरे में दाखिल होते ही एक भारी ख़ामोशी छा गई..; वो दोनों पास बैठकर एक-दूसरे को बस देख रहे होते है यह रात उनकी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात बनने वाली होती है..;

जोया ने गहरी सांस ली और खुद को अरमान के हवाले कर दिया। शायद, उसने सोचा कि इससे उसकी मोहब्बत का हक़ अदा हो जाएगा। शायद, अरमान इसे अपनी मोहब्बत की आखिरी निशानी समझेगा। या शायद… अरमान इसके बाद उसे भूल जाएगा।

लेकिन क्या मोहब्बत यूँ कभी अधूरी रह सकती है? क्या जिस्म की नज़दीकियाँ दिलों की दूरियाँ मिटा सकती हैं? या फिर ये रात, सिर्फ एक और दर्द बनकर उनके जीवन का हिस्सा बन जाएगी?

जोया अरमान की बाहों में थी, मगर उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। ये लम्हा उसकी मोहब्बत की आखिरी निशानी होती है, मगर उसके अंदर एक सवाल बार-बार गूंज रहा होता है—क्या ये सब सही है? क्या मोहब्बत का हक़ अदा करने के लिए खुद को सौंप देना ही इकलौता रास्ता था?

अरमान ने जोया की आँखों में देखा..! वो आँसू से भरी हुई होती है, मगर उनमें एक अजीब सी लाचारी भी मौजूद थी..!

“जोया, तुम यह सब मजबूरी में तो नहीं कर रही?” अरमान ने उसकी ठुड्डी को हल्के से उठाते हुए पूछा..!

जोया ने दर्द भरी मुस्कान के साथ सिर हिला दिया।

“नहीं अरमान, मैं सिर्फ तुम्हारे करीब रहना चाहती हूँ, तुम्हें महसूस करना चाहती हूँ… शायद इसके बाद तुम मुझे भूल पाओगे।”

अरमान का दिल बैठ गया। उसने जोया को गले से लगा लिया, लेकिन अब उसकी आँखों में भी नमी मौजूद होती है उसने गहरी सांस ली और जोया के माथे को चूमा..!

“जोया, मैं तुम्हें भूलने के लिए तुम्हें नहीं चाहता… मैं तुम्हें चाहने के लिए तुम्हें चाहता हूँ..! लेकिन अगर हमारी तक़दीर में जुदाई ही लिखी है, तो मैं नहीं चाहता कि हमारी मोहब्बत का अंजाम अफसोस बने।”

जोया एक पल के लिए चौंक गई..! उसने सोचा था कि अरमान को वो खुद को सौंप कर अरमान की बे इंतेहा मोहब्बत के  सारे कर्ज उतार देगी..! मगर वो गलत थी..!

 आज अरमान अपनी मोहब्बत को एक मुकद्दस एहसास बनाए रखना चाहता था..! ना कि हवस का..!

“तो क्या तुम मुझे नहीं चाहते, अरमान..?” जोया ने धीमे से पूछा..!

अरमान ने उसके हाथों को थाम लिया और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा..!

“मैं तुम्हें इस दुनिया में सबसे ज़्यादा चाहता हूँ, और इसी वजह से तुम्हें हमेशा इज़्ज़त और मोहब्बत से याद रखना चाहता हूँ..! मैं नहीं चाहता कि ये रात हमारे लिए अफ़सोस बन जाए।”

जोया की आँखों से आँसू छलक पड़े..! उसने अरमान को कसकर गले लगा लिया..!

ये रात उनकी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात रही, मगर जिस्म की नहीं, बल्कि जज़्बातों की नज़दीकियों के लिए..! उस रात अरमान और जोया ने एक-दूसरे को खुद में समेट लिया, मगर उनकी मोहब्बत पाक और मुकम्मल रही एक ऐसी मोहब्बत, जो जिस्म की मोहताज़ नहीं थी, बल्कि दिलों में हमेशा ज़िंदा रहने वाली थी..!

सुबह की पहली किरण के साथ ही जोया को जाना होता है उसने अरमान की आँखों में आखिरी बार देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा..!

“अब मैं जा रही हूँ, लेकिन तुम्हारी जोया हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी… तुम्हारे दिल में, अरमान भले ही मेरा जिस्म किसी का होजाएगा मगर मेरी रूह हमेशा तुम्हारी रहेगी..!”

अरमान ने कोई जवाब नहीं दिया, बस दूर तक उसे जाते हुए देखता रहा..! वो जानता था कि आज के बाद उसकी ज़िंदगी कभी पहले जैसी नहीं रहेगी..!

वो जनता था के कभी-कभी, मोहब्बत का सबसे खूबसूरत अंजाम जुदाई होती है…!

जिस दिन जोया की शादी उसके अब्बू के दोस्त के बेटे से हो गई। उसी दिन अरमान हमेशा के लिए शहर छोड़कर चला गया, जैसे उसकी मोहब्बत की आख़िरी निशानी भी उससे छिन गई हो जोया का वो शहर…!

वक़्त गुज़रता गया, मगर यादें वहीं ठहरी रहीं..! वो पहली मुलाक़ात, वो खामोश रातें, वो आख़िरी अलविदा सब कुछ अब भी उसकी धड़कनों में जिंदा होता है..!

दूसरी तरफ

जोया की सजी-धजी हवेली में सिर्फ सोने-चांदी की चमक मौजूद होती है, मगर उसकी आँखों में वीरानी मौजूद होती है..!  उसका अमीर शौहर शराबी होता है, जो उसे सिर्फ एक सामान समझता है, उसका शौहर उसकी तकलीफ़ों से बेख़बर अपनी ही दुनिया में मगन होता है..!

 जोया की ज़िंदगी अब किसी बेजान तस्वीर की तरह होती है एक ऐसी तस्वीर, जो देखने में खूबसूरत होती है, मगर जिसमें कोई जान मौजूद नहीं होती..!

हर रात, जब हवाएँ सिसकतीं और चाँद अधूरा नजर आता, वो अपनी खिड़की के पास बैठ जाती..! उसकी आँखें आसमान को टटोलतीं, उन टूटते हुए सितारों को गिनतीं, जिनकी रौशनी बुझने से पहले आख़िरी बार चमक उठती है..!

“शायद अरमान इन्हीं सितारों के पार मुझे ढूंढ़ रहा होगा…! शायद वो भी मुझे ऐसे ही महसूस करता होगा जैसे मैं करती हु..! ना जाने वो अब कैसा हुआ..!” जोया ने आह भरते हुए कहा..!

उसकी आँखों में इंतज़ार मौजूद होता है, लेकिन वो जानती थी कि अरमान अब लौटकर कभी नहीं आएगा..! और वो आयेगा भी क्यों ..? उसकी जोया तो अब किसी और की हो चुकी होती है..!

शायद वो भी कहीं दूर बैठा, इसी आसमान के नीचे, एक टूटा सितारा देखकर यही सोच रहा होगा..!

“जोया, क्या तू भी मुझे याद करती है?”

मोहब्बत अधूरी रह सकती है, मगर खत्म नहीं होती। वो किसी टूटे हुए सितारे की तरह बस एक दुआ बन जाती है—जो हमेशा आसमान में कहीं न कहीं जलती रहती है…..! इसे तरह से जोया के दिन रात गुजरते रहे..!

“बरसों बाद…

कोहरे ने शहर को अपनी सफ़ेद चादर में लपेट रखा होता है..! हवाओं में वही सर्दी मौजूद होती है जो कभी अरमान और जोया की आख़िरी मुलाक़ात की रात थी..!

 अरमान वापस लौटा, लेकिन इस बार न उम्मीद होती, न कोई सवाल… बस एक खामोश एहसास, जो दिल में दबा रह गया था..! वो सिर्फ एक बार जोया को देखना चाहता था…! वो बस जानना चाहता था के जोया अब कैसी है..?

 किसी तरह जोया का पता मालूम कर वो आखिर के आज जोया के घर के दरवाजे पर खड़ा होता है..! जहां उसे एक छोटी सी बच्ची बर्फ में खेलती दिखती है..!

आरमान ने उसकी आँखों में झाँका, जिनकी चमक ज़ोया जैसी होती है वो समझ गया होता है के ये जोया की बेटी है तभी उसका गला भर आया..!

“आप कौन हैं?” बच्ची ने मासूमियत से पूछा..!

“कोई भी बेटा… बस तुम्हारी अम्मी को बता देना कि एक पुराना दोस्त उन्हें सलाम कह गया,” उसने धीमी आवाज़ में कहा ..!

खिड़की से जोया यह मंज़र देख रही होती है उसकी आँखें नम होती है, मगर वो खुद को संभाल चुकी थी..!

वो सीढ़ियों से होते हुए अपने दरवाजे के करीब आई और बस खामोशी से अरमान को ताकती रही और अरमान उसे , दोनों की आँखें नम और लब खामोश थे..! उनके दरमियान दूरियां होती है मगर सिर्फ जिस्म की रूह से दोनों आज भी जुड़े हुए महसूस कर रहे होते है..! इससे पहले के जोया कुछ कहती..!

अरमान ने जोया की तरफ देख एक प्यारी से मुस्कान दी और उसे इशारों में सलाम कर के वहां से चला गया..! और इस बार अपने दरवाजे की ओट से उसे जाते बेबस सी जोया देख रही होती है..!

“अम्मी, वो अंकल कौन थे?” जोया की बेटी ने अपनी तोतली ज़ुबान में पूछा..!

जोया ने अपनी बेटी को गोद में उठाया, हल्की मुस्कान के साथ उसके माथे को चूमा और कहा..!

“बेटा… वो बस एक ख़्वाब थे, जो हक़ीक़त बनने से पहले ही कही खो गया..!”

उसी रात, जब हवाएँ फिर वही अधूरी दास्तान सुना रही होती है तो जोया ने अपनी डायरी के आख़िरी सफ़े पर लिखा..!

“आरमान… तुम आज मेरे इतने क़रीब थे, मगर मैं तुम्हें छू न सकी..! तुमसे बात ना कर सकी..! हमारी मोहब्बत वह नग़मा है, जिसकी धुन कभी पूरी नहीं हुई..! तुम्हारे बिना हर ख़ुशी अधूरी है, हर मुस्कान झूठी… मगर हमने अपनी कहानी अधूरी क्यों छोड़ दी? क्यों हिम्मत नहीं की थी..?”

ट्रेन तेज़ी से आगे बढ़ रही होती है, और अरमान खिड़की से बाहर देखते हुए उन लम्हों को समेट रहा था, जो कभी जोया के साथ बिताए थे। हवाओं में अब भी वो  खुशबू होती है जो उसे जोया से आया करती थी, फिजाओं में उसकी हँसी की गूंज होती है, मगर अब वो सिर्फ यादें बन चुकी थीं..! एक ऐसी मोहब्बत, जो मुकम्मल होते-होते अधूरी रह गई।

इधर जोया अपनी डायरी बंद कर चुकी थी..  उसने अब तक जितने पन्ने लिखे थे, वो सब अरमान के नाम थे, मगर अब आख़िरी सफ़ा भरने के बाद, उसके पास कुछ भी नहीं बचा था..! उसे मालूम था के अरमान आज उसे आखिरी अलविदा कहने आया था अब शायद वो दोनों कभी ना मिले..!

तभी खिड़की के बाहर आसमान में एक टूटता तारा चमकता हुआ दिखाई दिया..!

जोया ने एक गहरी सांस ली और हल्की मुस्कान के साथ फुसफुसाई..!

“शायद आरमान इन्हीं सितारों के पार अब भी मुझे ढूंढता हुआ वापस आयेगा..!”

दूसरी ओर, ट्रेन में बैठा अरमान भी आसमान में देख रहा होता है उसकी आँखों में नमी मौजूद होती है, लेकिन एक सुकून भी होता है..!

क्योंकि उसकी मोहब्बत ख़त्म नहीं हुई थी, वो बस दो दिलों के बीच किसी ख़ामोश कोने में हमेशा के लिए जिंदा होती है उसे बस ये महसूस करना था के क्या जोया आज भी उससे मोहब्बत करती है या नहीं और उसने अपने लिए मोहब्बत उसकी आंखों में देख ली होती है ..!

“कभी-कभी, अधूरी मोहब्बत ही सबसे ख़ूबसूरत होती है… क्योंकि उसे कोई ज़माना नहीं छीन सकता..! जोया… हमारी मोहब्बत मेरे साथ मेरे अंदर मौजूद है..! एक दिया के मानिंद जो अपनी मध्यम रौशनी हमेशा मेरे दिल में जलाएं हुए है..! मगर दुनिया ने इसे मजबूरी बना दिया था काश के मैं उस वक्त अपने लिए लड़ पाता , ऐ काश के मैं उस रोज तुम्हे जाने ना देता काश के यह काश ना होता..!” अरमान ट्रेन से बाहर देखता हुआ अपनी सोचों में गुम  कहता है..!

ज़ोया अरमान की जुदाई में ज्यादा दिन इस दुनिया में जी ना सकी उसे ला इलाज मर्ज हो गया था और उसने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया..!

जोया की बेटी अब जवान हो चुकी होती है..! 

 उसने अपनी मां से जुड़ी हर याद को सम्भल कर रखा एक रोज जब वो अपनी माँ की चीजों को देख रही होती है तभी उसे उसकी मां की डायरी मिली उसने डायरी पर बैठी धूल को साफ किया और फिर उसके पन्ने खोल कर पढ़ने लगी..!  

अपनी मां की डायरी पढ़ते हुए उसके आँसुओं ने डायरी के पन्नों पर गिर कर उन पुराने लफ़्ज़ों को धुंधला कर दिया जो उसकी मां ने अरमान के लिए लिखे होते है..! 

वह अपनी माँ की क़ब्र पर गई और आँखें बंद करके बोली,

“अम्मी, भले ही पापा कभी आप को समझ नहीं पाए मगर अब मैं समझ गई हूँ…! आप को भी और आप के उस गुमनाम मोहब्बत को भी जिसे आप ने अपने अपनो की इज्जत के लिए कुर्बान कर दिया था..! अम्मी आप की कहानी ने मुझे बहुत को सिखाया और समझाया, और अब मेरे दिल में आप के लिए इज्जत कई गुना बढ़ गए है..! 

मैंने फिलहाल मोहब्बत तो नहीं की मगर मैं जान पाई हु के मोहब्बत वह ज़ख़्म है, जो मरते दम तक नहीं भरता..! और आप मोहब्बत जैसी ला इलाज मर्ज की गिरफ्त में थी..! जिसने आप को इस दुनिया से मायूस कर दिया था..!”

जोया की बेटी ने अपनी मां की डायरी को उनके ही कब्र के करीब दफ्न कर दिया ताकि वो डेयरी आज भी उसके पास के पास रहे ..!

और आरमान…?

वह आशिक तो आज भी उसी ट्रेन के डिब्बे में बैठा है, जहाँ वक़्त ठहर सा गया है..! बाहर की दुनिया बदल रही है, मगर उसकी आँखें अब भी उसी ख़ामोश गली की तरफ़ देखती हैं, जहाँ कभी एक लड़की ने उसे अपनी डायरी का एक पन्ना देकर कहा था..!

“हमारी कहानी कभी ख़त्म नहीं होगी… क्योंकि हर अधूरी मोहब्बत अपने अंदर एक नया आग़ाज़ छुपाए रखती है! हम जरूर मिलेंगे सितारों के उस पर के जहां में जहां कोई बाउंड्री नहीं होगी..!”

मगर… आग़ाज़ कब तक इंतज़ार में रहे?

दोस्तों 

मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती, वह बस किसी खामोशी के समंदर में डूब जाती है..! और इसी तरह, उनकी मोहब्बत की यह दास्तान भी उन हज़ारों कहानियों में कहीं गुम हो गई, जो इस बेदर्द दुनिया में हर रोज़ जन्म लेती हैं, और हर रोज़ मर जाती हैं..!

— समाप्त —

शमा खान..!

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KHAMOSH AAHEIN
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