Lette Hi Neend Aagyi-11

नरगिस के सांसों ने चलना छोड़ दिया होता है आधी खुली आंखे उसकी बेबसी झलका रही होती है ! फिर भी उसका भाई एक जुनूनी की तरह उसका गला दबा रहा होता है !
रमीज़ अपने ख्वाब में यह हौलनाक मौत का मंजर देख चिंखे मार मार कर रो रहा होता है मगर उस वक़्त ना कोई उसे सुन रहा होता है और ना ही देख रहा होता है !
“भैया छोड़ दो अब यह मर गयी है !” नरगिस के छोटे भईया ने बड़े भाई का हाथ नरगिस के गले से हटाते हुए कहा !
“छोटे यह क्या कर दिया हमने अपनी नरगिस को मार दिया अब ?” नरगिस का बड़ा भाई सर पर हाथ रख कर दीवार से टेक लगा कर बैठ जाता है !
“अब जो होना था सो होगया वैसे से भी इसका जिंदा रहना हमारे लिए बहतर नही था सालों से बनायी हुई इज्जत पल भर में खाक हो जाती! बस समझ लेना के हमारी कोई बहन नही थी! अब इसकी मैय्यत को ठिकाना लगाना होगा , भैया क्यों ना हम ऐसा करे के इसकी लाश को उसी आम के बगीचे मे पेड़ से लटका देते है जहाँ यह हमारी इज्जत को बर्बाद करती आरही थी ! इसकी तरह दूसरी लड़कियों के लिये एक सबक होगा ” नरगिस के छोटे भैया ने बड़े भाई के बगल में बैठते हुए कहा !
“मगर छोटे लोगों को क्या जवाब देंगे और इतनी दूर आम के बगीचे तक इसे लेकर जायेंगे कैसे ?” नरगिस के बड़े भाई ने पूछा !
“हमें किसी से कुछ कहने की जरुरत नही है लोग सुबह में खुद हमे इसके मरने की खबर दे जायेंगे ! और रही बात के इसके लाश को आम के बगीचे में कैसे लेकर जाये उसका भी उपाय है मेरे पास रात काफी होरही है सभी बेखबर अपने अपने घरों में सो रहे होंगें मैं आराम से कांधे पर डाल कर नरगिस को लेजाता हूँ आप साथ मे रस्सी लेलो फिर रस्सी के सहारे टांग देंगे ठीक है !” नरगिस के छोटे भाई ने बड़े आराम से सारे प्लान बड़े भाई को बता दिया !
“शर्म आनी चहिये आप दोनों को किसी बेकसूर को जान से मार कर उसके मुर्दा जिस्म को ठिकाने लगाने की बात बड़े ही आराम से कर रहे हो ! अरे सगी बहन थी वो आप की !” नरगिस की बड़ी भाभी ने गुस्से से कहा फिर वो नरगिस की तरफ मुड़ती है !
“नरगिस ऐ नरगिस उठ देख मैं आगयी तेरे बेटे को किसी की हिफाज़त में रख कर वो उसे किसी अच्छे खानदान को गोद देदेंगे और हाँ उसका नाम रमीज़ रखने को कह दिया है मैंने देखना तेरा बेटा एक अच्छी ज़िन्दगी बसर करेगा मुझपर यकीन है ना तुझे !” नरगिस की बड़ी भाभी ने उसके मुर्दा पड़े जिस्म को झंझोड़ते हुए कहा ! मगर नरगिस अब कहा उठने वाली होती है वो तो जा चुकी थी इस दुनिया से!
“तू समझायेगी मुझे के क्या सही और गलत है ? बता किस के हवाले कर के आयी है तू इसके नाजायज़ बच्चे को, बता नही तो तेरी भी मौत मेरे हाथों लिखी है आज !” नरगिस के बड़े भाई ने अपनी बीवी को सर के बालों से पकड़ कर उठाया फिर थप्पड़ मारते हुए कहा !
“मर जाऊंगी मगर नही बताऊँगी जो करना है करलो !समाज, आस-पड़ोस, रिस्तेदार क्या कहेंगे? अरे कहने देते जिसे जो कहना होता गलतियाँ कौन नही करता मोहब्बत में अक्सर नादानियाँ हो जाती है इसका मतलब क्या के हम अपने अपनो को जान से मार देंगें !क़ातिल हो आप लोग क़ातिल नफरत और घिन आरही मुझे आप से !” नरगिस की बड़ी भाभी ने रोते हुए कहा ! तो उसके बड़े भैया बुरी तरह से फिर से उसे पिटने लगते है !
“रमज़ान भाई आप पागल होगये हो आस पड़ोस वाले सब उठ जायेंगे , भाभी को छोड़ो पहले इसे ठिकाने लगाते है , आप लोग जल्दी से इसके कपड़े बदल दो जिससे किसी को यह पता ना चले के इसका हमल हुआ है एक और बात सुबह में कोई भी कुछ ऐसा नही करेगा जिस्से किसी को भी हम पर शक हो ! पहले सब शांत हो जाओ हमे जो करना है मिल कर करना है!” नरगिस के छोटे भैया ने कहा !
“मुँह मत ताको जाओ जो छोटे ने कहा है चुप चाप करो वरना बची कूची कसर भी पूरी करदूँगा !” नरगिस के बड़े भाई ने गरजते हुए कहा तो उसकी दोनो भाभियाँ मिल कर उसके मुर्दा पड़े जिस्म की साफ सफाई कर के दूसरा लिबास पहना देती है !
नरगिस के छोटे भैया उसके लाश को चादर में लपेट कर अपने कंधे पर लिये आम के बागीचे की तरफ चल देता है उसके साथ उसके बड़े भाई रमज़ान भी हाथों में रस्सी लिए चल देते है ! उसके पीछे घर में उसकी बड़ी भाभी फूट फूट कर रो रही होती है! छोटी वाली को कोई मतलब ही नही रहता वो अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है!
इधर रात के सन्नाटे में नरगिस के दोनो भाई आम के बाग़ीचे में नरगिस की लाश को इस तरह लटका देते है जिससे लोगो को यह लगें के इसने फाँसी लगायी हो फिर वो दोनों चुप चाप वहाँ से निकल जाते है! अचानक उसकी नज़र ख्वाब में अपने दोस्त असलम पर पड़ती है जो छुप कर नरगिस का पेड़ पर लटकाये जाना हैरत से देख रहा होता है !
“असलम असलम देख यार इन्होंने मार दिया था मेरी नरगिस को और तूने यह सब देखा था फिर भी मुझे नही बताया था तूने मूझसे झुठ क्यों कहा था के नरगिस की शादी कही और हो गयी है तूने धोखा दिया मुझे मेरे दोस्त ! ” रमीज अपने दोस्त असलम से कहता है मगर वो कोई जवाब नही देता क्यों के रमीज अपने ख्वाबों के एक ऐसे सफर पर होता है जहाँ सिर्फ वो सब कुछ देख सकता है महसूस कर सकता है सुन सकता है मगर कोई भी उसे ना ही देख सकता है और ना ही सुन सकता है!
रमीज कुछ देर फटी फटी आँखों से पेड़ से लटकी नरगिस की लाश को देखता रहता उसका मन अंदर से बेचैन सा होने लगता है तो वो नरगिस के पैरों के पास खड़ा जोर जोर से दहाड़े मार कर रोने लगता है !
“रमीज भाई रमीज भाई क्या हुआ आप को? आप इस तरह नींद में जोर जोर से क्यों रो रहे हो? ” इमाम साहब ने रमीज को उठाते हुए कहा !
रमीज बिना कुछ कहे खटिये से उठ कर अपने कमरे के समाने बने चबूतरे पर चेहरे को हाथों की हथेलियों में रख कर बैठ रोने लगता है! इमाम साहब को रमीज का इस तरह रोना थोड़ा अजीब लग रहा होता है! वो रमीज के पास कुछ देर खड़े उसे रोता हुए देखते रहते है फिर रमीज के काँधे पर हाथ रख कर नरमी के साथ पूछते है!
“वो तो मैं अचानक किसी काम से इधर से गुज़र रहा था के आप के रोने की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी तो मैं इधर चला आया ! रमीज भाई अगर आप कुछ बताओगे नही और इस तरह बस रोते रहोगे तो मुझे कैसे पता चलेगा के आखिर बात किया है ? “
“कुछ नही इमाम शाहब बस माज़ी के कुछ कड़वे सच पता चले आज , जिसे मैं सोचता था के जिंदा है अपनी जिंदगी में खुश है वो असल में सालों पहले मेरे वजह से मारी जा चुकी है! ” रमीज ने भरे गले से कहा!
“मैं कुछ समझा नही रमीज भाई कैसा सच माज़ी का खुदा के वास्ते आप सारी बातें तफ़्सील से बताये सायेद मैं आप का दुःख कुछ कम कर सकु! ” इमाम साहब ने समझाते हुए कहा!
“मैं ने जो भी देखा है महसूस किया है अगर मैं आप को बताऊंगा आप यक़ीन नही करोगे! ” रमीज ने जवाब दिया!
“क्यों नही करूँगा यक़ीन ? आप कह के तो देखो मुझे !”इमाम साहब ने रमीज़ के करीब बैठते हुए कहा !
“इमाम साहब आप हमेशा पूछते थे ना के मैंने शादी क्यों नही की आज मैं उसकी असल वजह बताऊंगा शुरू से आप को !”रमीज़ ने कहा !
“हाँ रमीज़ भाई बताये !” इमाम साहब ने पूछा !
“मैं जब जवां था तब मुझे अपने ही गांव की एक प्यारी सी लड़की पसंद आगयी थी जिसका नाम नरगिस था मैं उससे पहली बार आम के बागीचे मे मिला था ! उसे कच्चे आम बहुत पसंद थे इसलिए अकसर वो हमारे गांव के ही एक सुनसान पड़े आम के बगीचे में गर्मियों में आम चुनने आती थी !अपने घर वालों से छुप कर! और मैं अक्सर तन्हाई और सुकून के पल गुज़ारने के लिए आम के बगीचे में पेड़ो के नीचे सो जाया करता था ! एक रोज की बात है के मैं गहरी नींद में सोया हुआ था के एक छोटी सी ईंट मेरे सर पर जोरों से जा लगी मैं सर सहलाते हुए जब उठा यह देखने के लिए के आखिर मुझे पत्थर किसने मारी है तो देखा के वो बड़े ही मासूमियत के साथ कच्चे आम उठा उठा कर अपने दुपट्टे में जमा कर रही होती है! उसे देखते ही मैं अपने चोट का दर्द भूल गया और बस उसे देखता रह गया! ” रमीज ने आहे भरते हुए कहा!
“फिर क्या हुआ था रमीज भाई आगे बताये! ” इमाम साहब ने कहा!
“फिर क्या? मैं खुशी खुशी उसकी मदद करने लगा आम तोड़ने में, मैं पेड़ पर चढ़ कर पेड़ की डाली को जोर जोर से हिलाता जिससे अंगिन्त आम ज़मीन पर बिखर जाते और वो खुशी खुशी सभी आमों को समेट अपने घर चली जाती इस तरह हमारी दोस्ती प्यार में बदलती गयी फिर एक रोज मैंने खुद के ही गुलाब के लगाये पौधे से गुलाब तोड़ कर उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार करदिया! ” रमीज कहता हुआ रुक जाता है!
“आप तो आशिक़ मिज़ाज़ थे रमीज़ भाई और आप अपनी नरगिस को याद कर रो रहे थे! ” इमाम साहब ने पूछा!
‘हाँ उसी को याद कर के रो रहा था आज, कुछ दिनों से मेरे साथ कुछ अजीब सा हो रहा है ! मतलब यह के जब भी मैं सोता हूँ मुझे मेरे अतीत के पल ख्वाब में आते है कुछ ऐसे वाक्यात् भी जो मैं नही जानता था के मेरे पीछे मेरे अपनो के साथ हुआ है! ” रमीज ने कहा!
“मतलब आप यह कहना चाहते हो के आप के सामने सपने में वो सारे पल दिखते है जो आप ने जिये है और वो भी जो आप नही देख पाये! ” इमाम साहब ने हैरान होते हुए कहा!
“हाँ इमाम साहब मैं वही कह रहा आप मुझे बता सकते हो इस तरह के ख्वाब आने की वजह ! ” रमीज ने पूछा ! रमीज़ की बातों को सुन इमाम साहब परेशान से हो जाते है!
“हाँ हाँ जरूर बताऊंगा और आप की और नरगिस की कहानी भी सुनूँगा फिल्हाल मगरिब की अज़ान का वक़्त हो चुका है जाता हूँ अज़ान देने आप भी वज़ू कर के आजाओ नमाज़ के लिए! ” इमाम साहब कहते हुए उठ कर चले जाते है!
क्रमश :Lette Hi Neend Aagyi-12
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शमा खान
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