Lette Hi Neend Aagyi-12

लेटते ही नींद आ गयी-12
अपने ख़्वाबों से बेचैन रमीज़ मगरिब की नमाज़ पढ़ वापस इमाम साहब के पास बैठ जाता है और सवालियां नज़रों से उनकी तरफ देखता है !
“रमीज़ भाई क्या होगया है ? आप इस तरह मुझे क्यों देख रहे हो ? सब खैरियत तो? ” इमाम साहब ने पूछा !
“आप से मेरे ख़्वाबों से मुतालिक जवाब का तलब गार हूँ आप यक़ीन नही करेंगे मगर इन ख्वाबों ने कई रोज से परेशान कर रखा है मुझे जब सोता हूँ कुछ ना कुछ देखता हूँ ऐसा लगता है जैसे मैं हक़ीक़त से ज्यादा अपने ख़्वाबों में जी रहा हूँ बस अब आप ही मेरे सवालों का जवाब दे सकते हो आप को मालूम है ना इस दुनिया में वाहिद आप ही मेरे दोस्त हमदर्द और मेरे आपने हो !” रमीज़ ने एक लम्बी सांस लेते हुए कहा !
“बेशक रमीज़ भाई हमदोनों ही एक दूसरे के अपने है मगर देखियें रमीज़ भाई यह तो मुझे भी सही से नही मालूम के आप को ऐसे ख्वाब क्यों आरहे? मगर मैं फिर भी तफसील से पता कर के आप को बताऊंगा फिलहाल आप परेशान ना हो और घर जा कर आराम करें जैसे ही मुझे पता चलेगा मैं आप को बता दूँगा !” इमाम साहब ने समझाते हुए कहा ! उनकी बातों से रमीज़ को साफ समझ आरहा होता है के वो कुछ उससे छुपा रहे है फिर भी वो बिना कुछ कहे मस्जिद से निकल कर क़ब्रिस्तान कि तरफ चल देता है!
रमीज़ के सवालों का जवाब ना देकर इमाम साहब भी दुःखी होजाते है मगर वो बेचारे कुछ भी ऐसा नही कहना चाहते है जिससे रमीज़ को परेशानी हो !
दिन का सूरज डूब चुका था , धीमी धीमी चलती सर्द हवाये रमीज़ के वजूद को एक हल्की सी सर्द लहर दे जा रही होते है बादल का उमड़ना अपने उरूज पर होता है ! हमेशा सन्नाटा रहने वाले क़ब्रिस्तान में आज लोगों की चहल पहल लगी होती है सभी अपने अपने अज़ीज़ों के क़बर के पास खड़े फातिहा और उनकी मगफिरत की दुआ पढ़ने में मशगूल रहते है ! रमीज़ भी कुछ वक्त के लिये जाकर अपने माँ बाप की क़बर के पास बैठ जाता है और उनकी मगफिरत के लिये दुआ करने लगता है ! आज उसने सही से खाना भी नही खाया होता है भूख की शिद्दत उसे अब महससू हो रही होती है ! मगर आज उसने खाने के लिए कुछ भी नही बनाया होता है !
“आज बहुत परेशान लग रहे हो रमीज़ लगता है सवालों के जवाब अधूरे है अभी भी वैसे एक बात बताऊं कुछ सवालों का जवाब ना मिलना ही बेहतर है मेरा मतलब है के कुछ सवाल बस सवाल बन कर रहे उनके जवाब हासिल ना हो तो ही बेहतर होता है हमारे लिए!” अचानक नक़ाब पोश औरत रमीज़ के सामने आते हुए कहती है !
“जी बिल्कुल नही मैं भला परेशान क्यों होने लगा मैं बिल्कुल ठीक हूँ और हाँ सही कहा आप ने कभी कभी जरूरी नही होता सवालों के जवाब मिलना !” रमीज़ ने फौरन जवाब दिया !
“आप के चेहरे से परेशानी साफ झलक रही है रही बात सवालों के जवाब की वो एक रोज तुम्हे जरूर मिलेगा! खैर कोई बात नही मैं आप की मुश्किलें बढ़ाना नही चाहती! वैसे मैंने आप के कमरे के बाहर खाना रख दिया है भूख लगी है आप को जा कर खा लो वरना खाना ठंडा होजायेगा तो स्वाद नही आयेगा !” नक़ाब पोश खातून ने कहा !
“आप को कैसे पता चला के मुझे भूख लगी है? क्या आप मुझपर नज़र रखती है ? मतलब मुझसे जुड़ी हर बात आप को कैसे मालूम हो जाती है !” रमीज़ ने सवाल किया !
“कुछ बातें समझ आजाती है इसमें नज़र रखने वाली कौनसी बात है आज आप ने एक साथ पाँच क़बर खोदे हैं ऊपर से बारिश की वजह से गांव के लोग आप को खाना भेजना भूल जाते है , और मैं तो अक्सर क़स्ब्रिस्तान आती जाती रहती हूँ इसलिए सब पता रहता है मुझे तो आज आते वक़्त अपने साथ खाना ले आयी !” नकाब पोश खातून ने कहा ! वो जब जब कुछ कहती उसकी आवाज़ में अजीब सी खनक होती जो गूँजती हुई महसूस हो रही होती है !
“जी बहुत बहुत शुक्रिया आप का मैं ईशा की नमाज़ के बाद खा लूँगा , अंधेरा होने को है सभी अपने घर को जारहे आप भी चली जाए बारिश भी होने वाली है !” रमीज़ ने चारों तरफ देखते हुए कहा !
“रमीज़ आप को तो पता है ना मैं अक्सर रात में ही अपने बेटे के क़बर के पास ठहरती हूँ ! मेरी फिक्र ना करे आप जाये जाकर खाना खा ले !” नक़ाब पोश खातून ने कहा !
“ठीक है जाता हूँ मुझे पता है आप मेरी बात नही मानेंगी खैर पहले मैं जरा क़ब्रिस्तान के दोनों तरफ के दरवाजे लगा लूँ !” रमीज़ कहता हुआ चला जाता है ! पहले वो सामने का मैन गेट बंद करता है फिर दूसरी तरफ जाता है ! चलते हुए अचानक उसकी नज़र क़ब्रिस्तान के आखिरी छोर पर पड़ती है जिधर शबीना और उस लड़की की क़बर होती है !
तभी रमीज देखता है के शबीना भयानक शकल में अपने ही कबर पर बैठी सिसकियां लेती हुई उसे ही देख रही होती है! उसके बाल खुले और काफी लंबे होते है !
“रमीज रमीज इधर आओ …..मैंने कहा इधर.. आओ, सुनो मेरी बात तुमने तो मुझे धोखा दे दिया क्यों मारा मुझे? बताओ क्या गलती थी मेरी? मैं तो बस हमेशा जवान दिखना चाहती थी इसलिए मैंने काले जादू का सहारा लेना चाहा और मैं कमयाब भी होजाती मगर तुमने सब खराब कर दिया बताओ रमीज क्यों किया तुमने ऐसा? बिना गुसुल और नमाज़ जनाजा के मुझे दफना दिया तुम्हारी वजह से मुझे अब तो आलम बर्जख में जगह भी नही मिलेगी अब क्यामत तक मुझे भटकना पड़ेगा इस दुनिया में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे वजह से !” शबीना की भटकती हुई रूह ने रोते चिल्लाते हुए रमीज से कहा !
रमीज तो बस फटी फटी आँखो से उसके भयानक शकल और लंबे बिखरे बालों को देख रहा होता है! उसे समझ नही आरहा होता है के वो आखिर क्या कहे? क्या करे ?
“इसमे मेरी गलती नही है अगर मैं तुम्हे नही मारता तो तुम उस मासूम बच्ची के रूह को भी नही छोड़ती और मुझे तुम दोनों में से किसी एक को चुनना था सो मैंने उस बच्ची की रूह को निजात दिलाना सही समझा, वैसे भी जीते जी उसके जिस्म के साथ बहुत बुरा हो चुका था मरने के बाद भी उसके रूह के साथ बुरा होने देता तो इंसानियत शर्मशार होजाती दोबारा इसलिए मुझे तुम्हे मारना पड़ा बाकी तुम अगर मोमिन होती तो इस तरह नही भटकती अल्लाह तुम्हे आलम-ऐ-बरजख में जगह जरूर देता मगर तुम्हारी तो नियत ही सही नही थी! ” रमीज ने थोड़ा हिम्मत करते हुए कहा ! तो शबीना की रूह अजीब सी भयानक आवाज़ में घुटनो में सर रख कर रोने लगती है !
“यह अब इसी तरह भटकते रहेगी इसकी गलतियों की यही सजा है रमीज़ आप जाओ अपना काम करो यह अपने कबर से आगे कही नही जा सकती ना ही अब ये किसी का कुछ बिगाड़ सकती है इसकी जगह बस इसकी कबर तक महदूद है! यह मरने के बाद खुद के बिछाये काले जादू के जाल में फस गयी है! “नक़ाब पोश औरत ने रमीज के पास आकर कहा !
“तो क्या ? यह आप को भी दिख रही है क्या ? और …और आप को कैसे पता चला के यह बस अपनी क़बर तक क़ैद है अपने काले जादू के आमाल के वजह से !” रमीज़ ने सवाल किया !
“हाँ मैं भी इसे देख पा रही हूँ मुझे पता है के इसे कल रात को ही आप ने मारा है और वजह भी मुझे मालूम है आप ने जो किया सही किया कुछ लोगों का मर जाना ही सही होता है ! वरना ना जाने वो कितने लोगों की ज़िंदगी के साथ गंदा खेल खेल जाये और हाँ आप बे फिक्र रहिये मैं इस शबीना के बारे में किसी को नही बताने वाली हूँ यकीन रखिये मुझपर इसे यही पर रहने दे चलिये हम चलते है ! “नक़ाब पोश औरत ने मुस्कुराते हुए कहा !
” हाँ ठीक है यकीन है मुझे आप पर … चलिये अब चलते है ! आप अपने जगह और मैं अपनी वैसे क़ब्रिस्तान में तो हर रोज कुछ ना कुछ वाक़या पेश आता ही रहता है मैं तो धीरे धीरे इन सब का आदी होता जा रहा हूँ !” रमीज़ ने चलते हुए कहा ! जवाब ना पाकर जब वो पीछे मुड़ता है तो उसे ना शबीना की रूह दिखती है और ना ही वो नक़ाब पोश औरत ! अपनी पेशानी पर आरहे पसीने को कुरते की आस्तीन में पोछते हुए रमीज़ कमरे की तरफ चल देता है ! हाथ मुँह धो कर दरवाज़े की दहलीज पर रखे खाने के बर्तन को उठा कर खाना खाने बैठ जाता है! रमीज जैसे ही खाने का बर्तन खोलता है तो उसमे उसके पसंद के छोले बटुरे होते है जिसे देख उसकी आँखे नम होजाती है क्यों के पसंद का खाना खाये उसे एक आर्शा हो चुका होता है! रमीज खाने का निवाला जैसे ही मुँह में लेता है उसे नरगिस के हाथ के बने छोले बटुरे की याद आजाती है!
“कितने प्यार और सफ़क़त् से वो मुझे मेरे पसंद के खाने बना कर खिलाया करती थी अकसर कहती थी रमीज़ तुम मेरी पसंद हो तो मैं तुम्हारी पसंद का हमेशा ख्याल रखूंगी हमेशा मेरा ख्याल भी रखती थी काश के मैं अच्छे काम के तलाश में शहर में ना भटका होता तो आज मेरी नरगिस ज़िंदा होती ! वो मेरी ना भी होती मगर ज़िंदा होती इस दुनिया मे एक अच्छी ज़िन्दगी जी रही होती मेरे वजह से उसे बेरहमी से मार दिया गया और मुझे आज तक खबर तक नही थी के मेरी नरगिस मर चुकी है कब का ….मेरी वजह से उसे बेरहमो की तरह मार दिया !” रमीज़ खुद से ही रोते हुए कहता है ! पसंद का खाना होते हुए भी उसके गले मे वो अटक रहा होता है ! तभी एक नुस्वानी आवाज़ रमीज़ के कानों से टकराती है!
“रमीज़ मेरे साथ जो भी हुआ उसमें तुम्हारी कोई गलती नही हर एक के मौत का वक़्त और वजह तय है सब को उसी तय वक़्त में यह दुनियां छोड़ कर जाना पड़ता है ! मेरी ज़िंदगी उतनी ही थी बस दुःख इस बात का था के तुम्हे खबर नही थी के तुम्हारी नरगिस अब इस दुनिया में नही रही , मैं जहाँ भी हूँ हमेशा तुम्हारे साथ हूँ गम ना करो और खा लो खाना !”
रमीज़ खाना छोड़ दौड़ते हुए आवाज़ की सिम्त दौड़ाता हुआ कब्रिस्तान में चारो तरफ तलाश करने लगता है मगर उसे कोई नही दिखता है !
“मुझे तलाश मत करो रमीज़ अब मैं खाकी नही हूँ बस एक हवा हूँ जो महसूस तो होता है मगर दिखता नही है जहाँ भी हूँ तुम्हारे क़रीब हूँ !”
रमीज़ को फिर निस्वानी आवाज़ सुनायी देती है वो पागलों की तरह क़ब्रिस्तान में नरगिस नरगिस आवाज़ लगाते हुए ढूंढ़ने लगता है मगर उसे कुछ भी नही दिखता है थक हार कर वो वापस आकर अपने कमरे के बाहर बने चबूतरे पर आकर बैठ जाता है और नम आँखों से फिर से कब्रिस्तान में चारो तरफ नज़रे दौड़ाता है तो उसे वो नक़ाब पोश औरत अपने बेटे के क़बर के पास दिखती है तो रमीज़ उठ कर उसके पास जाता है !
“सुनिये क्या आप ने अभी अभी यहाँ पर किसी लड़की को देखा है या किसी लड़की की आवाज़ सुनी है !” रमीज़ ने पूछा !
“जी नही मैंने ना किसी लड़की को देखा है और ना ही किसी की आवाज़ सुनी है आखिर क्या माज़रा है? आप बता सकते हो मुझे !’
“जी.. जी वो कुछ नही बस ऐसे ही मुझे लगा किसी ने मुझे आवाज़ लगायी है बस इतना ही!” रमीज़ ने कहा !
“मैंने तो आप को कहा था यह क़ब्रिस्तान है यहाँ पुर इशरार वाकियों की कमी नही है ! इस तरह अनजान आवाज़ों के पीछे जाना सही नही होता जाये अपने कमरे में और खाना खा कर सो जाये अभी तो ख्वाबों का सफर अधूरा है!” नक़ाब पोश औरत ने कहा !
”जी ठीक है जाता हूँ आप भी जाये अपने घर !” रमीज़ कहता हुआ अपने कमरे में चला जाता है खाना खा कर अपनी चारपायी पर लेट जाता है लाल आँसुओ से भरी आँखे अपनी वो धीरे धीरे बंद करता है जिससे लेटते ही उसे नींद आजाती है नींद की गहराईयों में डूब कर वो फिर से ख्वाबों की दुनियाँ में सफर करने लगता है !
क्रमश- लेटते ही नींद आगयी – 13
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शमा खान
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