Shah Umair Ki Pari-01

Shah Umair Ki Pari-01 season 02
दूसरी दुनियाँ ज़ाफ़रान कबीला
महल की छत पर पड़े चारपाई पर उमैर लेटे हुए किसी बात को सोचते हुए अपने आप में मुस्क़ुरा कर अंगड़ाइयाँ ले रहा होता है..! उसे ऐसा करते देख अमायरा और नफीसा एक दूसरे को इशारा कर हँस रही होती है..! मगर उमैर इन सब से बेखबर अपनी दुनिया में मगन कोई गीत गुन गुन रहा होता है..!
“अमायरा आपी देखे ना उमैर भाई चारपाई पर पड़े कैसे मौसम का मज़ा ले रहे है..! क्यों ना इनको थोड़ा छेड़ा जाये..?” नफीसा धीरे से अमायरा के कानों में कहती है..!
“बात तो तुमने सही कही है..!” अमायरा धीरे से जवाब देती है..!
“उमैर भाई आप को क्या हो गया है….? कुछ दिनों से इधर ही मजनू बने पड़े रहते हो..? परी भाभी की याद नहीं आ रही क्या आप को..? उन के पास नहीं जाना है क्या..? जब शादी नहीं हुई थी तब तो उसने मिलने के लिए बड़े बेताब रहते थे कभी आईने के इस पार तो कभी उस पार और तो और उनके आगे पीछे घूमते रहते थे..!” अमायरा उमैर से कहती है !
उमैर अमायरा की बात को सुनी अनसुनी कर देता है और वापस अपनी धुन में लेटे हुए अपने पैरो को हिलाते हुए गीत गुन गुना रहा होता है !
“अमायरा आपी उमैर भाई ने ज्यादा तंग किया होगा तभी परी भाभी ने इधर भगा दिया होगा..! उमैर भाई को झेलने की हिम्मत सिर्फ हम दोनों बहनों में है..! बाकी इन्हें बरदाश्त करना किसी की बस की बात नहीं है..!” नफीसा उमैर को छेड़ते हुए कहती है..!
“तुम्हारे कहने का क्या मतलब..? मेरी परी मुझे झेलती है..? और अमायरा यहाँ पड़ा हु से क्या मतलब है..? ये दुनियाँ सिर्फ तुम दोनों का ही नहीं है..? यहाँ मेरा भी घर है..! मेरी जब मर्ज़ी होगी मैं यहाँ आऊंगा जाऊंगा तुम दोनों को आखिर दिक्कत क्या है..? यह बताओ..?” उमैर चारपाई से उठते हुए कहता है..!
“उमैर भाई हमें आप के यहाँ रहने से कोई दिक्कत नहीं है..! मगर आप नूर और परी भाभी को अकेले इतने दिनों तक क्यों छोड़ आये है..? कही पिटाई तो नहीं हुई है आप की ससुराल में..? वैसे उमैर भाई मालूम चला है के आज कल परी भाभी अपना सारा गुस्सा आप पर ही उतारती है..? क्यों सच कहा ना..?” नफीसा अमायरा को आँख मारते हुए कहती है !
“परी की इतनी हिम्मत नहीं के वो मुझे घर से निकाले ना ही वो इतनी बेगैरत है के अपने शौहर पर हाथ उठाये…! हमारे निकाह को चार साल गुज़र गये मगर आज भी हम दोनों एक दूसरे से बे इंतिहां मोहब्बत करते है ..! वो अलग बात के है आज कल मेरी परी छोटी छोटी बातों पर नाराज़ होने लगी है ..! वो क्या कहते है इंसानी दुनिया में..? Mood swing होता रहता है उसका..! ” उमैर अंगड़ाइयां लेते हुए कहता है..!
“अच्छा जब ऐसा है तो आज ही आप अपने ससुराल जाये यहाँ क्यों पड़े है फिर..? क्या मालूम परी भाभी का कुछ ज्यादा ही mood swing ना होजाये और आप की खैर ना रहे !” अमायरा कहती है..!
“अरे भाई शादी सुदा आदमी हूँ ज़िम्मेदारी को साइड कर के यहाँ सुकून के दो पल गुजारने आया हूँ..! और क्या सिर्फ तुम लड़किया ही मायका जा सकती हो..? हमारा भी तो मायका होता है..! वो अलग बात है मेरा यहाँ खुश रहना तुम दोनों से देखा नहीं जा रहा..! क्यों सही कहा ना..? ” उमैर बड़े ही मासूमियत के साथ कहता है..!
उमैर की बात सुनते ही अमायरा और नफिशा हँसने लगती है जिससे उमैर चिढ़ सा जाता है !
“अमायरा आपी बाकी लड़के शादी कर के अपनी बीवी को विदा करा कर घर लाते है और एक हमारे उमैर भाई है जो खुद विदा होकर इंसानी दुनियाँ में ससुराल में घर जमाई बने पड़े रहते है..! बेचारे कुछ दिनों के सुकून के लिए ससुराल से मायका आए हुए है..! क्यों ना इनकी खातिर तवज्जह की जाये !” नफीसा उमैर को फिर से छेड़ते हुए कहती है..!
“हां अभी के अभी इनके लिए लजीज पकवान बनवाते है..! शहजादे थक गए होंगे ससुराल वालों की खिदमत कर के..!” अमायरा कहती है..!
“अमायरा तू तो नफीसा का साथ मत दे और नफिशा की बच्ची क्या कहा तूने ..? मैं और घर जमाई तुझे बात करने का सुहूर (manners) नहीं है तू रुक अभी तुझे बताता हूँ..! दो चार दिन मैं सुकून के नहीं गुजार सकता इसकी नजर लगी पड़ी है..!” उमैर नफिशा के पीछे भागते उसके बाल पकड़ कर मारते हुए कहता है..!
“उमैर भाई रुकिये किया कर रहे हो आप और नफिशा की बच्ची तेरी शादी हो गयी है मगर तुझे भी अभी तक अक़ल नहीं आयी.. !” अमायरा दोनों को रोकते हुए कहती है ..!
“आ आ। .. मेरे बाल छोड़े उमैर भाई मुझे दर्द होरहा !” नफिशा दर्द से कराहते हुए कहती है..!
“रुक आज मैं तेरी शिकायत हनीफ से लगाऊंगा बहुत बोलती है तू..!” उमैर नफीसा के बाल खींचते हुए कहता है !
” खुद तो परी भाभी से डरते है मेरी शिकायत हनीफ से करेंगे ! उमैर भाई आप किसी से भी शिकायत कर ले मज़ाक आप का ही बनेगा !” नफीसा कहती है !
“मज़ाक तो तू बना रही मेरी, आज तो तेरी खैर नहीं…!” उमैर चिढ़ते हुए कहता है..!
तभी शाह ज़ैद छत पर आजाते है ..!
” शाह उमैर क्या बदतमीज़ी कर रहे हो तुम..! कुछ तो अपनी उम्र का लिहाज रखो छोटी है वो तुमसे..!” शाह ज़ैद उमैर को डांटते हुए कहते है !
अपने अब्बा को देख उमैर फौरन नफीसा के बाल छोड़ एक तरफ नजरें झुकाए खड़ा हो जाता है और अटकते हुए कहता है !
“जी.. जी.. वो अब्बा हुज़ूर ये मेरा मज़ाक उड़ा रही थी और तो और मुझे परी के घर का घर जमाई बोल रही थी बस इसलिए मुझे गुस्सा आया तो.. !” उमैर घबराते हुए कहता है !
“क्या जी जी लगा रखा है..? तुम्हारी हरकतें मजाक उड़ाने वाली ही होती है ..! यहां दिन रात अपनी बहनों में पड़े रहते हो..! बड़े हो गये हो शादी शुदा हो मगर तुम्हारा बचपना है के खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा कभी तो जिम्मेदारी समझो और काम पर लग जाओ…!” शाह जैद उमैर को डांट लगाते हुए कहते है..!
“वो अब्बा शहजादे इरफान कही काम से बाहर गए है और मुझे महल का ध्यान रखने के लिए कहा है इसलिए मैं यहां पड़ा था मतलब रुका हूं मतलब महल की देखभाल और अमायरा का भी ध्यान रख रहा हूं..!” उमैर अटकते हुए कहता है..!
“अमायरा आपी उमैर भाई तो गए अब ..! वैसे कई दिनों बाद ये नजारा देखने को मिल रहा है ..! क्यों है ना..? “नफीसा अमरूद खाते हुए अमायरा से कहती है..!
“बात तो तूने सही कही..! आज मुझे भी उमैर भाई की खिंचाई होने पर मजे आ रहे..! इधर आकर बैठ मेरे पास आराम से देखते है..! अमायरा मुस्कुराते हुए कहती है..!
“ना माकूल शहजादे ने तुझे महल में आराम फरमाने के लिए नहीं कहा है..! और अमायरा कोई बच्ची नहीं जो तू उसके पीछे पीछे घूम कर उसका ख्याल रखेगा जब देखो घर में घुसा रहता है.., जा जाकर महल का मोयना कर के आ देख जाकर के सभी गुलाम अपना काम सही से कर रहे है या नहीं और हां भले ही शहंशाह फरहान ने हमसे रिश्ता जोड़ कर हमे इज्जत वा मर्तबा दिए हो मगर तुम्हें फिर भी उनकी खिदमत करनी चाहिए..!” शाह जैद उमैर को समझाते हुए कहते है…!
“जी अब्बा अभी जाता हु..!” उमैर कहता हुआ वहां से जल्दी जल्दी निकल जाता है..!
उमैर के जाते ही जब शाह जैद नफीसा और अमायरा के तरफ देखते है तो दोनों ही इधर उधर देखने का नाटक करती है…!
“तुम दोनों ये हर वक्त दांत कया पिसती रहती हो तुम्हें कोई काम नहीं है..? जाओ जाकर काम करो..!” शाह जैद कहते हुए चले जाते ..!
“ये अब्बा भी ना नहीं सुधरने वाले उमैर भाई के साथ साथ हमारी भी डांट लगा दी.., हमने क्या किया था भला..? ” नफीसा नाक चढ़ाते हुए कहती है..!
“खैर अब मैं चलती हु देखु जरा मेरी शहजादी ज़ायरा आखिर किधर खेल रही है !” अमायरा नफिशा से कहते हुए चली जाती है !
शहर धनबाद में..!
आज टीम इंडिया और साउथ अफ्रीका के बीच t20 वर्ल्ड कप मैच टीवी पर चल रहा होता है..! हसन जी और रफ़ीक साहब दोनों सुबस से ही सोफे पर जमे बड़े ही धयान से क्रिकेट मैच देख रहे होते है..! नदिया जी वही पास में नूर के साथ खेल रही होती है..! उधर किचन से मोसल्सल खट पट की आवाज़ आरही होती है..!
“आज घर में ये तूफ़ान कैसा..?” हसन जी नदिया जी को इशारा कर के पूछते है तो वो उन्हें चुप रहने का इशारा करती है..!
“आने दो उमैर को घर उनकी खैर नहीं एक हफ्ते होगये है उनको गये और कोई खबर नहीं कहा है किधर है कुछ नहीं बताना बस जब मर्ज़ी जहां चाहे चले जाना..!” परी किचन में गुस्से से बर्तन पटकते हुए कहती है..!
“नदिया जी लगता है अब हमारे उमैर की खैर नहीं..! हमारी परी इस बार ज्यादा नाराज़ दिख रही है..”! हसन जी ने किचन में परी के बक बक करने और बर्तनों के गिरने की आवाज़ सुन कर कही..!
“मिया बीवी के बीच का मामला है मैं तो बीच में नहीं पड़ने वाली और आप भी चुप चाप से अपना वॉर्डल कप मैच देखे..!” नादिया जी कहती है..!
“तुम चुप रहो देखो मैं कैसे अभी अपनी बेटी का मूड सही करता हूँ..! परी बेटा आज वर्ल्ड कप में इंडिया जितने ही वाला है इसी ख़ुशी में जरा गरमा गरम चाय और पकोड़े बना दो हम इंतज़ार कर रहे है..!” हसन जी कहते हुए परी को आवाज़ देते हुए कहते है..!
“ऐसे उसका मिज़ाज़ दुरुस्त करेंगे आप..? चाय और पकोड़े बनवा कर..?” नदिया जी नाराज़ होते हुए कहती है…!
“तुम देखो तो सही मेरी बेटी है वो चाय पकौड़े बनाते ही उसका मिज़ाज़ दुरुस्त हो जायेगा देखना मुस्कुराते हुए कुछ ही देर में आएगी वो..!” हसन जी टीवी पर नज़र जमाये कहते है..!
काफी वक़्त गुज़र जाता है मगर परी का कोई भी जवाब किचन से नहीं आता है तो नादिया जी उठ कर किचन की तरफ परी को देखने जाती है तभी परी हाथ में चाय की ट्रे और पकोड़े लिए चली आरही होती है..!
“”लिजिए पापा चाय और पकोड़े खाये इससे आप की ख़ुशी दुगनी होगी मेरा मिज़ाज़ बेहतर नहीं होगा..! और इस बार आप दोनों में से कोई भी मेरे और उमैर के लड़ाई के बीच नहीं आएंगे..!” परी नाराज़गी से कहती है..!
“उमैर जब आये तब उससे लड़ लेना बेटा अभी तो जीत का जश्न मना लो इंडिया वर्ल्ड कप जितने ही वाला है क्यों रफ़ीक भाई..!” हसन जी चाय का कप रफ़ीक साहब को बढ़ाते हुए कहते है..!
“हाँ परी बेटा कई सालों में इस बार वर्ल्ड कप जीतने की पूरी उम्मीद लग रही..!” रफ़ीक साहब कहते है..!
“आप दोनों को तो सिर्फ मैच देखने से मतलब है..! मम्मी मैं अपने कमरे में जा रही आप नूर को खाना खिला कर सुला देना..!” परी कहती हुई अपने कमरे में चली जाती है..!
हसन जी और रफ़ीक साहब सोफे पर बैठे चाय और पकौड़ी का मज़ा लेते हुए वर्ल्ड कप मैच देख ही रहे होते है के अचानक से उमैर उनके बीच आकर बैठ जाता है और कहता है !” हेल्लो पापा लोग कैसे हो आप सब मेरे बिना ही चाय और पकौडे का मज़े ले रहे आप दोनों ..!
उसके अचानक से इस तरह आजाने से हसन जी और रफ़ीक साहब डर जाते है जिससे चाय का कप उनके हाथों से छूट कर फर्स पर जा गिरता है ! उमैर आराम से प्लेट से उठा कर मज़े से पकोड़े खाने लगता है !
“नदिया जी ये कैसा दामाद पाल लिया है आप ने कभी भी कही चला जाता है और कहीं से भी आ टपकता है हमारी चाय ही गिरा दी..!” हसन जी नाराज़ होते हुए कहते है..!
“ये कैसी बात कर रहे है आप दामाद है वो आप का कुछ तो लिहाज करे जो मुंह में आरहा आप बोल रहे .., उमैर बेटा तुम जब तक पकौड़े खाओ मैं अभी आयी तुम्हारे लिए चाय लेकर !” नदिया जी कहती हुई जैसे ही किचन के तरफ जाने के लिये उठती है वैसे ही परी सामने आकर खड़ी होजाती है और कहती है !
“मम्मी कोई जरूरत नहीं है चाय लाने की इनसे कह दो ये वापस अपनी दूनिया चले जाये यहां इनकी कोई जरुरत नहीं..!”
परी की आवाज़ सुनते ही उमैर पकौड़ी वापस प्लेट में रख देता है..!
“पापा परी मुझसे नाराज़ है किया..? वो मुझसे पहले तो कभी ऐसे बात नहीं करती थी !” उमैर ने हसन जी को धीमे से कहा..!
“नहीं वो तो प्यार से बात कर रही तुमसे बेटा ये तो तुम ही जानो के परी तुमसे नाराज़ है या नहीं बीवी है वो तुम्हारी बाकी बेटा इन औरतों के मिज़ाज़ उफ्फ अल्लाह खैर करे ना जाने कब इन्हे कौनसी बात पर नाराज़ होजाये मालूम ही नहीं चलता..!” हसन जी भी धीमे से कहते है..!
“अच्छा … तो पापा अब मैं क्या करू..?” उमैर हसन जी से पूछता है !
“करना क्या है..? जाओ माफ़ी मांगो यही उसूल है शादी सुदा ज़िन्दगी की बेटा गलती किसी की भी हो माफ़ी हमेशा एक शौहर को मांगनी चहिये !” हसन जी कहते है..!
“मगर पापा मालूम भी तो हो के मैंने आखिर किया क्या है..? जिसकी मुझे माफ़ी मांगनी है !” उमैर धीमे से कहता है !
इससे पहले हसन जी कुछ कहते उनकी नज़र परी पर पड़ती है जो गुस्से में दोनों को घूर रही होती है !
” होगया आप दोनों का..? और आप जनाब उमैर उधर क्या खुसुर फुसुर चल रहि ? मस्वारा लेना देना होगया हो तो जनाब शाह उमैर चलो कमरे में मैं बताती हूँ के तुमने क्या किया है..? ” परी गुस्से में कहती हुई वापस अपने कमरे में चली जाती है और जोर से दरवाज़ा बंद कर देती है !
“आज से पहले मैंने परी को इस तरह नाराज़ होते नहीं देखा था !” उमैर कहता है !
“बेटा उमैर आज तो तुम्हारी खैर नहीं..!” हसन जी मुस्कुराते हुए उमैर की पीठ थपथपाते हुए कहते है !
“शर्म नहीं आती आप को ऐसी बात करते हुए कुछ तो लिहाज करो..!” नदिया जी हसन जी से कहती है !
“लो देखलो LIVE बिना वजह के नाराज़ हो रही है यह !” हसन जी कहते है !
“अब आप दोनों तो ना लड़े..! मुझे वैसे भी बहुत डर लग रहा..! मम्मी आप चाय देंगी मुझे जल्दी से आखिर शेरनी का सामना करने जाने है !” उमैर नदिया जी से कहता है !
“हाँ बस अभी लायी..!” नदिया जी कहती है..!
” हम जीत गये मैच !” रफ़ीक साहब और हसन जी वर्ल्ड कप जितने की ख़ुशी से उछलते हुए कहते है !
“और मैं तो अब नॉक आउट होने वाला हूँ..!” उमैर चाय की चुस्कियां लेते हुए कहता है..!
क्रमशः 02
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शमा खान
(तेरा होना रब की रहमत , है तेरी वजह से सारी रौनकें ..,तेरी दोस्ती तेरी मोहब्बत , है तेरी वजह से सभी गुल खिले !! )
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