Shah Umair Ki Pari-03

शाह उमैर की परी – 3
शहर धनबाद में:-
“आज छुट्टी के दिन का क्या प्लान है परी? ”मम्मी ने पूछा।
“आप बताओ मम्मी क्या करूँ?”
“बेटा अपना रूम साफ़ कर लेना और कुछ हल्का नाश्ता भी बना देना, आज मेरी तबियत थोड़ी खराब है और तेरे
पापा तो सुबह से बाहर निकल गए है, कहते हैं आज जलेबी खाने का मन है।“परी की मम्मी अपने सिर पर चुन्नी
बांधते हुए कहती है।
“क्या हुआ है आपको? सिर में दर्द है? मालिश करदूं? ”परी अंगड़ाई लेते हुए बेड पर बैठे हुए पूछती है!
“होना क्या है? उम्र होचली है घुटनो में दर्द बना ही रहता है और आजतो सिर भी बहुत दर्द दे रहा है।” नादिया जी
परी से कहते हुए अपने कमरे में आराम करने चली जाती है !
“ये संडे तो गया परी, आज ही मम्मी के सिर में दर्द होना था? क्या खुदा,सोचा था कि आज थोड़ा आराम से देर तक
सोऊंगी। चल परी काम पर लगजा। ” बालो को समेटते हुए परी बेड से उतरते हुए कहती है ! फ्रेश होकर पुरे कमरे
मेंनज़र दौड़ाती है ! “सबसे पहले किचन का काम निपटा ना चाहिए,फिर रूम साफ़ करुँगी।“
परी अपने पापा मम्मी और खुद के लिए नास्ते में अंडे, ब्रेड की सैंड विच औरसाथ में पसन्दी दा चाय बनाती है!
“मम्मी पापा आजाओ नाश्ता रेडी है।“किचन से ही आवाज़ लगाते हुए टेबल तक पहुचकर, समान टेबल पर रख
कर बैठ जाती है!
“मैं सही टाइम पर आगया, क्यों परी बेटा? अब नाश्ते में जलेबी भी है।” हसन जी अपनी व्हील चेयर को चलाते हुए
कहते है और नाश्ते की टेबल के पास आकर जलेबी परी की ओर बढ़ा देते है !
“वाह पापा ! गरमा गरम जलेबी वो भी मेरे पसंद की। मम्मी आप आरही हो? या मैं सारी जलेबी खालूँ?” परी
जलेबी का टुकड़ा मुँह में डाल ते हुए अपनी मम्मी को आवाज़ लगाती है !
“आ रही हूँ बाबा रुक जा जरा।“’ नादिया जी कहते हुए अपने कमरे से निकलती है और नाश्ते की टेबल पर बैठ कर
चाय का घूंट भरने लगती है।
“परी, बॉस से बात हुई कुछ? सैलरी कब तक मिलने की बात कही उन्होंने? ”हसन जी परी से पूछते है!
“नहीं पापा बॉस ने कहा है नेक्स्ट मंथ सैलरी देंगे इस महीने कुछ प्रॉब्लम है उन्हें।” परी खाने में मगन होकर
कहती है।
“वो है ना ऊपर बैठा खुदा । सब अच्छा ही करेगा। ” हसन जी बोलकर, कुछ सोचते हुए नाश्ता करने लगते है। परी
किचन, मम्मी पापा का रूम और हॉल रूम की सफाई करके अपने कमरे में आती है ! सारे कपड़ो को तह लगाकर
अलमिरा में रखती है और बेड के चादर ठीक करके एक पुराना कपड़ा लेकर आईने को पोछती है, जब वो शीशे को
साफ़ करती है तो उसे एक रिफ्लेक्शन महसुस होता है जैसे आईने के अंदर कोई कपड़ा हिला और एक लड़की खड़ी
हो! वो डर कर पीछे होजाती है !
“जरूर ही दादी होंगी जो अबतक इस आई ने के पास हैं। मैं भी पागल हूँ बिल्कुल। “आपस में ही बड़बड़ा कर परी
जोभी महसूस किया उसे वहम समझ कर फिर से वापिस शीशे को पोछने लगती है और इस बार उसे कुछ महसूस
नहीं होता।
परी सारे काम निपटा कर अपनी मम्मी को आवाज़ देती है।
“मम्मी सब काम होगया है अब नहा कर आती हूँ।“
ब्लैक ट्रॉउज़र और ब्लैक टीशर्ट पहनकर रेडी होकर निकलती है और अपने मम्मी के पास जाकर कहती है।
“मम्मी मैं कुछ काम से बाहर जार ही हूँ थोड़ी देर में आ जाऊंगी आप दरवाज़ा लगालो, और टेबलेट खाई आपने?”
“कहा जारही हो बेटा आज तो संडे है? ” हसन जी कहते है।
“पापा संगीता के घर जारही हूँ, बहुत दिनों से बुला रही है। मिले हुए भी काफी दिन होगए है। “परी कहते हुए जुते
पहनती है और चली जाती है ! घर से बाहर निकल कर परी मोबाइल निकाल कर कॉल लगाती है !
“हेल्लो नागेंद्र किधर हो तुम? मैं घर से निकल गयी हुँ। बस पांच मिनट में पहुँच जाउंगी।तुम यार, बस मेरा काम
करादेना।“
“ठीक है परी, मैं ने बात करली है डोंट वरी काम होजाएगा! मैं भी पांच मिनट में पहुँच रहा हूँ।” दूसरी तरफ से
नागेंद्र बोलता है !
”ओके ठीक है।” कहते हुए परी मोबाइल ट्रॉउज़र के पॉकेट में रखती है और पैदल ही चलने लगती है!
परी इंटरनेशनल कंसल्टेंसी के सामने पहुँचती है जहा नागेंद्र पहले से उसका इंतज़ार कर रहा होता है !
( नागेंद्र और परी चार्टर अकाउंटेंट के यहां साथ में काम करते थे । नागेंद्र और परी अच्छे दोस्त हैं। दोनों एक दुसरे
को जॉब के मामले में हेल्प कर दिया करते हैं । )
“तुम आ गयी,चलो जल्दी वरना ऑफिस बंद हो जायेगा ! ” परी को आता देख नागेंद्र उसकी ओर बढ़ते हुए कहता
है। दोनों साथ में ऑफिस के अंदर जाते है जहां रिसेप्शन पे एक लड़की बैठी मोबाइल चला रही होती है !
“हैलो, वो मदन सर है क्या? उन्हों ने हमें बुलाया था।” नागेंद्र रिसेप्शन वाली लड़की से कहता है !
“जी वो अंदर अपने केबिन में ही है आप लोग जासकते है। “वह लड़की नागेंद्र और परी को देख कर कहती है।
नागेंद्र” MAY I COME IN? ”
मदन सर” YESCOME IN. ”
नागेंद्र- ” सर आपने बताया था कि एक जॉब है पार्ट टाइम। उसी सिलसिले में हम दोनों आये है इनका नाम परी
हसन खान है।“
मदन सर-” देखिए जॉब तो मिल जाएगा और आप लोग के RESUME भी मेरे पास है मगर धनबाद जैसे छोटे शहर
में OPPORTUNITY कम ही मिलती है।“
मदन सर थोड़ा रुक कर फिर बोले।
“अगर मिस परी चाहे तो उनको मैं धनबाद के बाहर या इंडिया के बाहर अच्छा जॉब दिला सकता हूँ, इतनी सैलरी
के साथ, जितना आपने सोचा भी नहीं होगा।“
परी” मगर सर मेरे मम्मी, पापा बूढ़े है मैं उनको अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती और नाही मेरे पापा यह शहर
छोड़ने को रेडी होंगे।आप यही कही पर फुल टाइम या पार्ट टाइम, कैसा भी पर जॉब दिलवादेंगे तो मेहरबानी
होगी।“
मदन सर” ठीक है, मैं कुछ करता हूँ पर शर्त के तौर पर पहली सैलरी मैं लूंगा।“
नागेंद्र ” ठीक है सर, आप लेलेना मगर हमें अच्छी जॉब चाहिए वो भी जल्दी ! ”
मदन सर ” कुछ फॉर्मलिटीज के पेपर है उनको भर कर सिग्नेचर करदो तुम दोनों मैं कुछ करता हूँ, मगर धनबाद
में अच्छे जॉब पॉसिबल नहीं।“
नागेंद्र” ओके थैंकयू सर हम चलते है।“
“परी यहां लोग अच्छी सैलरी नहीं देंगे तुम बाहर काही TRY क्यों नही करती?” नागेंद्र ऑफिस से निकलते हुए
कहता है !
“नहीं यार मम्मी पापा को अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती तुम सब जानते तो हो, मेरे हालात, मेरे घर के हालात।“
“हाँ पर बाहर पैसा है। “नागेंद्र एक बार फिर ज़ोर देता है बात पर।
“ खैर छोड़ो नागेंद्र ! मदन सर कोई जॉब बताये या ना बताये, मैं ही कुछ अपना जुगाड़ करती हूँ। “परी कहती हुई
नागेन्द्र को अलविदा कर के घर आजाती है !
दुसरी दुनियाँ के ज़ाफ़रान क़बीले में: –
“उमैर भाई कुछ दिन घर नहीं आएंगे महल में ही रहेंगे आज उमैर भाई के रूम को मिल कर हम साफ़ कर देते
है।वापिस घर आएंगे तो खुश हो जाएंगे वो। देखो कैसा हाल बना रखा है अपने कमरे का । “ अमायरा बहन
नफिशा से कहती है !
“आपी मिल कर क्यों? आप जिन हो तो जादू से सब कुछ कर लोना मेहनत करने की क्या जरुरत है?” नफिशा
सोफे पर बैठी सेब खाती हुई कहती है !
“मगर मेरी प्यारी अलसी उमैर भाई, की तरह ही पक्की आलसी बहना हर वक्त जादू का इस्तेमाल करना अच्छी
बात नहीं। कभी मेहन तभी करनी चाहिए वरना हाथ पैरों में जाले लग जाएंगे। चलो और मिल कर साथ में करते
है।“अमायरा नफिशा के हाथ पकड़ कर उसे सोफे से उठाते हुए कहती है!
“चलिए-चलिए आप की बात को इंकार भी नहीं कर सकती क्यों कि बचपन से अम्मी अब्बु ने हमें एक दुसरे का
अहतराम करना जो सिखाया है। “नफिशा शरारती अंदाज़ में झुककर अमाइरा से कहती है।“
ज़िनो जात में भी अमीर और गरीब होते है मगर एक गरीब जिन का घर इंसानी दुनियाँ के अमीरों के घर से भी
बड़ा होता है ! उमैर के कमरे में एक पलंग एक कपड़ों की अलमारी और उसका पसंदीदा आईना है बस मगर फिर
भी वो अपने कपड़ो को इधर उधर फ़ेंक कर रखता जिससे उसके घर वाले परेशान रहते !
दोनों जिन ज़ादियाँ उमैर के कमरे में आती है और सारे कपड़ो को तह कर के उसकी अलमारी में रख देती है ! पलंग
एक साइड और उसके सामने आईने को रख देती है !जैसे ही अमायरा आईने को रखकर उसके ऊपर चादर डालती
है उसे आईने की दूसरी तरफ एक लड़की नज़र आती है जो एक कपड़े को हाथों में लिए शीशे को साफ़ कर रही
होती है । अमायरा उसे चादर हटा कर जब देखती है तो उसे महसूस होता है जैसे वो भी उसे देख रही तो अमायरा
जल्दी चादर आईने पर डाल कर पीछे हट जाती है !
“क्या हुआ आपी आप ऐसे परेशान क्यों हो गये।“ नफिशा अमाइरा से कहती है !
“परेशान हुई थी थोड़ी देर के लिए, मगर अब खुश हूँ क्यों कि शाह उमैर की परी मिल गयी है।“अमाइरा खुश होकर
कहती है !
“अच्छा मैं भी देखूँगी।“नफिशा कहते हुए जैसे चादर उठाती है अमाइरा उसका हाथ पकड़ लेती है !
“क्या हुआ आपी? मुझे भी देखना है।“नफिशा हाथ छुड़ाते हुए कहती है।
“नहीं, अभी नहीं उमैर भाई को आने दो। फिर अभी पता नहीं उसने भी गर हमें देख लिया और डर गई तो? और डर
कर अगर आईना ही तोड़ दे? फिर उमैर भाई कैसे मि लेंगे इससे? ” अमायरा नफिशा को समझाते हुए कहती है !
“पर अमाइरा आपी यह हमें कैसे देख सकती है? वो भी आईने के अंदर हम तो जादुई मखलूक है ना?” नफिशा
सवालिया नज़रों से अमाइरा को देखते हुए कहती है!
“यह देख सकती है क्यों कि यही वो लड़की है जिसका उमैर भाई कई सालों से इंतज़ार कर रहे हैं। दादा अब्बु ने
जब उमैर भाई को यह आईना तोहफे में दिया था तब कहा था।“
“क्या कहा था आपि?”
“कहा था , तुम इसमें अपनी हमसफ़र को तलाश कर सकते हो जो तुम्हारे लिए बनी होगी चाहे वो जिन ज़ादी हो
या कोई आदम जादी। तुम्हें जरूर इसमें दिखेगी उसमे भी कुछ ऐसा जरूर होगा जिससे वो तुम्हे इधर देख सकेगी
मगर रास्ते आसान नहीं होंगे। तुम्हें बहुत कुछ सहना पड़ेगा। लड़ना पड़ेगा अपनो से और शायद फिर वो तुम्हे
मिल भी जाये और नहीं भी। “कहते हुए अमाइरा एक लम्बी सांस लेती है फिर कहती है,
“इसी लिए उमैर भाई आई ने पर चादर डाल कर रखते है ताकि जब उन की परी दिखे तो वो इधर हमारी दुनिया को
देख ना ले। आगे देखो क्या होता है? “ कहते हुए अमाइरा नफिशा को रूम से चलने का इशारा करती है !
“मगर आपी हम खुद को गायब कर के तो उसे देख सकते है ना? ”नफिशा खुद पर नाज करते हुए कहती है !
“हाँ मगर उसकी कोई जरूरत नहीं है और नाही अभी उमैर भाई को इस बात की खबर देना ठीक है।“ अमाइरा
नफिशा को कहती है फिर दोनों बहने अपना काम कर के उमैर के कमरे से बाहर आजाती है..!
क्रमशः Shah Umair Ki Pari-04
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