shah umair ki pari

Shah Umair Ki Pari-13

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शाह उमैर की परी -13

शहर धनबाद में :- “ओफ्फो! परी बेटा ऑफिस नहीं जाओगी तो क्या दिन भर सोती ही रहोगी? कितनी
देर हुई तुम्हें सोते। चलो अब, उठो कुछ तरकीब निकालते है तुम्हारे काम के लिए। कुछ न कुछ हो ही
जायेगा। लेकिन जागना पड़ेगा बेटे। ऐसे सोकर अपने आप को दुःखी रखकर क्या होगा? नादिया जी
आप हम दोनों के लिए चाय और नास्ता लेकर आए जल्दी। बच्ची भूखी होगी हमारी।” हसन जी शाम
को परी को उठाते हुए कहते है!
‘’उठ रही हुँ पापा। पता नहीं, आज कल मुझे नींद बहुत आ रही है और पता है पापा, नींद में भी लम्बे-
लम्बे ख्वाब देखती रहती हूँ। उठने बाद ऐसा लगता है वो ख्वाब नहीं हकीकत हो। बिल्कुल सच के करीब
से लगते हैं। लगता ही नही की ख्वाबो की दुनिया मे हूँ। सब अच्छा लगता है वंहा पापा, शायद इसलिए ही
सोती रह जाती हूँ।!” परी उठती हुई कहती है!
‘’यह उमर ख्वाब देखने की ही होती है बेटा। वो अलग बात है कि हमारे हालातो ने तुम्हारे कंधों पर
जिम्मेदारियों का बोझ डाल दिया है! अपने साथ के अलावा कुछ भी नहीं है हमारे पास तुम्हे देने के लिए
!” हसन जी परी के साथ बाहर गार्डन में जाते हुए मायूस होकर कहते है। परी अपने पापा के व्हील चेयर
को अपने हाथों में थामे उनकी बातें ध्यान से सुनती रहती है !
“बेटा कुछ बोलो भी। ऐसे चुप क्यों हो? यही बताओ कि ख्वाब में क्या देखा?”हसन जी परी की तरफ
मुड़ते हुए कहते है !


“कुछ नहीं पापा सोच रही हूँ कि अगर मैं खुद का ऑनलाइन क्लॉथ स्टोर खोल लूँ, तो कैसा रहेगा?
ख्वाब, ख्वाब ही होते हैं पापा, उनको छोड़िए। आप बताइए मैंने जो कहा उस बारे में आपका क्या खयाल
है?” परी सोचते हुए कहती है, कैसे पापा को बता दूँ की ख्वाब में क्या देखती हूँ।
“मगर बेटा, खुद का काम शुरू करना आसान नही है। खुद का काम करने के लिए रूपए चाहिए।
इन्वेस्टमेंट के बिना बिज़नेस कैसे चलेगा? पैसे ही होते तो क्या बात होती बेटा।पैसे कहा से आएंगे
?”हसन जी परी को देखते हुए, फिर मायूसी से कहते है !
“डोंट वोर्री पापा। मैं सब कर लूँगी। बस आप का, मम्मी का सपोर्ट चाहिए। आप की अच्छी राय चाहिए !”
परी अपने पापा को चेयर के पीछे से गले लगाती हुई कहती है !
”अकेले-अकेले क्या बात हो रही है दोनों पापा बेटी के बीच में? मुझे भी कभी अपनी बातों और राय में
शामिल कर लिया करो? रुको अब मैं भी आ ही गयी !”नदिया जी एक हाथ में चाय की ट्रे और दूसरे में
चेयर पकड़े कहती है!

”बस बिज़नेस प्लानिंग हो रही है हमारे बीच। क्या है न जब दो अच्छे दिमागदार लोग बैठते हैं तो
बिज़नेस माइंड ही चलता है। तुम आकर अपना वही किचन का दाल आटा लेकर बैठ जाओगी। क्यों सच
है ना? है ना परी बेटा?”हसन जी ने कुछ मूड को हल्का करने नादिया जी को छेड़ते हुए और ट्रे से चाय की
प्याली उठाते हुए कहा!
“हहहहहह, क्या पापा? आप न मम्मी को परेशान करते हैं। मम्मी बहुत ही जल्द हम सब मिल कर
अपना ऑनलाइन काम शुरू करने वाले है। बस यही बातें चल रही थीं और कुछ भी नही।” परी चेयर पर
बैठते हुए कहती है !
“कौन सा और कैसा काम बेटा ?” नदिया जी हैरानी से पूछती है !
“कुछ ज्यादा नही मम्मी, लेकिन मैंने कुछ सोचा है।पापा, मम्मी मैं एक ऑनलाइन कपड़ों की वेबसाइट
बनाऊँगी। आस पास की दुकानों से, उनके डीलर्स से बात कर के उनके सारे कपड़ो के कैटलॉग को मैं
अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करुँगी। थोड़ी ऑनलाइन मार्केटिंग करनी होगी , बस एक बार यह काम चल
जाए फिर कोई दिक्कत नहीं है। आजकल वैसे भी ऑनलाइन शॉपिंग का ही जमाना है।”
”आईडिया तो अच्छा है परी। अगर बुरा ना मानो, तो हम दोनो मिल कर यह काम शुरू कर सकते है। तुम
ऑनलाइन काम देखना, मैं मार्केटिंग का ऑफलाइन काम देख लूँगा !” गेट के पास से आसिफ आते हुए
कहता है !
“यह तो और भी अच्छी बात है आसिफ बेटा। आओ बैठो यहा, मैं चाय लेकर आती हूँ तुम्हारे लिए भी !”
नदिया जी आसिफ को बैठने का इशारा करती हुई कहती है !
“मम्मी आप बैठो चाय लाने की भी कोई जरुरत नहीं। पी कर ही आया होगा, है ना? और कान खोल कर
सुन लो मिस्टर आसिफ, मुझे आपके रहमो कर्म की जरूरत नही है। आप की हिम्मत कैसे हुई हमारे
फैमिली मैटर में घूसने की? ऐसे ही किसी के भी घर घुस जाते हैं क्या आप? कोई तमीज़ बाकी है या….”
परी चिढ़ते हुए कहती है !


“परी बेटा ऐसे बात नहीं करते, कभी किसी से भी और साथ में काम करने में दिक्कत क्या है?तुम दोनों
अच्छे दोस्त हो। दोनों को काम की जरूरत है। एक तरह से दोनों ही अभी बेरोजगार हो,तो एक दूसरे की
हेल्प करो। नया बिज़नेस शुरू करने में ! देखना मिल कर शुरुआत करने से, यह काम जल्दी चल पड़ेगा।
अच्छे से अच्छे लोगों तक पहुँच पायेगा। फिर इसे अच्छे से चलने से कोई नही रोक पायेगा।” हसन जी
परी को समझाते हुए कहते है!
“ठीक है पापा। आप बोल रहे है तो मैं मान जाती हुँ। मगर इसे साफ़-साफ शब्दो में समझा दें कि दोस्त
है, तो दोस्त बन कर ही रहे। मेरे साथ कोई और रिस्ता जोड़ने की कोशिश ना करे। इसके इरादे आप

जानते हैं। बाकी एक हफ्ते के अंदर सब सेटअप करना है, तो हम कल से ही लग जाएंगे ठीक है?” परी
कहती है।
“आसिफ बेटा सुन लिया आपने? समझ लीजिये आप ठीक से। दोस्ती के नाते आपके साथ है तो दोस्ती
ही कायम रखियेगा।” हसन जी आसिफ से पूछते है !
“जी अंकल, आप बेफिक्र रहें। मैं आपको या परी को शिकायत का कोई भी मौका नहीं दूंगा ! थैंक्यू परी।”
आसिफ कहता है !
परी आने वाले कल का इंतज़ार करती है ! ख्यालों में उसके, वो खूबसूरत जगह , उमैर और उसकी प्यार
भरी बातें चलती रहती है !
“कितना प्यारा और खूबसूरत है उमैर और उसकी वो नीली आँखे? कितना इश्क छिपा नजर आता है।
कितना अपनापन है उसकी आँखों में। अनजान होकर भी कितनी जानी पहचानी आँखें।”
परी खोई हुई बस सोचती ही रहती है।
“कही उमैर कोई जिन तो नहीं? क्योंकी मेरे साथ अब तक जो कुछ भी हो रहा। वो एक जिन ही कर
सकता है ! मगर जिन इतने अच्छे भी होते है? मुझे तो लगता था कि वो भयानक और बुरे होते होंगे।
लेकिन उमैर तो मेरी मदद कर रहा। मैं भी क्या सोचती रहती हूँ। जिन, सच में परी? तुम्हारा कुछ नही हो
सकता। पता नहीं ये सवाल मेरे जेहन में क्यों आये। लेकिन अगर आएं है तो तुम्हें जवाब देना होगा
उमैर। अगली बार मेरे ख्वाब में आओ, सारे सवालों के जवाब चाहिए मुझे।”
हज़ारों सोचों का सिलसिला लिए परी कमरे में टहलती रहती है !
दुसरी दुनियाँ ‘’ ज़ाफ़रान क़बीला :
” ये मोहब्बत का एहसास भी कितना खूबसूरत होता है! लगता है यह खवाबों का सिलसिला कभी खतम
ही ना हो।
‘’हाय’’
अभी उमैर अपने बेड पर आँखे मूंदे सोच ही रहा होता है कि कोई उसके ऊपर बाल्टी भर कर पानी उड़ेल
देता है ! उमैर सक पका कर उठ बैठता है। तो सामने उसे शहजादी मरयम मुस्कुराती हुई दिखती है।
उमैर लाल आँखों से गुस्से में उन्हें घूर कर देखता है फिर उठते हुए कहता है !
” दिमाग तो सही है ना आप का? पूरा गीला कर दिया आपने मुझे! कुछ तो खुदा का खौफ कीजिये। बुरा
मत मानियेगा, हो तो आप शहजादी, मगर निहायती बद्तमीज़ हो।”

“उमैर! मुँह संभाल कर बात करो शहजादी से।जी, माफ़ करियेगा शहजादी। ये बहुत ही बद्तमीज़ है,
अभी मैं इसकी अक़ल ठिकाने लाता हूँ।” शाह ज़ैद कहते है और उमैर को बालों से पकड़ कर शहजादी
मरयम से माफ़ी मांगने को कहते है !
“चाचा ज़ैद छोड़ दिजीए उमैर को और माफ़ी की भी कोई जरुरत नहीं!’’ मरयम कहती है तो शाह ज़ैद
उमैर के बाल छोड़ देते है।
”मुझे माफ़ कर दें शहजादी मरयम। आइंदा से ऐसी गुस्ताखी नहीं होगी !” उमैर गुस्से भरे लहजे में
अपने बाल सही करते हुए कहता है, जो उसके अब्बा ने नोच डाले थे !
”बहुत खूब अब उम्मीद है कि तुम शहजादी के साथ बदतमीजी से पेश नहीं आओगे। शहजादी को
शहशांह ने तुम्हे सैर करवाने के लिए कहा है इसलिए मैं इन्हे यहां लेकर आया हूँ। जाओ जाकर कपड़े
बदल लो और शहजादी को अपने साथ लेकर सैर पे जाओ !” शाह ज़ैद उमैर को हुक्म देकर चले जाते है !
उमैर शहजादी मरयम को गुस्से से घूरता हुआ गुसल खाने में चला जाता है।
“तुम दोनों उमैर की बहने हो ना? आओ इधर मेरे पास।” मरयम अमाइरा और नफिशा को दरवाज़े पर
खड़ी देखते हुए कहती है !
दोनों बहने एक टक कभी मरयम के शाही लिबास को देख रही होती, कभी एक दूसरे को !
”कुछ बोलो भी, या यूँ ही ऐसे मुँह ताकते ही रहोगी?” मरयम उन् दोनो को चुप देख कर बोलती है !
“जी-जी, शहजादी मेरा नाम अमाइरा और इसका नाम नफिशा है ! उमैर हमारे बड़े भाई है !” अमाइरा
तारुफ़ कराते हुए कहती है !
”बहुत ही प्यारा नाम है तुम दोनों का।”
“हम्म।” दोनों बहनों ने साथ ही हामी भर दी।
“छोटा मगर काफी खूबसूरत घर है तुम्हारा। यहां काफी सुकून भी है।” मरयम कमरे में चारो ओर घूमती
हुई कहती है !
‘आप के कपड़े बहुत ही खूबसूरत है और आप भी शहजादी !” नफिशा कहती है।
‘तारीफ के लिए शुक्रिया। क्या तुम भी ऐसा लिबास पहनना चाहोगी? मैं तुम दोनों के लिए भी ऐसा ही
शाही लिबास भेज दूंगी चाचा ज़ैद के हाथो !” मरयम कहती हुई आईने के क़रीब जाती है!
”नहीं, इसकी कोई जरुरत नहीं है शहजादी साहिबा। हमे पसंद आया तो हमने तारीफ की। बदले में हमे
लिबास नहीं चाहिए !” अमाइरा कहती है तो नफीशा मुँह बना लेती है !

‘’ये सब बाद में सोचेंगे पहले बताओ इतना खूबसूरत शाही आईना, ये कहा से आया? ऐसा आईना तो मेरे
महल में भी नहीं है !” मरयम आईने को छूते हुए कहती है!
”मेरा आईना है यह और आप इससे दूर ही रहे तो अच्छा होगा। मेरे दादा अब्बू ने मुझे तोहफे में दिया था
!” उमैर कमरे में आते हुए फिर गुस्से से कहता है !
“आईने के सामने सजने सवरने का काम तो लड़कियों का होता है। फिर तुम इस आईने के सामने क्या
करते हो ?” मरयम हंसकर मजाक बनाकर कहती है !
”मैं खुद को देखता रहता हूँ, खुदा ने इतनी फुर्सत से मुझे बनाया है। कंही देखा आपने मुझसा कोई और?
साँचा ही तोड़ दिया खुद खुदा ने मुझे बनाने के बाद। अब बातों में वक़्त बर्बाद ना करे और चले कहा
चलना है? आप को क्या घूमने का मन है?”उमैर कहता है !
“अमाइरा , नफिशा तुम दोनों भी मेरे साथ चलो। साथ में थोड़ा घूम भी लेंगे और बातें भी हो जायेगी !”
मरयम कहती है !
“नहीं-नहीं ये दोनों कही नहीं जाएँगी, आप के साथ। आप चलो बाहर घोड़ा गाड़ी खड़ी है !” उमैर कहता है
!
“क्या मतलब है तुम्हारा? यह मेरे साथ क्यों नहीं जाएँगी? अब तो मेरा हुक्म है, यह दोनों मेरे साथ ही
जाएंगी ! नफिशा अमाइरा चलो मेरे साथ !” मरयम कहती है तो अमाइरा और नफिशा ख़ामोशी से
शहजादी मरयम के साथ जाकर घोड़ा गाड़ी के पीछे हिस्से में बैठ जाती है !जो एक शाही सवारी होती है !
सामने चार सफ़ेद घोड़े बेहद ही खूबसूरत , पीछे बड़ा सा गद्देदार बैठने की जगह जिसके ऊपर एक
छतरी लगी होती है। देखने में शीशे की तरह साफ़ जिससे ऊपर आसमान और नीचे ज़मीन साफ़ दिख
रही होती है ! उमैर घोड़े की लगाम थामे गुलाम के साथ आगे बैठ जाता है!
“पहाड़ी इलाके की तरफ ले चलो जहां पे नहरें है !” मरयम गुलाम को हुक्म देती है।
सब के बैठते ही गुलाम घोड़ों की रस्सी खींचता है और वो बिजली की तेजी से अपने तय जगह पे पहुँच
जाते है !
”उमैर भाईजान कितनी खूबसूरत जगह है यह। आप तो हमें कभी यहां लेकर नहीं आये !” नफिशा
देखकर हैरान रहती है। चारो तरफ में बिखरी फूलों की खुश्बू , पहाड़ी से गिरते साफ़ पानी जो एक संगीत
की धुन बना रहे होते है ! परिंदों की चेहचाहट मानों वो एक दूसरे से बातें कर रहे हो ! इतनी सुंदरता आज
पहली बार देखने पर कहती है।

“ओह, तो मतलब मेरी तरह तुम सब भी अपने घरों में क़ैद रहती हो?” मरयम हाथों को बांधे टहलते हुए
कहती है !
“हमारे अब्बा से मिली हैं न आप शहजादी? बहुत ही सख्त मिज़ाज़ है। उन्होंने आज तक हमे इधर
उधर जाने नहीं दिया शायद ही कभी हम बहने बाहर निकलती है। बस उमैर भाई उनकी नज़रों से छुप
कर घूमते रहते है !” अमाइरा कहती है !
“तुम्हारे भाई तो शक्ल से ही शरारती लगते है ! तुम दोनों बातें करो मैं अभी आयी !” मरयम कहते हुए
उमैर के पास जाती है जो नहर किनारे ख़ामोशी से चारों तरफ के मंज़र से लुत्फ़ अंदोज हो रहा होता है।
” कितनी खूबसूरत जगह है न उमैर? अब्बा ने, इरफ़ान भाई ने मुझे बताया इस जगह के बारे में। तुम तो
घुमाने का वादा कर के भी भूल गए उमैर?” मरयम कहती है!


‘’आप को गुलामों की कमी थोड़ी है? किसी को भी कहती ख़ुशी ख़ुशी आप की ख्वाहिश पूरी कर देता !
मुझे तो खुद के ख्यालों से फुर्सत नहीं है, आप को घुमाने फिराने का ख्याल दूर- दूर तक ज़हन में नहीं
आता !” उमैर कहता है फिर छलांग मार कर नहर की दूसरी तरफ चला जाता है ! जाकर एक फल के पेड़
से टेक लगा कर खड़ा हो जाता है ! उसके पीछे शहजादी मरयम भी छलांग मरते हुए आ जाती है !
”अच्छा तो जनाब उमैर को तनहा रहना पसंद है !”शहजादी मरयम ने उमैर के पास आते हुए कहा !
जी हाँ बिलकुल मुझे तन्हाई बेहद पसंद , मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं के कोई मेरी तन्हाई में खलल डाले
!( हूँ तन्हाई नहीं मुझे आप पसंद नहीं हो ,उमैर ख्यालों में कहता है )” उमैर ने कहा
”अच्छा जी ”
”तो जह पनाह को पसंद नहीं आया मेरा यहां आना !” शहजादी मरयम शरारती अंदाज़ में कहती है !
”उफ्फ ”मैं बोर होरही अब !
”उमैर भाई शहजादी मरयम क्या हम सब यहां बस बातें करने आये है ? चलिए ना हम सब मिल कर
आँख मिचौली खेलते है !” नफिशा ने उनके पास आके कहा !
”तुम सब मिल कर खेलो मैं यही पेड़ की शाखों पे बैठता हूँ !” उमैर पेड़ की शाख पर बैठते हुए कहता है !
”यह क्या बात हुई उमैर ”
”हम सब साथ में खेलेंगे वरना कोई नहीं खेलेगा हम सब भी तुम्हारे साथ यही बैठ जाएंगे !” शहजादी
मरयम ने कहा !
ठिक है बहुत खेलने का शौक़ है तुम सब को तो फिर चलो !” उमैर पेड़ से अंजीर के फल लिए कूदता है
और सब को खाने के लिए देता है !
”महलों की शहजादी जल्दी खाले मेरे साथ खेलने के लिए बहुत फुर्ती चाहिए होगा आप को !” उमैर
अंजीर खाते हुए कहता है !
”खुद पे इतना गुरुर ”
अच्छा ठिक है जरा मैं भी तो देखू कितने फुर्तीले हो !”शहजादी मरयम कहती है ! सब मिल के पहले
अंजीर के फल को खाने लगते है !

‘ख्वाबों में हर रोज आकर सवाल बन गए हो तुम,
क्या समझूँ तुम्हे मैं अपना अब या बस एक ख्याल बन गए हो तुम !’’

क्रमशः Shah Umair Ki Pari-14

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शमा खान

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