Tamanna Ae Khaam -03

तमन्ना_ऐ_खाम -03

एक नयी सुबह का आगाज हो चुकी होती है…! अलफ़ाज़ तैयार होकर नाश्ता तैयार करती है., राही को उसके बर्तन में नाश्ता देकर वो खुद भी नास्ता करती है…! फिर वो अपनी स्कूटी और शॉप की चाभी लेकर घर से निकलती है…! घर के बाहर का मौसम काफी खुशगवार होता है आसमान में बादलों से झाँकता रौशन सूरज नरम एहसास दिला रहा होता है…! घर के दरवाजे पर ताला लगा कर अलफ़ाज़ कोई गीत गुनगुनाते हुए अपनी स्कूटी चालू कर अपने दूकान की तरफ चल देती है! राही उसके घर के दरवाज़े पर बैठे उसे जाते हुए देख रहा होता है…!

शाम 4 बजे के करीब अपने दुकान का सारा काम निपटा कर अल्फ़ाज़ अपनी दुकान की कुछ बेहतरीन कैंडल होल्डर को कलेक्ट कर एक बैग में रख कर दुकान बंद कर के स्कूटी स्टार्ट कर उस लेडी के घर के तरफ चल देती है जिसकी दो रोज पहले ही ऑर्डर दिया हुआ था! अपनी धुन में मस्त अलफ़ाज़ स्कूटी चलाते हुए करीब आधे घण्टे में उस लेडी के बताये हुए पते पर पहुँच जाती है…!

वो कोई बड़ा सा बंगला नुमा घर होता है, जिसके चारों तरफ हरियाली छाई हुई होती है…! अल्फ़ाज़ स्कूटी बाहर खड़ी कर के, वॉचमैन से कह कर अंदर जाती है, बंगला बाहर के साथ साथ अंदर से भी बेहद खूबसूरत दिख रहा होता है! अल्फ़ाज़ दरवाजे पर दस्तक देती है, तो कोई 40 से 45 उम्र की औरत दरवाजा खोलती है!

” हेल्लो मैम् मैं अल्फ़ाज़ होम डेकोरे से अल्फ़ाज़ मैं आप का ऑर्डर लेकर आयी हूँ! आप को इनमें से जो भी कैंडल होल्डर पसंद आये लेले! ” अल्फ़ाज़ दरवाजे के अंदर खड़ी औरत से कहती है!

“बहुत बहुत शुक्रिया घर तक पहुंचाने का…! आप दरवाजे पर क्यों खड़ी हो? अंदर आओ “औरत कहती हुई अल्फ़ाज़ को लेकर हॉल में लगे सोफे पर बैठ जाती है!

अल्फ़ाज़ एक एक कर के कई कैंडल होल्डर औरत को देखता है और वो औरत सभी कैंडल होल्डर को पसंद कर के रख देती है…! अल्फ़ाज़ अपनी पेमेंट लेकर उस घर से निकल जाती है! मौसम काफी अच्छा होता है, हल्की हल्की बारिश के बूंदों के साथ सर्द हवाएं भी चल रही होती हैं…!  

अचानक से कुछ ही पलों में खुश गवार मौसम बिगड़ जाता है, शोर मचाती तेज हवाएं चलने लगी है, साथ साथ आसमानी बिजली की गरज माहौल को खौफ जदा बना रही होते है…!

 आसमान पर काले बादल छाने लगे है, देखते ही देखते तेज बूंदाबांदी शुरू हो जाती है, मौसम को बिगड़ता देख अल्फ़ाज़ जल्द घर पहुँचने के गरज से अपनी स्कुटी की स्पीड मजीद बढ़ा देती है!

इससे पहले के वो घर पहुंचती बारिश काफी तेज हो चुकी होती है!

जिससे उसका पूरा वजूद बारिश के पानी में भीग चुका होता है और उसे काफी ठण्ड महसूस हो रही होती है! बारिश के वजह से सड़कों पर जगह जगह बारिश का पानी जमा होना शुरू हो जाता है! जिसे देख अल्फ़ाज़ खौफ में मुब्तिला हो जाती है! वो पानी भरे रास्तों से बचते हुए दूसरे रस्ते का इंतेखाब करती है और अपनी स्कूटी उसी सिमत मोड़ देती है।., मगर जिस रास्ते को वो चुनती है उधर काफी ज्यादा पानी भरा होता है, इससे पहले के वो कुछ सोचती उसकी स्कुटी फिसल कर जमे हुए पानी में जा गिरती है!

 फिर वही होता होता है वो मामूली सा दिखने वाला पानी का गढ़ा अब एक बड़ी नीली नदी में तब्दील हो चुका होता है! अल्फ़ाज़ अपनी स्कूटी के साथ साथ खुद को गहरे पानी में नीचे की ओर जाते हुए देख रही होती है..! उसे फ़ौरन एहसास होता है के वो डूब रही है, तो वो खुद को बचाने के गरज से पानी में हाथ पैर मारना शुरू कर देती है!

” नही… नही यह सब फिर से वापस नही हो सकता, यह मामूली सा गड्ढा गहरी नदी आखिर कर कैसे तब्दील हो गया …? ये सब आखिर क्या हो रहा है मेरे साथ…?!!,

 नदी का पानी मेरी नाक और मुँह दोनों में जा रहा, मैं सांस नहीं ले पा रही हूँ मेरा दम घुट रहा है…! मैं नदी के गहराई में चली जा रही हूँ! ” अल्फ़ाज़ अपने हाथ पैर पानी में मारते हुए मन ही मन कहती है! फिर वो धीरे धीरे अपने माज़ी में खोने लगती है!

 माज़ी में……..

“पता है मिसबाह आपी आमिर भाईजान की बहन कह रही थी के, ” पहले मिसबाह ने हमारे बड़े भाई दिलशाद को फसाया था और अब छोटे वाले भाई आमिर को फसाने के पीछे पड़ी है, हमें दिख नहीं रहा था क्या…? के शादी में आमिर भाई सिर्फ मिसबाह के आगे पीछे घूम रहे थे और वो उन्हें अपने पीछे घुमा भी रही थी! ” मिसबाह के छोटे मामा की बेटी गुलफ्शा मिसबाह को बताती है!”

फसाने वाली बात कहा से आ गई इसमें दोनों मेरे अच्छे दोस्त है, और आगे पीछे रहने का मतलब यह थोड़ी है के मैंने उनको फंसाया हम भी सब की तरह शादी एन्जॉय कर रहे थे! बकवास कर रही है वो रुको आमिर से बात करती हूँ वो खुद अपनी बहनों की खबर लेना! ” मिसबाह नाराज होते हुए गुलफ्शा से कहती है!

” हाँ बिलकुल आपी अगर आप सही हो उसके बावजूद कोई आप के किरदार पर सवाल उठाए तो उसे जवाब तो देना बनता है!” गुलफ्शा कहती हुई उठ कर चली जाती है!

गुलफ्शा के जाते ही मिसबाह आमिर को कॉल लगाते हुए कहती है! ” कहा बिजी हो तुम? जब से शादी से गये हो गायब हो? दोस्त भी कहते हो और याद भी नही करते!

 “” अरे यार माफ कर देना, मैं पढाई में इतना मशगूल हो गया था ध्यान ही नहीं रहा तुम्हारा! ” दूसरी तरफ से आमिर जवाब देता है!

“कोई बात नहीं पढ़ाई ज्यादा जरुरी है…! अच्छा सुनो मुझे सुनने में आया है के तुम्हारी बहनों ने यह कहा है के मैंने पहले तुम्हारे भाई दिलशाद को फसाया और अब तुम्हे फसा रही हूँ।., क्या तुम्हे ऐसा लगताहै के मैं तुम्हे फसा रही हूँ…? और मैं क्या उन्हें ऐरी गैरी लड़की दिखती हूँ? जो उन्होंने ऐसी बात कही?” मिस्बाह नाराज़ होते हुए कहती है!

” अरे नही ऐसी बात नहीं है …! मेरी बहने ऐसा नही कह सकती जरूर तुम्हे कोई गलत फहमी हुई होगी, उन्हे तो अच्छे से मालूम है के we are just friend, don’t worry मैं उनसे बात करता हूँ अगर ऐसा कुछ उन्होंने कहा होगा तो समझा दूंगा और डांट भी लगाऊँगा मगर मुझे यक़ीन है के उन्होंने ऐसा नहीं कहा होगा! खैर यह सब छोड़ो यह बताओ सब खैरयत! ” आमिर समझाते हुए कहता है तो मिसबाह का मिजाज थोड़ा बेहतर होता है!

“हाँ सब बहतर है…! अच्छा सुनो अगले हफ्ते मैं पटना आ रही हूँ, मेरा कंपैटेटिव एक्जाम है तो तुम वही रहते हो तो जरा सेंटर पता कर के बता देना! ” मिसबाह आमिर से कहती है !

“हाँ बिलकुल मगर पहले कसम खा के कहो के तुम पटना आ रही हो…?” अमीर मिस्बाह की पटना आने की खबर सुनकर खुश होते हुए पूछता है..!

” हाँ बाबा मैं आरही हूँ भला इसमें कसम खाने वाली कौन सी बात है ! अच्छा मैं तुम्हें डिटेल व्हाट्सप्प कर देती हूँ मुझे सेंटर पता कर के बताओ!” मिस्बाह कहती है!

” ठीक है व्हाट्सप्प करो मैं पता कर के बताता हूँ वैसे और कौन कौन आ रहा तुम्हारे साथ!” आमिर पूछता हैं!

” अम्मी रहेगी मेरे साथ हम धनबाद से रात 10 बजे की बस मिलेगी, सुबह 6 बजे पटना पहुँच जाऊँगी अम्मी को तुम अपने पी जी रूम में किसी तरह ठहरा देना फिर मुझे अपने साथ एग्जाम सेंटर ले चलना, तुम कर तो लोग कोई दिक्कत तो नहीं होगी तुम्हे? ” मिस्बाह पूछती है !

” अरे यार दिक्कत की क्या बात है? don’t worry मैं सब मैनेज कर लूंगा पहले तुम आओ तो सही!” दूसरी तरफ से आमिर खुश होते हुए कहता है…!

बस में खिड़की वाली सीट पर बैठी मिस्बाह को बार बार आमिर का ख्याल आरहा होता है, साथ में व्हाट्सप्प पर लगातार दोनों रात भर मेसेज में बातें करते रहते है…! मिसबाह की लबों पर एक अनजाना सा मुस्कान जगह बना रही होती है…! वो समझ नहीं पा रही होती है के वो आखिर उससे इतना जुड़ाव क्यों महसूस करने लगी है…? 

मिस्बाह अपने ख्यालों में गुम होती है और आखिर के बस सुबह के 6 बजे पटना गाँधी मैदान रोड के बस स्टैंड पर जाकर रूकती है ! बस का सफर काफी थका देने वाला होता है, मिस्बाह काफी थकान महसूस कर रही होती है ! वो थके कदमों से बस से अपनी अम्मी को साथ लिये उतरती है तभी उसे सामने आमिर हमेशा की तरह मुस्कुराता हुआ खड़ा नज़र आता है !

उसे देख मिसबाह की सारी थकान पल भर में दूर हो जाती है !

” लाओ बैग मुझे दो तुम आंटी को लेकर मेरे साथ चलो यही पास में मेरा पी जी है !” आमिर कहता हुआ मिस्बाह और उसकी अम्मी को अपने साथ लेकर अपने पी जी की तरफ चल देता है साथ में वो कुछ नाश्ता पैक करवा लेते है उनके लिए!

आमिर के पी जी पहुँच कर मिसबाह और उसकी अम्मी फ्रेश होते है फिर सब मिल के एक साथ नाश्ता करते है!  मिसबाह आमिर के पी जी में इधर उधर टहलते हुए उस जगह का मोयना कर रही होती है! तभी आमिर धीमे से आकर उसके कानों में कहता है! “क्या देख रही हो…? जरा संभल कर यह लड़को का पी जी है, और अभी सुबह का वक़्त है और इस वक्त ज्यादातर लड़के आधे अधूरे कपड़े पहन कर घूमते रहते है, कही कोई और तुम्हे तौलिये में नंगा घूमते ना दिख जाये…!

” तो उन्हे घूमने दो भला मैं कौनसा उनके इज्जत पर डाके डालने यहाँ आयी हूँ! ” मिसबाह भी धीमे से आमिर से कहती है तो दोनों की हँसी निकल जाती है! 

“यार पता है इतने दिनों बाद तुमसे मिलकर बहुत खुशी हो रही मुझे…! ऐसा लग रहा के तुम्हे खूब गले लगाऊं मानों जैसे आज मेरी ईद हो …!” आमिर खुश होते हुए कहता है !

“मुझे भी बहुत अच्छा महसूस हो रहा यहां आकर., उम्मीद करती हु के तुम्हारे साथ बिताया ये वक्त मेरे जिंदगी के खूबसूरत पलों में से एक होगा…!मगर ईद का गला नही मिलना है मुझे तुमसे..!” मिसबाह मुस्कुराते हुए कहती है !

“अच्छा ऐसी बात है…! मत मिलो गले .., हम्मम… तो अब चलो यही खड़ी रहोगी या जल्दी से तैयार होकर चलोगी भी, दस बजे एग्जाम है तुम्हारा, जल्दी करो वक़्त नहीं है …!” आमिर हड़बड़ाते हुए कहता है !

“हो रही तैयार इतना हड़बड़ाओ मत आमिर…! कपड़े बदल कर सिर्फ बाल बनाने है..! तब तक थोड़ा सब्र रखो..!” मिसबाह कहती हुई कपड़े लेकर बाथरूम में चली जाती है..! थोड़ी ही देर में वो तैयार होकर आमिर के सामने आकर खड़ी हो जाती है ..!

 “गुड गर्ल…, अच्छा आंटी आप कमरे में आराम करें मैं इसे एक्जाम दिला कर आता हूँ! ” आमिर मिस्बाह का बैग अपने हाथों में लेते हुए कहता है !

” हाँ ठीक है बेटा ध्यान से जाना, और वापसी पर उसे कहीं घुमा भी देना! ” मिसबाह की अम्मी कहती है!

 “जी बिल्कुल आंटी आप फिकर ना करे., मिसबाह अब चलो भी! ” आमिर कहता है!

“चल तो रही हूं…, तुम इतना परेशान ना हो…!” मिसबाह आमिर के पीछे पीछे सीढ़ियों से उतरती हुई कहती है …!

” एग्जाम सेंटर कितनी दूर है यहाँ से? ”मिस्बाह ने चलते हुए पूछा!

” आधे घंटे का रास्ता है मैंने ऑटो रिक्शा बुक कर लिया है चलो बैठो जल्दी वरना तुम लेट हो जाओगी! ” आमिर कहता हुआ मिस्बाह को अपने साथ लेकर ऑटो में बैठ जाता है!

आमिर ऑटो में बैठे हुए ही मिसबाह को पटना शहर दिखाता है, दोनों बातें करते हुए एग्जाम हॉल पहुँच जाते है!

” लो आगया सेंटर चलो जल्दी से अपनी जगह तलाश कर के बैठ जाओ तब तक मैं इधर ही कहि बैठ जाता हूँ जब तुम्हारा पेपर कंप्लीट होजाये तब बाहर आकर मुझे कॉल कर देना मैं आ जाऊंगा एंड विश यू गुड लक मिस्बाह ” आमिर मिसबाह से हाथ मिलाते हुए कहता है!

“शुक्रिया। … अब तू जा कोई छाव वाली जगह देखकर बैठ जाना और हाँ याद है ना तुमने वादा किया था कि मुझे पटना शहर घुमा ओगे!” मिस्बाह कहती है!

” हाँ बाबा याद है पहले एग्जाम तो देकर आओ!” आमिर कहता हुआ वहां से चला जाता है!

एग्जाम के खत्म होते ही एग्जाम हॉल से निकलते हुए मिस्बाह आमिर को कॉल करती है! ” किधर हो मैं एग्जाम हॉल से बाहर आगयी हूँ!”

” सामने सड़क की तरफ आओ मैंने ऑटो रोक रखा है!” आमिर कहता हुआ कॉल रख देता है!

“हाँ तो अब यह बताओ कहा चलना है घूमने! ” मिसबाह को अपनी तरफ आते हुए देख आमिर पूछता है!

  ” मुझे पटना का चिड़िया घर यानी जू देखना है कितना वक़्त लगेगा जाने में क्यों के? घर भी वापस जाना है आज? ” मिसबाह रुमाल से अपने चेहरे पर आये पसीने को साफ करते हुए कहती है!

 ” बस शाम में 6 बजे है और अभी एक बज रहा है आराम से घूम लेंगे आओ चलो ऑटो से चलते है! ” अमीर ऑटो को रोकते हुए मिसबाह से कहता है! दस मिंट में दोनों पटना अजायब घर के सामने होते है! टिकट स्टाल में लोगों की लंबी लाइन लगी होती है! अमीर किसी तरह टिकट काउंटर से दो टिकट लेकर आ जाता है!

 “अभी काफी लम्बी लाइन है अंदर जाने के लिए तब तक आओ हम लोग बैठ कर छोले भटूरे खा लेते है! ” अमीर हफ्ते हुए हुए कहता है!

 “हाँ चलो पहले खा लेते है घूमने के दौरान खाना भी आसानी से हजम हो जायेगा, मगर बिल में पे करूँगी! ” मिसबाह चेयर खिसका कर बैठते हुए बोलती है!

 ” “तुम पागल हो क्या? मेरे होते हुए तुम क्यों दोगी बिल ना फिर रहने दो नहीं खानी मुझे! ” अमीर मिसबाह के सामने वाली कुरसी पर हाथ मोड़ कर बैठते हुए कहता है!

“इसमे नाराज होने वाली कौन सी बात है., अच्छा ठीक है तुम ही बिल पे करना, अब जल्दी से ऑर्डर दो मुझे लाइव शेर भी देखना है, अमीर मैं पहली बार शेर देखूंगी! ” मिसबाह खुश होते हुए कहती है!

 ” हाँ देख लेना, बस शेर का नेवाला मत बन जाना, सुना है मोटे ताज़े लोग शेर को बहुत पसंद आते है…! ” अमीर हँसते हुए कहता हैं!

“हाँ क्यों के हड्डी तो कुत्ते खाते है…! अब मेरे मोटापे का मजाक उड़ाना बंद करो, और खाना शुरू करो! ” मिसबाह आमिर को जवाब देते हुए कहती है!

 ” सॉरी मैं बस मजाक कर रहा था कम से कम मुझे कुत्तों का निवाला तो मत कहो अभी पतला हूँ मगर तुम देख लेना एक दिन पर्सनालिटी बन जाएगी मेरी! और तुम से बड़ा लगूंगा देखने में, हजारों लड़कियां मरेंगी मुझपर..!  वैसे अब इससे ज्यादा अपनी किया ही तारीफ करू मैं..? चलो अब खाओ तुम भी हमें चिड़ियाघर के अंदर जाना भी है! ” अमीर कहता है…!

“हां खा तो रही हुं..! मगर आमिर कहीं हजारों लड़कियां तुम्हे देख कर ना मर जाए ये कहते हुए के.., हाय अल्लाह ये कैसी आफत देख ली..!” मिसबाह उसका मजाक उड़ाते हुए कहती है ..!

“हा हा .. वेरी फनी ..!” आमिर मुंह बना कर कहता है ..!

खाने के बाद दोनों लाइन लगकर चिड़िया घर में दाखिल हो जाते है…! मिसबाह अभी कुछ ही कदम चली थी के वो हांफने लगती है! हफ्ते हुए वो आमिर के तरफ मुड़ कर देखती है जो के उसके पीछे खड़ा मुस्कुरा रहा होता है!

” किसने कहा था इतने हिल के सैंडल पहनने जब चलने में इतनी दिक्कत हो रही, चलो उतारो अपने सैंडल! ” अमीर घुटनों के बल झुक कर मिसबाह के सैंडल उतारता है! फिर अपने एक हाथ में मिसबाह का सैंडल और दूसरे में मिसबाह का हाथ थामते हुए चलने लगता है! और यह फिर एक बार और हुआ जब दोनों के दिलों ने एक दूसरे के लिये धड़कना शुरू किया होता है!

मिसबाह अपने दोनों हाथों से आमिर का बाजु थाम लेती है, और दोनो ऐसे ही एक दूसरे को थामे एक दूसरे के जज़्बात से अंजान पुरे चिड़ियाघर का मोयना करते है! पूरे वक़्त आमिर एक हाथ में मिसबाह की सैंडल और दूसरे हाथ में मिसबाह का हाथ थामे हुए होता है! एक अलग ही एहसास था जो दोनो महसूस कर रहे होते है मगर समझ नहीं पा रहे होते है!

 ” ऐ काश ये वक़्त यही रुक जाये और हमारा साथ ऐसे कायम रहे! मुझे अब डर लगने लगा है वक़्त के गुजरने से, मुझे डर लग रहा है तुम्हे खोने से, मुझे मालूम है गुजरते वक़्त के साथ साथ सब कुछ बदल जायेगा आज तुम्हारे जिन हाथों ने मझे मजबूती से थामा है, उसकी पकड़ भी ढ़ीली पड़ जायेगी! सायेद हमारे ज़िन्दगी के रास्ते कभी एक ना हो! इसलिये मैं इस एक पल को जी भर कर जीना चाहती हूँ! काश यह वक़्त थम जाये और मैं इस एक पल को सदियों जैसा जी सकू तुम यूँही थामे रहो मेरा हाथ और मैं बस तुम में खोयी रहूं!” मिसबाह अपने दिल ही दिल में यह अल्फ़ाज़ बार बार दोहरा रही होती है!

आमिर अपनी धुन में उससे बातें करते जा रहा होता है और वो उसे मोहब्बत से निहार रही होती है!

बात करते हुए उन्हें यह एहसास ही नही हुआ के यह चिड़िया घर के उस हिस्से में आ चुके है जहाँ इन्हे नही जाना चाहिए! जिधर हर तरफ प्रेमी जोड़े एक दूसरे की मोहब्बत में खोये हुए होते है!

तभी मिसबाह की नजर एक औरत और मर्द पर पड़ती है जिसकी उम्र करीब 40_45 के करीब होगी! जो पार्क के कोने में दीवार के पास पेड़ के डाल पर चढ़ कर दीवार के कोने में जाने की कोशिश कर रहे होते है!

“आमिर… जरा देखो अंक्ल आंन्टी को कैसे पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करा रहे है, आखिर वो लोग पेड़ के उस तरफ जा कर करना क्या चाहते है…? ” मिसबाह आमिर को उस औरत और मर्द की तरफ इशारा करते हुए कहती है!

 “पागल हो गये है यह दोनों इस उम्र में हड्डी टूट जायेगी उनकी इस तरह, रुको जरा हम देखते है के आखिर यह दोनों कोने में जाकर आख़िर क्या करना चाहते है…? ” आमिर कहता है!

फिर दोनों उस तरफ देखने लगते है, तभी आमिर के समझ में आजाता है के यह दोनो कोने में अपने हवस को अंजाम देने आये है! वो मिसबाह का हाथ जोरों से थाम लेता है और चलते हुए कहता है! ” हम गलत जगह आगये है चलो जल्दी से यहाँ से निकलते है!

 ” मगर आमिर रुको तो सही बताओ तो आखिर वो लोग क्या कर रहे थे…?! ” मिसबाह आमिर को रोकते हुए कहती है!

 ” रुको नहीं चलो, बाहर जाकर सब बताऊंगा!” आमिर मिसबाह का हाथ मजबूती से थामे अभी उस जगह से बाहर निकल ही रहा था के उनकी नज़र फिर एक जोड़े पर पड़ती है, जो खुले आम मोहब्बत के नाम पर हवस को अंजाम दे रहे होते है! इस बार मिसबाह को भी समझ आ जाता है के वो लोग वाकई घूमते हुए गलत हिस्से में आगये है! दोनो तेज तेज चलते हुए वापस पार्क में जाते है जिस तरफ जिराफ होता था है! दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त करते है तभी दोनो की हँसी एक साथ निकल जाती है!

 ” यह कैसे लोग है यार जिन्होंने इतने खूबसूरत जगह को इतना गलत बना दिया है, इनको शर्म नहीं आती खुलेआम पार्क में ऐसे अश्लील हरकतें करते हुए, कोई करवाई नही होती इनके खिलाफ…? ” मिसबाह अफसोस जाहिर करते हुए कहती है !

“ज्यादातर पार्क में यही सब होता है मिसबाह., अब यह कौन लोग है? कैसे है? कोई उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करता? तुम इन सब चक्करो में मत पड़ो, यह उनका मामला है, उनकी जिंदगी है आखिर बेचारे कहा जायेंगे एंजॉय करने! तो तुम उधर ध्यान मत दो अब चलो! ” आमिर समझाते हुए कहता है!

 ” हम्म… ठीक है चलो, वैसे आमिर वो अन्टी भी गज़ब थी, अपनी हसरत i mean हवस पूरा करने के लिए पेड़ पर भी चढ़ गई थी! ” मिसबाह कहते हुए हंसने लगती है!

 ” हाँ और वो अंकल भी…, तुमने देखा नही कैसे पहले से ही आंटी का इंतज़ार कर रहे थे! सब के सब पागल है जो ऐसा गलत काम करते है!

खैर लो अब अपने सैंडल पहन लो ऑटो रिक्शा में बैठना है!” आमिर मिसबाह को सैंडल पहना कर मिसबाह का हाथ थामे ऑटो में जा बैठता है!

ऑटो में उनके सामने उनके ही उमर की दो लड़कियां आकर बैठ जाती है, और उन्हें घूरते हुए देखती है तभी मिसबाह को एहसास होता है के उसने काफी वक़्त से आमिर का हाथ थामे हुआ है जिसे शायद लोग गलत समझे. , वो फ़ौरन ही आमिर का हाथ छोड़ देती है!

 ” क्या हुआ हाथ क्यों छोड़ दिया…? “आमिर पूछता है!

 ” लोग हमें गलत नजर से देख रहे., फिर क्या फर्क रह जायेगा उस आंटी अंकल जैसे लोग में और हम में! ” मिसबाह बड़े ही मसुमियत से कहती है!

” मिसबाह तुम पागल हो गया हो क्या? उन लोगों को खुद से कंपेयर मत करो, कहाँ तुम और कहा वो लोग, तुम जैसा पाक और नेक तो मेरी नज़र में दूसरा कोई नहीं है तुम सब से अलग हो इसलिये तो तुम मेरी खास दोस्त हो भला दोस्त का हाथ थाम के घूमना कहा से गलत हो गया…? मिसबाह कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना! ” आमिर समझाते हुए कहता है तो मिसबाह उसका हाथ वापस थाम लेती है और अपना सिर उसके कांधे से टिका देती है!

ऑटो चल पड़ी साथ में दोनों के बातो का सिलसिला भी शुरू हो चुका होता है!

आमिर का हाथ थामे मिस्बाह अलग ही सुकून महसूस कर रही होती है उसके मन में गुदगुदी से हो रही होती है , उसे लग रहा होता है जैसे यह ऑटो कभी ना रुके और वो और आमिर इसी तरह एक दूसरे के बाँहों में बाहें डाल बैठे रहे

 ” तुम्हे पता है मिसबाह काजल के पापा ने हमे बात करते हुए पकड़ लिया था, उन्होंने मेरी अच्छी खासी क्लास ली! ” आमिर कहता है!

” काजल…? कौन काजल? ” मिसबाह चौंकते हुए पूछती है!

 ” ऊप्स.. .. सॉरी यार मैं बताना भूल गया था! असल में काजल मेरे घर के पास रहती है हम दोनों कुछ महीनों से एक दूसरे से बातें कर रहे है..! And I think I am falling in love with her ! ” आमिर खुश होते हुए कहता है!

जिस हाथ को मिसबाह ने मजबूती के साथ पकड़ रखा था आमिर की बातों को सुनकर उसकी पकड़ ढीली पड़ जाती है!

(Present)

अल्फ़ाज़ माज़ी के यादों से जब वापस आती है तो वो देखती है के वो अब भी नदी के पानी की गहराइयों में डूबे जा रही…! तभी वो देखती है के कोई नीली आँखों वाला शख्स  उसके करीब आ रहा है फिर उसके नजरों के सामने अंधेरा छा  जाता है !

अल्फ़ाज़ धीरे धीरे आँखे खोलती है तो वो देखती है वो अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी है! उसकी नजर सामने घड़ी की सुई पर पड़ती है जो इस वक्त रात के आठ बजे का वक्त बता रही होती है! वो खुद को गौर से देखती है तो उसे मालूम होता है उसके बदन के कपड़े भी बदले हुए होते है! जिसे देख वो काफी ज्यादा परेशान हो जाती है!

” मेरे कपड़े किसने बदले ! ” अभी अल्फाज यह सोच ही रही होती है तभी उसकी नजर सामने टेबल पर पड़ती है जहाँ एक प्याले में गरमा गरम सूप रखा हुआ होता है! अल्फ़ाज़ फ़ौरन अपने बेड से उतर कर घर के किचन की तरफ जाती है मगर वहाँ उसे कोई भी नहीं मिला है फिर वो घरमें चारो तरफ तलाश  है, जब भी वो डूबने लगती है उसे बचाता है!

 मगर कोई भी मर्द या औरत की जात उसे नही दिखती फिर वो घर का मेन  दरवाजा चेक करती है, तो वो देखती है के वो अंदर से बंद है!…

 “अगर दरवाजा अंदर से बंद है तो फिर वो शख्श कहा गया जो मुझे उस रास्ते से उठा कर लाया होगा, क्यों के मुझे यकीन है मैं खुद तो यहाँ तक नही आयी। …? शायद हो भी सकता है के मैं खुद ही घर वापस आ गयी होगी ! पता नहीं कुछ रोज से ना जाने मेरे साथ क्या हो रहा है ? मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा है ..? कही मैं पागल ना हो जाऊं इन सब वजह से..! ” खुद से बातें करती हुई अल्फ़ाज़ घर का दरवाजा खोलती है..!

बारिश थम चुकी होती है मगर छत से अब भी बारिश की बूंदे टपक रही होती है ! दरवाजे के सामने उसे राही बैठा दिखता है, जो के बहुत ही आराम से आसमान में चमकते हुए चाँद को देख रहा होता है ! अल्फ़ाज़ भी जाकर राही के पास बैठ जाती है, उसके साथ चाँद की चांदनी का मज़ा लेने लगती है.., पूरा गंगटोक शहर ऊँचाई से चाँद की रौशनी में और भी दिलकश दिख रहा होता है!

“बारिश के बाद चांदनी रात काफ़ी दिलकश दिख रहा है..! काश के राही तू बोल सकता तो कम से कम मुझे इल्म रहता के पिछले कुछ दिनों से जो भी मेरे साथ होरहा आखिर वो कौन कर रहा है..? आखिर कौन है जो मुझे डूबते हुए पानी से बचाता है फिर घर या अस्पताल पहुंच कर गायब हो जाता है! “अल्फाज राही से कहती है और वो उसे अपनी ज़ुबान से जवाब देने की कोशिश भी करता है!

 तभी सलवार कमीज पहनी हुई एक लड़की अचानक से अल्फ़ाज़ के सामने आकर कहती है!” अस्सालाम_ओ_अलैकुम, क्या आप इसी घर में रहती है…? ” 

“जी… हाँ मगर आप क्यों पूछ रही है…? ” अल्फ़ाज़ ने पूछा!

 “जी माफी चाहती हूँ आप को इस वक़्त ज़हमत देने के लिये, मेरा नाम हायात है, बात यह है के जिस घर में अभी आप रह रही है असल में वो मेरा घर है! “

  क्रमश – Tamanna_Ae_Khaam -04

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Shama Khan

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