Tamanna Ae Khaam-05

तमन्ना_ऐ_खाम -05

“यह मोहब्बत भी बड़ी अजीब चीज़ होती है इसे आप किसी से माँग नहीं सकते यह तो बस खुद बा खुद आप की तक़दीर में अपनी जगह बना लेती है ! अगर आप की किस्मत अच्छी है तो वो खुद आप को नसीब होजाती है ! मगर मैं मोहब्बत के मामले में बड़ी बदकिस्मत निकली मुझे यह कभी भी नसीब नहीं हुई..! जब भी दिल ने किसी को अपना बनाना चाहा उसने मेरे साथ गैरों से बत्तर रवैये दिखाया! सिर्फ एक आमिर था जिसने मुझे मोहब्बत के असल मायने सिखाये थे! मुझे एहसास दिलाया था के मैं दुनियाँ की सब से खूबसूरत लड़की और एक अच्छी इंसान हूँ मगर मैंने क्या किया…?” अलफ़ाज़ अपने ख्यालो में सोचती हुई अपनी दूकान बंद कर दूकान से सिधा उसी जगह की तरफ जाती है जहाँ वो हर रोज बैठती है! अचानक से राही भी उसके करीब आकर बैठ जाता है!

“राही के बच्चे तुझे कैसे मालूम हुआ के मैं यहाँ हूँ कही तुम मेरी जासूसी तो नहीं कर रहे…?” अलफ़ाज़ राही को अपने पास बैठा देख कहती है फिर दोनों एक साथ डूबते हुए सूरज को देख रहे होते है ,तभी झाड़ियों से सियार और दूसरे जंगली जानवरों की आवाज़ फ़िज़ा में कुंजने लगती है ! राही भोंकते हुए सामने की झाड़ियों की तरफ जाने लगता है ! ,

“राही राही वापस आओ, रुक जाओ..!  राही रुको किधर जा रहे हो, उधर झाड़ियों में मत जाओ रात होने वाली है वापस आओ !” अलफ़ाज़ भी उसे आवाज़ देती हुई उसके पीछे भागती है! कहने को तो अलफ़ाज़ को कोई मतलब नहीं होता किसी से मगर राही ने उसके दिल में जगह बना ली होती है शायद अलफ़ाज़ ने भी राही को दोस्त मानना शुरू कर दिया होता है ,!

राही सामने झाड़ियों में देखते हुए बस भोंके जा रहा होता है…! तभी अलफ़ाज़ की नज़र सामने खड़े काले साये पर पड़ती है , जिस की लाल अंगारा आँखे उन्हें घूर रही होती है , और वो अजीब से जुबान में कुछ फूस फूसा रहा होता है !

अलफ़ाज़ राही को अपनी गोद में उठा कर फ़ौरन दौड़ लगा देती है ! तभी अचानक से उसके पैर के नीचे एक पत्थर आजाने की वजह से वो लड़खड़ा कर राही को लिये हुए गिर पड़ती है !

” अरे… अरे जरा सम्भालिये खुद को, ऐसे दौड़येगा तो गिरयेगा ही आप को ज्यादा चोट तो नही लगी..! ” एक लड़का अलफ़ाज़ को उठाते हुए कहता है !

“जी नही मैं बिल्कुल ठीक हु, शुक्रिया आप का मैं बस घर जा रही थी तो ठोकर लग गयी ! ” अलफ़ाज़ अपने कपड़ो को दरुस्त करते हुए लड़के से कहती है !

“अब तेज दौड़ लगायेंगी तो गिरेंगी ही खैर यह बताये आखिर आप के कुत्ते को मसला क्या है..? वो बार बार उन झाड़ियों की तरफ क्यों भागता है याद है पिछले बार मैंने ही उसे झाड़ियों से पकड़ कर लाया था ! ” लड़का कहता है !

“जी मुझे खुद इल्म नहीं के राही उधर क्यों चला जाता है ? ” अलफ़ाज़ कहती है !

“आप भूत चुड़ैल पर यक़ीन करती है या नहीं ?  ऐसा कहा जाता है के उन झाड़ियों के अन्दर एक गहरा जंगल है जहाँ दूसरी मख्लूख रिहाइश करती है सायद उन्ही के पीछे आप का कुत्ता भागता हो!” लड़का कहता है !

‘”देखिये मुझे आप की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है ,और ना ही मुझे भूत प्रेत , चुड़ैल जैसी चीज़ो पर यक़ीन है अब आप मुझे इजाजत दे ! ” अलफ़ाज़ कहती हुई आगे बढ़ती है !

“वैसे मोहतरमा मेरा नाम मिर्ज़ा है और मैं यही रहता हूँ कभी कोई जरूरत हो तो याद कर लेना !” मिर्ज़ा कहता है !

मगर अलफ़ाज़ उसकी बातों को सुनी अनसुनी करते हुए राही को तलाश करने लगती है ! जब वो उसे नहीं मिलता तो वो घर की तरफ चल देती है !

घर पहुँचते ही उसे राही दरवाज़े पर बैठा मिल जाता है ! वो नाराज़गी में उसकी तरफ देखती है फिर बिना कुछ कहे घर के अंदर दाखिल होने वाली होती है तभी उसे सामने बालकोनी में कुरसी पर बैठी हायात  दिखती है जो उसका ही इंतज़ार कर रही होती है !

तुमने आने में देर कैसे करदी और यह तुम्हारे कपड़ो में मिट्टी कैसे लग गया..? ” हायात पूछती है!

“बस ऐसे ही…! पता नही मैं कौन सी दुनिया में रहती हूँ…? छे साल में मैंने ना कभी इस कमरे को देखा और ना ही इस बालकनी को जब के इसका दरवाजा हॉल रूम से होकर ही गुजरता है! ” अल्फ़ाज़ हायात के सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहती है!

” इस कमरे को हमने छुपा रखा था, तुम चाहती भी तो यह तुम्हें नहीं दिखता ! खैर यह सब छोड़ो यह बताओ आज का दिन कैसा गुजरा ? ” हायात पूछती है!

” बहतर…! ” अल्फ़ाज़ मुख़्तसर सा जवाब देती फिर खामोश बादलों से झांकते चाँद को देखने लगती है!

“लगता है चाँद और उसकी चांदनी से बेइंतहा मोहब्बत है तुम्हे, कल भी तुम इसे ऐसे ही हसरत से देख रही थी जैसे आज देख रही हो..! ” हायात अल्फ़ाज़ से कहती है !

“मोहब्बत…. हु ! दुनियाँ में मोहब्बत जैसी कोई चीज नही होती और अगर होती भी है तो वो सिर्फ माँ बाप होते है जो अपनी औलाद से करते है, बाकी सभी रिश्ते मतलब के होते है! ” अल्फ़ाज़ कहती है !

“फिर चाँद में क्या तलाशती हो..? हायात ने दोबारा पूछा!

“एक दोस्त को…! पूरा चाँद मुझे किसी दोस्त की याद दिलाता है, हम अक्सर साथ में छत पर बैठ कर चाँद देखा करते थे, उस वक़्त चाँद बेहद चमकता हुआ और खुश गवार दिखता था, हम दोनों दोस्त घंटो चाँद को देख कर अपने मुस्तकबिल की बातें किया करते थे! हम ये करेंगे हम वो करेंगे…! और पता है हम जब हँसते थे तो ऐसा मालूम होता था जैसे मानो चाँद भी हमारे साथ हँस रहा हो, मगर …. मगर हम बिछड़ गये, अब जब भी चाँद देखती हूँ वो मुझे मुझसे भी ज्यादा उदास और अकेला दिखता है, और उसमे मुझे मेरे अतीत के पल की झलक दिखती है! ” अल्फ़ाज़ गमगीन होते हुए कहती है!

“हम्म यानी चाँद से काफी गहरा और पुराना रिश्ता है तुम्हारा , वैसे अगर  तुम बुरा ना मानों तो चाय के साथ साथ हम अपनी बातों का आगाज करें..? मैं इस भोले से चेहरे पर छाई गहरी खामोशी के बारे मे जानना चाहती हूँ ” हायात कप में चाय डालते हुए कहती है!

“आखिर हमारा अतीत, माज़ी हमारे पीछे हाथ धो कर क्यों पड़ा होता ? क्या बिगाड़ा होता है हमने इनका? वो हमारा पीछा छोड़ क्यों नहीं देता..?” अल्फ़ाज़ उदास होकर कहती है!

“क्यों के हम हमेशा अपने माज़ी को अपने ऊपर हावी होने देते है, हमने आज को कभी अहमियत दी ही नहीं, या तो माज़ी के यादों में गम जदा होते है या मुस्तकबिल के फ़िक्र में परेशान कभी सोचा है आज के बारे में के हमारा आज कैसा है…? और जब नींद खुलती है तो मौत को सामने पाते है ! ” हायात कहती है!

“तुम्हारे वालदैन और यहाँ रहने वाले सभी लोग मुझे अलफ़ाज़ के नाम से जानते है मगर मेरा 

असल नाम मिस्बाह अज़ीज़ खान है ! मेरा घर धनबाद में है…! कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही मेरेशादी के लिये रिश्ते देखे जाने लगे…! काशिफ से मेरी शादी अरेंज मैरिज हुई थी! एक महीने के अंदर रिश्ता हुआ फिर शादी हो गयी थी…! शादी के पहले रात से ही हम दोनों के रिश्ते कुछ खास नहीं रहे! मुझे लगा था वो मुझसे बहुत सारी बातें करेंगे, मुझे मुँह दिखायी के तोहफे देंगे, मेरे हाथों की मेहंदी में अपने नाम को ढूंढे मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था उन्होंने तो कमरे का बल्ब तक नही जलाया ! ” अल्फ़ाज़ कहती हुई रुक जाती है उसकी आँखें आँसुओं से भर जाती है!

“आगे क्या हुआ था…? बताओ मुझे! ” हायात अल्फ़ाज़ के हाथों को अपने हाथों में थामती हुई कहती है!

“मेरा हाथ छोड़े मैं इतनी भी कमज़ोर नही जितना आप समझ रही है! ” अलफ़ाज़ अपने हाथों को हायात के हाथों से छुड़ाते हुए कहती है !

“माफ़ी चाहती हूँ मेरा मतलब यह नहीं था ! मैं तो बस तुम्हे रिलैक्स कर रही थी !” हायात माजरत मांगते हुए कहती है !

“कोई बात नहीं वैसे वालीमा वाले दिन मेरे मायके के सारे लोग आये सब कुछ अच्छा हो रहा था, मैंने अतिफ के लिये एक तोहफा भी मंगवाया था! ” अल्फ़ाज़ कहती है!

माज़ी में। ……

मासूम सा भोला सा मुस्कुराता चेहरा ! आज अगर चौदहवी का चाँद भी उसे देख ले तो शायद उसे भी खुद का हुशन फीका लगने लगता और वो भी माशा अल्लाह कहने पर मजबूर हो जाता ! जिसने आज तक कभी साज ओ सिंगार नहीं किया था आज वलीमा की रात मैरून रंग के लहंगे में किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही होती है  ! मिसबाह का हुसन वलीमा की रात में किसी जगमगाती रौशनी से कम नहीं होता है !

“काशिफ आप ने तो कहा था कि आप वलीमा का बेहतरीन इंतेजाम करेंगे मगर आप ने तो मेरे आये हुए मेहमानों को बैठने के लिये एक कुर्सी तक का इंतजाम नहीं किया है ! ” वलीमे की स्टेज पर अपने शौहर काशिफ के साथ बैठी मिसबाह धीमे से काशिफ के कानों में कहती है!

“तुम्हे सामने चटाई नहीं दिख रही वो उनके ही बैठने के लिये बिछाई गयी है ! ” काशिफ ने चिढ़ते हुए कहा!

“मगर काशिफ आजकल चटाई पर कौन बैठता है…? सब काफी वक़्त से खड़े है आप कुर्सी मंगा दे उनके लिये ! ” मिसबाह कहती है !

“तुम्हे नही लगता तुम्हारी जुबान जरूरत से कुछ ज्यादा ही चल रही है..? चलो मेरे साथ कमरे में! ” काशिफ ने कहा तो मिसबाह खामोश हो जाती है!

काशिफ सोफे से उठ कर सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ कमरे में जाता है मिसबाह भी अपना लहंगा संभाले काशिफ के पीछे पीछे जाती है!

मिसबाह के कमरे में जाते ही काशिफ कमरे का दरवाजा लगा देता है, फिर उसके ठुड्डी को अपने हाथों से गुस्से में दबाते हुए उसे बेड पर बैठाते हुए कहता है ! ” मेरी बिल्ली मुझसे ही म्याऊ करेगी, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई भरी महफ़िल में मुझसे वो सारी बातें करने की,अगर कोई सुन लेता तो मेरी इज्जत तो दो कौड़ी की भी नही रहती ! तुम्हारा आशिक नही हूँ मैं जिसे तुम नखरे दिखाओगी अपना हुकुम चलाओगी शौहर हूँ मैं तुम्हारा और यहाँ तुम्हे मेरे मुताबिक चलना होगा! अब चलो मेरे पैर पकड़ो और माफी मांगो मुझसे! “

“मगर मैंने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया जिसके लिये आप मेरे साथ ऐसा सलूक कर रहे है..? ” मिसबाह रोते हुए कहती है!

“बंद करो यह झूठे आँसू बहाना, मैं तुम औरत की फितरत अच्छे से जानता हूँ ! मैंने कह दिया ना माफी मांगो तो मांगनी पड़ेगी वरना वालीमा की यह हसीन रात तलाक की काली रात में ना तब्दील हो जाये तुम्हारी ! ” काशिफ मिसबाह को धमकी देते हुए कहता है!

वालीमा की रात तलाक की बात सुन कर मिसबाह काफी डर जाती है, वो काशिफ के पैरों में झुक कर कहती है..! ” मैंने जो भी आप से गुस्ताखी की आप उसके लिये मुझे माफ कर दे मैं आइंदा से कोशिश करूँगी के मेरे तरफ से आप को किसी तरह की कोई शिकायत ना हो..! “

उसकी आँखे आँसू से डब डबा जाती है!

“यह हुई ना बात औरतो की जगह वैसे भी अपने शौहर के कदमों में होती है! अब चलो उठो और इधर मेरे पास आओ जरा मैं भी तो देखूँ अपनी चाँद जैसी बीवी को…! माशा अल्लाह मिसबाह तुम बेहद खूबसूरत हो उस पर यह वालीमे का जोड़ा दिल कर रहा तुम्हें खा जाऊँ ! ” काशिफ मिसबाह को जबरदस्ती अपनी बाहों में कसते हुए कहता है ! जैसे ही वो मिसबाह के लहंगे के टॉप की चैन को नीचे की तरफ खिंचता है…, तभी कोई दरवाजे पर तेज़ दस्तक देकर काशिफ को आवाज़ देता है!

” ओफ्फो आ रहा हूँ..! सुनो फिलहाल तो मैं अभी जा रहा हूँ, तुम कपड़े मत बदलना वो लेहेंगा  मैं उतारूँगा और हाँ याद रखना यह मेरा हुक्म है! ” काशिफ कहते हुए कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर चला जाता है!

उसके जाते ही मिसबाह फुट फुट कर रोने लगती है ! तभी उसकी कुछ नन्द और ननदोई उसके कमरे में मुस्कुराते हुए अंदर आते है !

अहम्म क्या बात है भाभी अभी तो पूरी रात पड़ी है आप दोनों को इतनी भी क्या जल्दी है जो भरी महफ़िल में दरवाज़ा लगा लिया ! वैसे कही हमने आप को डिस्टर्ब तो नहीं किया ना?” मिसबाह के ननदोई पलंग पर बैठते हुए कहते है !

“जी नहीं वो हम सिर्फ बातें कर रहे थे ! मिसबाह अपने आँसू सब से छुपा कर अटकते हुए बोलती है ! तभी उसकी छोटी नन्द उसके बराबर में आकर खड़ी होजाती है और बड़ी ही होशियारी के साथ मिसबाह के लहंगे के टॉप का चैन लगा देती है ! फिर धीमे से उसके कानों में कहती है !

“भाभी आप का ध्यान किधर है पूरा पीठ दिख रहा था आप का इसलिए ये सब मिल कर मज़ाक कर रहे आप से !”

“शुक्रिया तुम्हारा मेरा तो ध्यान ही नहीं गया इस तरफ !” मिसबाह शर्मिंदा होते हुए कहती है !

“अरे भाभी नयी नयी शादी में ये सब होता है ! आप खूब एन्जॉय करे !” मिसबाह के ननदोई कहते हुए कमरे से बाहर चले जाते है !

लेहेंगा पहने मिसबाह रात के 1 बजे तक काशिफ के कमरे में आने का इंतज़ार कर रही होती है मगर वो नही आता है! तो वो नाराज होकर कपड़े बदल कर सो जाती है ! तभी काशिफ कमरे में दाखिल होता है ! मिसबाह को सोता देख वो उसके बराबर में उसे थाम कर लेट जाता है !

“तुमने लेहेंगा क्यों उतरा…? मैंने मना किया था ना..!  ” काशिफ मिसबाह के बदन पर हाथ फेरते हुए कहता है!

“जी.. वो लैहेंगे के जरी वाले काम मेरे जिस्म में चुभ रहे थे आ और आप ने भी तो काफी देर करदी आने में इसलिए मैंने कपड़े बदल लिये ! वैसे मेरे पास आप के लिये एक तोहफा है उम्मीद है आप को पसंद आयेगी! ” मिसबाह घबराते हुए कहती है !

“आइंदा से मेरे हुक्म की तामील करना और हाँ तोहफा बाद में देख लूंगा पहले तुम इधर मेरे पास आओ ! ” काशिफ कहता हुआ मिसबाह पर झुक जाता है!

रात गहरी हो चुकी होती है मगर पेट दर्द होने के कारण मिसबाह के आँखों से नींद कोसो दूर होती है वो अपने बेड पर बैठी नाइट बल्ब की धीमी रौशनी में सोये हुए काशिफ की तरफ देखती और खुद में कहती है!

“क्या अरेंज मैरेज ऐसा ही होता है? जिसमें शायद मोहब्बत बाद में होती हो और जिस्मानी रिश्ते पहले बनते है! क्या एक लड़की से उसकी मर्ज़ी जानना भी जरुरी नहीं होता…? एक बार मुझसे पूछा तो होता मुझे छूने से पहले.., कितना अजीब लगता है जब एक अनजान इंसान जिसे हम जानते भी नहीं वो अचानक से एक रात में हमारे शौहर होने का ख़िताब हासिल करने के साथ साथ हमारे जिस्म को भी अपनी जागीर समझ कर उसपर झपट पड़ता है ! कितना कुछ कहना था मुझे कितने ख्वाब थे मेरे मगर अब मुझे उन सब का जनाजा निकलते हुए नज़र आ रहा है! या अल्लाह हमारे दरमियाँ मोहब्बत क़ायम करदे, हमारे रिश्ते को मजबूत करदे ना जाने क्यों? एक अजीब सा डर मेरे मन में समा रहा है!

” बैठी क्यों हो नींद नहीं आ रही तुम्हे..?” मिसबाह को बैठा हुआ देख काशिफ कहता है!

” जी मैं वो चाहती हूँ के आप एक बार मेरा तोहफा देख ले! ” मिसबाह घबराते हुए कहती है!

“अच्छा ठीक है लाओ क्या तोहफा है! ” काशिफ उठते हुए कहता है!

तो मिसबाह फ़ौरन अलमारी से अपना तोहफा निकाल कर काशिफ की तरफ बढ़ाती है! ” आप ने तो मुझे मुँह दिखायी में कोई भी तोहफा नहीं दिया तो मैंने सोचा क्यों ना मैं ही आप को तोहफा दु! ” मिसबाह कहती है!

” अच्छा जी मुझे तो मालूम ही नही था के पहली रात को मुँह दिखायी देते है खैर छोड़ो मुझे पहले मेरा तोहफा देखने दो! ” काशिफ कहता हुआ गिफ्ट पैक खोलता है, जिसमें एक हार्ट पिलो होता जिसमें मिसबाह और  काशिफ   की फोटो लगी होती है और लिखा होता है ” I need you as a true love of my life साथ में एक कार्ड होता है जिसमें मिसबाह ने बहुत कुछ लिखा होता है! हार्ट  पिलो  देखते ही काशिफ की आँखे नम हो जाती है!

” क्या हुआ आप को तोहफा पसंद नही आया..? ” मिसबाह पूछती है!

” नही ऐसा नही है! ” काशिफ ने कहा!

“फिर आप इतना खामोश क्यों होगये..? ” मिसबाह ने पूछा!

“पहली बार जिंदगी में किसी ने मुझे कोई तोहफा दिया वो भी इतना प्यार! ” काशिफ  कहता है!

“आप यह कार्ड पढ़े मैंने आप के लिये कुछ लिखा है इसमें! ” मिसबाह काशिफ के हाथ में कार्ड थमाते हुए कहती है!

“तुम ही पढ़ कर सुना दो मुझे उतना पढ़ना लिखना नहीं आता या अभी रहने दो मैं बाद में पढ़ लूंगा  ..! ” काशिफ कहता है!

मौजूदा वक्त में (Present)

” आगे क्या हुआ ..?अलफाज बताओ! और हाँ चाय पियो ठंडी हो रही है! ” हायात  कहती है!

“हुआ तो बहुत कुछ था सब बताऊंगी…! हायात मैं हमेशा काशिफ  से बात करने की कोशिश करती ताके मैं उन्हे और वो मुझे अच्छे से जान सके, मगर वो कभी भी मुझसे बातें नहीं करते थे, मैं जब भी उनके पास बात करने के गरज से बैठती वो बात तो नही करते मगर कमरे की कुंडी जरूर लगा लेते थे ! शादी के कुछ दिन तक तो मुझे यही  लगा के अभी हमारी नयी नयी शादी हुई है इसलिये काशिफ  जिस्मानी रिश्तों को लेकर over possessive है धीरे धीरे उन्हे भी मुझसे मोहब्बत होने लगेगी फिर शायद वो मेरे साथ अच्छा बेहवे करे  मगर ऐसा नहीं था ! उन्हे मुझसे शायद कभी मोहब्बत हुई ही नही! ” अल्फ़ाज़ चाय की घूंट पीते हुए कहती है !

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