Tamanna Ae Khaam – 06

तमन्ना _ऐ _खाम -06

माज़ी में…

शादी के कुछ ही दिन गुज़रे थे ! मैं किचन के काम निपटा कर दोपहर में  करीब चार बजे अपने कमरे में जाती हूँ तो काशिफ मुझे बेड पर बेखबर सोये हुए  मिलते है ! मैं कुछ देर बैठ कर उसे निहारती हूँ ! जैसे ही मैं आराम करने के इरादे से काशिफ के बाजुओ पर सर रख कर उनके  बराबर में लेटती हूँ वैसे ही मेरी ननद जिनत मेरे कमरे में आकर कहती है !

“भाभी आप को अम्मी नीचे किचन में बुला रही है !”

“अभी ? मगर क्यों ? ज़ीनत मैं किचन के सारे काम कर के ही अभी जस्ट रूम में आयी हूँ !” मैं नींद में ऊँघते हुए कहती है !

“भाभी वो तो मुझे पता नहीं आप खुद ही नीचे जाकर देख ले शायद कोई अर्जेंट काम हो अम्मी को आप से !” ज़ीनत कहती हुई चली जाती है !

मैं भी उसके पीछे सर पर दुप्पटा रखते हुए अपने सास के कमरे में जाती है !

“जी अम्मी आप ने बुलाया मुझे ?” मैंने अपनी सास  से कहा  !

“हाँ वो अब्बा दूध लेकर आगये है उसे चूल्हे पर गर्म कर के अच्छे से ढक कर रख दो !” मेरी सास कहती है !

“जी अम्मी !” कहते हुए मैं  हाँ मेर सर हिलाते हुए किचन में चली जाती हूँ !

 ” कहा गई थी..? !” मेरे कमरे में आते ही काशिफ ने नाराज होते हुए पूछा..!

“नीचे किचन में थी..!” मैंने हल्का सा कहा..!

“सारा सारा दिन कमरे से गायब रहती हो..जब देखो तब काम काम,तुमने मुझसे शादी की है या इस घर से मेरे लिए तुम्हारी कोई जिम्मेदारी है भी या नही..? “! काशिफ चिल्लाते हुए कहता है..!

“जी आज तो मैं वक्त पर आगायी थी मगर वो अम्मी ने दूध गरम करने के लिए वापस से बुलाया था..!” मैंने थोड़ा घबराते हुए कहा ..!

“आइंदा से कमरे में आना तो दरवाजा अंदर से लॉक कर लेना मैं नहीं चाहता कोई भी मुझे डिस्टर्ब करे ..!” काशिफ कमरे का दरवाजा लगाते हुए कहता है ..!

काशिफ मुझसे अपना मतलब पूरा कर के चैन से सो चुके होते है..! मगर मेरा मन बेचैन सा था..!

मेरे ज़हन में एक ही बात चल रही होती के। … मेरी  शादी को कई दिन गुज़र चुके होते है ! मगर मेरे  और काशिफ के बीच खास ताल मेल  नहीं बन पा रहा होता है ! वो चाहते है मैं हर वक्त उनके कमरे में मौजूद रहू मगर सिर्फ उनके अपने मतलब के लिए बात तो वैसे भी वो मुझसे नहीं करते..! ऐसा लगता था मानों मैं काशिफ के लिए एक खिलौना हु..!

दूसरी तरफ मेरी सास सारा सारा दिन मुझे घर और किचन के कामों में फसा कर रखती है ! अपने बेटे के पास बैठने का मौका ही नहीं देती है ! वो ऐसा क्यों कर रही थी  इसके पीछे की वजह मुझे खुद को मालूम नही होती है..!

किसी तरह अगली  दोपहर में मैं  किचन का काम खत्म कर के अपने कमरे के बेड पर आकर बैठती हुं और सामने चेयर पर बैठे टीवी पर कोई मूवी देख रहे काशिफ से कहती हूँ ..!

” काशिफ इधर मेरे पास आकर बैठे मुझे आप से कुछ बातें करनी है! “

” हाँ कहो क्या बात करनी है…? और वैसे मैंने तुम्हे कई बार कहा है के मेरा नाम लेकर मुझे मत पुकारा करो मुझे पसंद नहीं है ! ” काशिफ रूखे अंदाज में कहता है!

“अच्छा.. ठीक है नही लुंगी आप का नाम अब आप प्लीज यहाँ मेरे पास आकर बैठे मुझे आप से बात करनी है आप को जानना है और मैं चाहती हूँ के आप भी मुझे समझे मेरे बारे में जाने ,आप बिल्कुल भी मुझे वक़्त नही देते है जब के  आप सिर्फ दो महीने के लिये यहाँ हो फिर आप वापस दुबई भी चले जायेंगे ! क्यों ना हम कहीं घूमने चले जैसे आप के गांव या फिर कही किसी रिश्तेदार के यहां इस तरह हम एक दूसरे को ज्यादा वक्त दे पायेंगे..!” मैंने मोहब्बत से कहा !

” हाँ तो कहो ना क्या कहना है..? मैं सुन तो रहा हूँ..! वैसे भी मैं दिन में कही भी रहूँ रात को तो पूरा वक़्त तुम्हे ही देता हूँ! ” काशिफ टी वी देखते हुए कहता है !

” रात को….? काशिफ आप रात को भी मुझे वक़्त नही देते ना ही आप मुझसे कोई बातें करते है, रात को सिर्फ आप अपना मतलब पूरा करने के गर्ज़ से मेरे पास आते है और सो जाते है, उसके एलवा मेरी कोई अहमियत ही नही है आप की जिंदगी में..! ” कहते हुए मैंने अपना मोबाइल उठा कर उस मे वक़्त देख कर  फिर वापस रख देती हूँ  !

” खुद के बारे में नहीं कहोगी..? सारा सारा दिन मोबाइल तुम्हारे हाथ में रहता है! ” काशिफ मिसबाह को तंज कसते हुए कहा !

” काशिफ मेरा सारा का सारा दिन किचन के काम, आप की अम्मी और आप की  खिदमत में गुजरती है मैं शायद ही कभी पांच मिंट फोन चलाती होंगी! अगर फोन मसला है तो लो आप रख लो! ” मैं कहते हुए मोबाइल बेड पर हल्के से फेंकती हूँ मगर मोबाइल बेड से फिसल कर नीचे गिर जाता है और उसका स्क्रीन टूट जाता है!

” तुम्हारी इतनी हिम्मत के तुम मुझे गुस्सा देखाओ, रुको तुम्हें अभी बताता हूं! ” काशिफ मिसबाह को बालों से पकड़ते हुए कहता है!

” काशिफ छोड़िये मुझे दर्द हो रहा है !” मिसबाह खुद को बचाने की कोशिश करते हुए कहती है !

“रुक जा आज तेरा दिमाग ठिकाने पर लगाता हूँ मैं ! अम्मा अब्बा इधर आये मेरे कमरे में फ़ौरन ! ” काशिफ सीढ़ियों से अपने माँ बाप को आवाज़ देता है!

” क्या हुआ बेटा तुम इस तरह क्यों चिल्ला रहे हो..?अगल बगल  सुननेगे तो क्या कहेंगे ? ” काशिफ के अब्बा कमरे में आते हुए पूछते है !

“पहले ये बताओ आप लोगों ने मेरी शादी इस लड़की से इसलिये करायी ताके यह मुझे कमरे में बैठा कर टॉरचर करे..? यह मुझे हनीमून पर चलने के लिये कहती है, कहती है मुझसे दिन भर बातें करो मेरे पास बैठे रहो और खुद अपना मोबाइल लेकर अपने मायके कॉल पर लगी होती है जब मैंने मना किया तो गुस्सा में मोबाइल नीचे फेंक कर तोड़ दी ! ” काशिफ चिल्लाते हुए कहता है!

“ऐ लड़की कान खोल कर सुन ले मैंने तेरी शादी अपने बेटे से इसलिये की ताके वो खुश रहे और तेरा काम है उसे खुश रखना! ” काशिफ के अब्बा मिसबाह पर चिल्लाते हुए कहते है!

“अब्बा मैंने कुछ नही किया मै बस इनसे यह कह रही थी के थोड़ा सा अपना वक़्त मुझे भी दे मुझसे भी बातें करे और वो मोबाइल गलती से नी नीचे गिर गया..!” मैं डरते हुए कहती हूँ !.

“मुझे मालूम होता ये इतनी फालतू लड़की है तो मैं कभी अपने बेटे की शादी इससे नहीं करती !” मिसबाह की सास कहती है !

“कहती है  हनीमून पर जाएगी..? तेरा मिया बहुत बड़ा इंजीनियर या डॉक्टर नहीं है ना ही कोई ऑफिसर है मजदूर है वो तो उसी हिसाब से अपने औक़ात में रहो, जितनी चादर उतनी पैर पसारो! ला बेटा दे मुझे इसका मोबाइल इसे किसी से भी बात करनी हो चाहे वो इसकी माँ ही क्यों ना हो..! अगर मैं इजाजत दूँगा तभी यह बात करेगी वरना नहीं ! ” काशिफ के अब्बा कहते है!

“मैं अपने औक़ात में ही रहती हूँ ! अब्बा आप इनसे पूछ ले मैंने इनसे कोई गलत बात नहीं की है ! सिर्फ ये कहा के हमलोग कही घूम आते है या तो इनके रिस्तेदार के यहाँ या फिर मेरे मायके ! और रही बात कॉल पर बात करने की तो अगर  आप लोग मना करोगे तो मैं किसी से भी बात नही करूँगी मगर आप होते कौन है मुझे मेरी माँ से बात करने से रोकने वाले , आप का जब मन होगा तब मैं अपनी माँ से बात करूँगी…? कभी नही वो माँ है मेरी और उन्हें मैं किसी के लिए भी नहीं छोड़ूंगी ! ” मिसबाह नाराज़ होते हुए कहती है !

मिसबाह का इतना कहना होता है के काशिफ उसपर थप्पड़ की बौछार कर देता है!

“बदतमीज़ तेरी इतनी हिम्मत के तू मेरे अब्बा से ज़ुबान लड़ाये जान से मार दूँगा आज तुझे !”

“भैया क्या कर रहे है आप ? छोड़िए भाभी को..! ” काशिफ की छोटी बहन और भाई उसे रोकते हुए कहते है!

मगर काशिफ के सर पर तो जैसे जुनून सवार हो जाता है! वो मिसबाह को बहुत मारता है!

पूरे कमरे में लाल काँच की चूड़िया और मिसबाह के मोती जैसे आंसू टूट कर बिखर जाते है! ठीक उसकी शादी की पहली रात की तरह वजह अलग अलग थे मगर कमरे का फर्श टूटी चूड़ियों से भरा हुआ था !

मिसबाह किसी तरह अपना मोबाइल लेकर अपनी बहन को फोन लगा कर सारी बात कह देती है! और यह शादी के बाद पहली ऐसी रात होती है जब मिसबाह और काशिफ दोनों के दरमियाँ रूहानी ही नहीं बल्कि जिस्मानी फासले भी होते है!

क्रमश – Tamanna_Ae_Khaam- 07

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