Tamanna Ae Khaam- 07

शाम ढल कर रात में तबदील हो चूकी होती है ! बालकनी में आती जाती शरद हवायें अल्फ़ाज़ के वजूद को महका रही होती है! उसे यक़ीन नही होरहा होता है के वो किसी अंजान लड़की, जिससे वो एक दिन पहले मिली है उससे अपने जिंदगी के वो लम्हे शेयर कर रही जो उसने आज तक अपने अंदर छुपाया हुआ था!
“कभी कभी हमें किसी से बेइंतेहा शिकायत होते हुए भी उससे किसी भी तरह की कोई शिकायत करने को दिल नही चाहता ! क्यों के वो इंसान उस लायक होता ही नही है के उससे शिकायत की जाये ! ” अल्फ़ाज़ हायात की तरफ देखते हुए कहती है..!
“अल्फ़ाज़ कभी तो ऐसा मौका आया होगा जब तुम्हारे शौहर ने तुमसे मोहब्बत से बात की हो! ” हायात कहती है!
“हायात हर ढलते दिन के उजाले के साथ साथ मेरी जिंदगी की चमक भी अंधेरी काली रात की तरह सियाह होती चली जा रही थी मोहब्बत भरे लम्हात मयस्सर हुआ था मगर बहुत कम वो मैं तुम्हे आगे बताऊँगी ! ” अल्फ़ाज़ बालकनी में टहलते हुए कहती है!
तभी अचानक उसे अपने पीछे कोई वजूद खड़ा महसूस होता है वो फ़ौरन पलट कर देखती है तो दो नीली आँखे उसे घुर रही होती है जिससे वो डर कर चीख मारती है!
” क्या हुआ अल्फ़ाज़ तुम इस तरह क्यों चीख रही हो..? ” हायात अल्फ़ाज़ को थामते हुए कहती है..!
“का..कोई खड़ा था यहां अभी आ..और उसकी नीली गहरी आँखे थी और ये वही आँखे है जो मुझे बार बार दिखती है! ता…ता.. तुम देखो जरा ! ” अल्फ़ाज़ डरते हुए कहती है..!
“अलफ़ाज़ कोई भी मौजूद नहीं है यहां तुम खुद देख लो..! तुम खा मा खा का पारेशां हो रही हो! ” हायात उसे समझाते हुए कहती है!
“नही हायात मै झूठ नही कह रही.., कभी मुझे नीली आँखों वाला कोई परछाई दिखती है तो कभी आग की तरह दहकती अंगारा आँखों वाला मुझे समझ नही आरहा आखिर यह सब मेरे साथ क्या हो रहा…? ” अल्फ़ाज़ घबराते हुए कहती है..!
“यह सब तुम्हारा वहम है तुम घबराओ मत, आराम से बैठो पानी पियो फिर अपनी बात मुकम्मल करो मुझे जानना है आगे क्या हुआ…?! ” हायात अल्फाज को बैठाते हुए कहती है..!
“मैं ठीक हूँ आप परेशान ना हो…! अगर मैंने कोई बात शुरू की है तो मैं उसे मुकम्मल जरूर करूँगी! मगर कुछ दिनों से जो कुछ भी मेरे साथ हो रहा वो कोई नार्मल बात नहीं है ! ” अल्फ़ाज़ ग्लास का पानी पीते हुए कहती है..!
“इस बारे में हम बाद में बात करेंगे ! तो क्या अब ठीक हो तुम ?” हायात पूछती है !
“हाँ अब मैं ठीक हूँ .. ! हायात वो शादी के बाद मेरी पहली ऐसी रात थी जिसमें काशिफ ने मुझे हाथ तक नही लगाया, उस रोज पहली दफा करीब से मैंने काशिफ के नज़र में अपने लिये नफरत देखी थी!
मैं सारी रात सोचों में गुम करवटें बदलती रही के आखिर ऐसा क्या गलत कह दिया मैंने के मेरे शौहर को मुझपर हाथ उठाना पड़ गया..? सिर्फ उनसे उनका थोड़ा सा वक़्त ही तो मांगा था..! क्या मिया बीवी का रिश्ता जज़्बातों से ना जुड़ कर सिर्फ जिस्मों से जुड़ा होता है..?! “
मैं सुबह उठ कर अपने रोज के कामों में लग जाती हूँ ! काशिफ उसके माँ बाप भाई बहन सभी एक कमरे में इखट्टा होकर मुझे लेकर आपस में बातें करने में लग जाते है !
करीब सुबह दस बजे मेरे मायके से मेरे बड़े भाई, बहन और माँ मुझे बिना बताये मेरे ससुराल आगये..!
“अभी शादी को गिन कर कुछ ही दिन हुआ है, और तुमने मेरी बहन पर हाथ उठा दिया, आखरी बार था वो दोबारा ऐसा किया तो मैं तुम्हारा हाथ तोड़ूंगा ! ” मेरे बड़े भाई गुस्से में काशिफ से कहते है!
“आवाज़ जरा नीची कर के बोले अगल बगल लोग सुनेंगे तो गलत समझेंगे ! और हाँ बड़े भाई साहब हमारे यहाँ बेटी के शादी के बाद दामाद से जरा झुक कर बातें की जाती है! आप ने तो सीधा मेरे बेटे की हाथ तोड़ने की बात कर डाली, आप को याद रहना चाहिए अच्छे से के अब आप की बहन इस घर की बहू है, और आप जो यहां सर उठा के आये है वो झुकी हुई होनी चाहिये ! क्यों के..? आप ने हमें बेटी दी है और हम लड़के वाले है ! ” काशिफ के अब्बा रोवाब झाड़ते हुए कहते है!
” एक बात अच्छे से समझ ले हमने समाज में शादी की है उसकी, बेचा नही है आप को जो आप का जो मर्ज़ी होगा उसके साथ सलूक करेंगे अगर मेरी बहन को कुछ हुआ तो सच में हाथ तोड़ दूंगा और साथ में कमेटी बैठेगी बुरा हाल कर दूंगा तुम सब का देख लेना ! ” मेरे बड़े भाई गुस्से में कहते है!
“हायात उस रोज मेरे मायके और ससुराल वालों के बीच बहुत बहस हुई! साथ साथ काशिफ मेरे घर वालों के सामने मुझे गलत साबित करने में लगे रहे !
आखिर में मौका मिलते ही मेरे भाई जब मुझे कमरे में अकेले लाकर मुझसे पूछने लगे के और क्या क्या होता है मेरे साथ…? तभी काशिफ ने आकर मुझे तलाक देने की धमकी दी और कहा !
“मेरे इजाजत के बगैर अगर तुमने अपने इस भाई से बात की तो तुम्हें अभी के अभी तलाक दे दूंगा, बहतर होगा के तुम इन्हे अभी के अभी मेरे कमरे से बाहर जाने को कहो अब फैसला तुम्हारे हाथों में है तुम्हे मेरा साथ चाहिए या तुम्हारा भाई..! “
“मेरी बहन है वो और कोई भी मुझे उससे बात करने और मिलने से नही रोक सकता है! ” मेरे बड़े भाई ने कहा !
“मेरी बीवी है वो और मेरे इजाजत के बगैर कोई भी उससे बात नही कर सकता तुम भी नही समझे, और हां मिसबाह तुम इन्हे कमरे से निकाल रही हो या मैं तुम्हे तलाक दु…? ” काशिफ मेरी कलाई ममोड़ते हुए कहता है..!
ये लफ्ज़ सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी थी, मैंने रोते हुए भाई की तरफ देखा और कहा..!
“भाई आप खुदा के वास्ते यहाँ से चले जाए मैं नहीं चाहती मेरे तलाक की वजह आप बने…! “
“तुम उसकी धमकी से डर रही हो..? मिसबाह तुम एक बार डरी तो यह तुम्हें बार बार डरायेगा! ” मेरे भाई रोते हुए कहते है..!
“सुना नहीं उसने क्या कहा..? निकलो तुम मेरे कमरे से! ” काशिफ ने मेरे भाई को धक्के देकर बाहर निकाल दिया ! मेरे भाई रोते हुए कमरे से बाहर चले जाते है!
अम्मी और बहनों ने भाई को समझाया तो वो खामोश होकर सोफे पर बैठ जाते है !
“बेटा शौहर ने अगर गुस्से में मार दिया तो क्या हुआ..? यह सब आम बात है! तुम्हे अपना घर बसाने की कोशिश करनी है ना के उजाड़ने की..! अब जो हुआ सो हुआ दोबारा कोई शिकायत का मौका मत देना और अपने शौहर से माफी मांग लेना जो है जैसा है अब वही तेरा सब कुछ है ! ” मेरी माँ सब के सामने मुझे समझाती है, फिर वो सारे लोग चले जाते है..!
सब के जाने के बाद काशिफ ने मुझे बहुत जलील किया, मेरा कोई कसूर ना होते हुए भी मैंने उससे माफी मांगी बदले में उसने मुझसे कसम ली के मैं अपने भाई से कभी बात नही करूँगी ! उस रात मैं बिना खाये पिये कमरे के एक कोने में बैठी रोती रही, काशिफ मुझे तरह तरह के ताने मार कर जलील करता रहा! उसकी इस हरकत पर उसके घर वाले काफी खुश हो रहे थे, मानों उनके बेटे ने अपनी बीवी को कंट्रोल में कर के कोई जंग जीत ली हो!
खाने का वक्त हुआ तो काशिफ खाना खा कर बिस्तर पर लेट चुका था,
वो दिसम्बर की सर्द रात थी अचानक रात के 12 बजे जब मुझे बहुत ठंड महसूस होने लगी तो मै आकर बिस्तर पर अपने जगह लेट गयी! अभी मुझे बिस्तर पर आकर लेटे हुए कुछ ही सेकंड हुए थे अभी मेरे आँखों के आँसू सूखे भी नहीं थे के काशिफ मेरे ऊपर आकर लेट जाता है और कहता है! ” नहीं दोगी.. ? “
मै उसके इस बात पर उस के इंसान होने पर ताज्जुब कर रही थी, वो यह सब मेरे आँसुओं से भरी आंखों में मुस्कुराते हुए देख कर कह रहा था..! मैंने उस वक्त अपनी बीवी होने के हुक़ूक़ याद कर के उसे मैंने भरे गले से कहा..!
“मैं शायद इसी काम के लिये आप की जिंदगी में आयी हूँ, आप की जो मर्जी में आया करे मैं मना नही करूँगी..! “
बस फिर क्या..? वो बेहिश इंसान पूरी रात मेरे जिस्म से खेलता रहा और मैं बुत बनी लेटी पंखे को तकती रात भर रोती रही…! मैं एक बात अच्छे से समझ चुकी थी के काशिफ को सिर्फ और सिर्फ जिस्मानी रिश्ते बनाने से मतलब है ! उस रोज मन का दर्द जिस्म के दर्द के आगे काफी बढ़ चुका था..! ” अल्फ़ाज़ कहते हुए रोने लगती है..!
उसकी आँखों में माज़ी का गुजरा हुआ दर्द आज भी जिंदा नजर आ रहा होता है..!
” मुझे माफ कर दो मेरे वजह से तुम्हारा गुजरा हुआ दर्द ताजा हो गया! ” हायात उदास होकर कहती है..!
“हायात जो जख्म कभी सूखे ही नहीं उसे तुम ताजा कैसे करोगी..! उसके जुल्म की यादें और मेरी बद किस्मती, दोनों हमेशा से रोशन है इस पूरे चाँद की तरह..! ” अल्फ़ाज़ नम आँखों से चाँद को तकते हुए कहती है!
” उसके बाद क्या हुआ था..! ” हायात ने पूछा..!
“अगली सुबह मेरे लिये अलग तूफान और मुसीबत लेकर आने वाला था..! ” अल्फ़ाज़ कहती है!
क्रमश : Tamanna_Ae_Khaam- 08
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Shama Khan
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