Tamanna Ae Khaam- 08

तमन्ना_ऐ_खाम -08
सुबह होते ही काशिफ उठ कर कमरे से बाहर चले जाते है..! मैं सुबह के करीब 7 बजे नहा कर सीधे किचन की तरफ जाती हूं तो देखती हु के काशिफ़ गुस्से की हालत में हॉल रूम में अपने मां बाप के साथ बैठे है..! मैं खामोशी से किचन में चली जाती हूं और नाश्ता बनाना शुरु कर देती हूं..!
मुझे किचन में जाते देख काशिफ अपनी जगह से उठ कर मेरे सामने आते है और अपनी माँ से कहते है !
“अम्मा आज से आप कोई भी काम नहीं करोगी, सारे काम यह करेगी बहुत शौक है ना इसे पंचायती बैठाने का जरा मैं भी तो देखूँ के अब कौन सा पंचायती करवायेगी यह..? “
“और हाँ तुम इधर मेरी बात जरा कान खोल कर सुनो सब से पहले तुम घर के पूरे दस कमरों में झाड़ू लगाएगी.., फिर एक एक कर के सारे कमरे धोने है ! उसके बाद पोछा लगा कर सुखा ओगी..! खाना बर्तन भी तुम्हे ही करना है वो भी सब वक़्त पर… ! आज के बाद मेरी माँ और बहन कोई भी काम को हाथ नही लगाये गी आई बात तुम्हारे समझ में या नहीं..? ” काशिफ मुझपर पर गरजते हुए कहता है… !
इस बार भी उसके घर वाले बड़े खुश नजर आ रहे थे के उनका बेटा जोरू का गुलाम नहीं है बल्कि अपनी जोरू को अपने घरवालों का गुलाम बना रहा है… !
“जी… समझ गई ! ” मैंने धीमे से कहा, क्यों के..? मैं अब घर में किसी भी तरह का हंगामा नहीं चाहती थी !
उस रोज मैंने काशिफ के कहने के मुताबिक सारा काम किया उसके दो तल्ला दस कमरे वाले मकान को साफ किया वो इतने गंदे थे, मानों अपनी सफाई के लिये मेरे ही मुंतज़िर थे.. !
सफाई करने के दौरान काशिफ भी मेरे पीछे पीछे घूम रहे होते है ये देखने के लिए कि मैं सही से काम कर रही हु या नहीं !
इसी तरह सारा दिन मेरा काम में गुज़र जाता है..! रात के 11 बजे मैंने उस दिन का आखिरी काम जो के बर्तन धोना था उसे निपटा के जब अपने बिस्तर पर थकी हारी आराम के गरज से लेटती हूँ तभी मेरे पेट के निचले हिस्से में अचानक से तेज दर्द उठ जाता है! वो दर्द इतना सदीद होता है के मैं बहुत ज्यादा बेचैन होने लगी थी.., ऐसा मालूम हो रहा था जैसे कोई चीज मेरे पेट से बहुत तेजी से बाहर की तरफ निकल रही है! मैं जिस हिस्से में बैठी थी वो पूरा जगह खून से सन जाता है, मुझे समझ नही आ रहा था के यह हैज़ ( period) का खून है या कुछ और..? मुझे सिर्फ उस वक़्त सदीद दर्द महसूस हो रहा था..!
“क्या हुआ तुम्हें…? इस तरह क्यों रो रही हो और यह बेड पर ब्लड कैसा..? ” काशिफ कमरे में आते ही पूछते है…!
“आप दवा ला कर दे मुझे बहुत दर्द हो रहा है..! आज से पहले ऐसा दर्द मैंने कभी महसूस नहीं किया था..? ” मैंने दर्द से कराहते हुए कहा..!
” हाँ ठीक है, मगर तुम्हे यह पीरियड कैसे हो गया ..? तुमने तो बताया था के तुम्हारे पीरियड के दिन मिस हुए है.. फिर यह सब क्या है . .? ” काशिफ घूरते हुए पूछता है..!
” हाँ पीरियड मिस हुए एक महिना पंद्रह दिन का वक़्त तो हुआ था.., बाकी अचानक से पीरियड कैसे आ गया..? मुझे भी नहीं मालूम आप खुदा के वास्ते दवा ला दे बहुत दर्द हो रहा है मुझे..! ” मैंने अपना पेट पकड़े हुए कहा..!
” मैं मेडिकल से दवा लेकर आता हूँ तब तक तुम यह सब गंदगी साफ करो..! और फ़ौरन चादर बदलो पलंग की., आज तुमने तो मेरा सारा मूड ही खराब कर के रख दिया ! ” काशिफ गुस्से में कहता हुए चला जाता है!
“गंदगी ..? काशिफ आप ऐसा कैसे कह सकते है..?” मैने खुद में कहा फिर काशिफ के जाते ही मैंने फ़ौरन बेड शीट बदल दिये और खुद के कपड़े भी, मगर खून और दर्द का सिद्दत से आना लगातार जारी रहता है..!
थोड़े देर बाद वो दर्द की दो टेबलेट और एक प्रेगनेंसी चेक करने वाली किट लेकर आता है और मेरे मुँह पर मारते हुए कहता है ! ” दवा खा लो और इसे चेक कर के मुझे बताओ बच्चा है के नही..? “
” मगर काशिफ अब तो पीरियड आ चुके है, किट से प्रेगनेंसी चेक करने का अब कोई फायदा नहीं है..! ” मैंने समझाते हुए कहा…!
” कितनी बार कहा है मेरा नाम मत लिया करो शौहर हूँ मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं.., और जितना करने को कहा है उतना करो मुझसे बहस मत करो..! “
इतना कह कर वो मुँह फेर अपनी जगह पर सो गया..! मैं रात भर दर्द से करवटें बदलती रहती हूं.., दर्द की शिद्दत से नींद मानो मेरी आँखों से अब कोसों दूर थी..!
मेरी आँख लगी ही थी के अहले सुबह 5 बजे काशिफ़ मुझे नींद से जगा कर जबरदस्ती किट चेक करने के लिये कहता है..!
उस वक़्त दर्द की सिद्दत से मुझे काफी तेज बुखार हो रहा था..! मगर काशिफ की ज़िद्द के आगे मुझे उठ कर किट चेक करने जाना पड़ा ! मुझे अच्छे से मालूम था के किट में रिजल्ट नेगेटिव ही आयेगा और वही हुआ किट चेक करते ते ही उसमें रिजल्ट नेगेटिव आ गया था..!
मैं डरते और घबराते हुए किट लेजाकर काशिफ को दे देती हूँ..!
किट में नेगेटिव रिजल्ट देख कर वो वापस मुँह फेर कर सो जाता है..!
“यानी तुम माँ बनने वाली थी..? ” हायात पूछती है..!
अल्फ़ाज़ हयात के बातों का जवाब दिये बिना अपनी कहानी सुनाना जारी रखती है..!
“अगले दिन घर का खाना बना पड़ा रहा मगर कोई भी खाना खाने को तैयार नही था..! मैने अपनी सास से जब वजह जानने की कोशिश की तो उन्होंने कहा..!
” क्या खाना खायेगा कोई..? जब नेवाला हलक से उतरता ही नहीं, कोई खुशी हमें नसीब कहा है..! “
“अम्मी आखिर ऐसा क्या हो गया है..? जो कोई भी खाना नहीं खा रहा..! ” मैंने सास से पूछा..!
“तुम नादान हो तुम्हें नहीं मालूम के क्या हुआ है . .? ” मेरी सास ने नाराज होते हुए कहा..!
“यक़ीन माने अम्मी मुझे ईलम नही के क्या हुआ है . .? ” मैंने बड़े ही मासुमियत से कहा है !
“महीने भर से ज्यादा शादी को हो चुके है, और खुशी की कोई बात सुनने को नहीं मिली, काशिफ बता रहा था के तेरे महीनों के दिन फिर से जारी होगये है, अब जब मेरा बेटा ही खुश नहीं तो हम सब क्या खुश रहेंगे…? बाँझ को लाकर अपने बेटे के सर पर बैठा दिया हमने..!” काशिफ की माँ मुझे सुनाते हुए कहती है..!
“उनकी बात सुन कर मुझे हैरत हुई के काशिफ़ कमरे की बातों को अपने वालदैन के साथ शेयर करते है..!
मुझे बहुत गुस्सा आया मगर मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी..!
तभी मेरे ससुर ने मेरी सास से कहा..! ” समझा दो इसे, और अच्छे से बता दो क्या करना है..? और कैसे करना है ..? ” इतना कह कर वो कमरे से निकल कर अपने बेटे के पास जाकर बैठ गये, सब के चेहरे ऐसे लटके हुए थे मानों घर में कोई मर गया हो..!
मैं बेचारी खामोश अपने सास के कमरे में खड़ी कभी कमरे की दीवार तो कभी अपने सास को तक रही होती हु..!
” ऐ लड़की इधर आकर बैठ यहा पर और सुन मेरी बात ध्यान से…! ” मेरी सास ने मुझे अपने बेड पर बैठने का इशारा करते हुए कहा..!
तो मैं चुप चाप जा कर उनके पास बैठ गयी!
” जैसे ही तेरे महीने का खून आना बंद हो फ़ौरन नहा कर मियां बीवी एक हो जाना, देखना उससे बच्चा रह जायेगा तुम्हे,समझी..!” मेरी सास ने मुझे समझाते हुए कहा..!
“जी..!” मैंने धीमे से कहते हुए हां में सर हिला दिया..!
” ठीक है फिर.., चलो अब जाओ और जाकर काम करो अपना..! ” मेरी सास ने कहा!
उस वक़्त मेरी नज़र शर्म से झुकी की झुकी रह गयी, मुझे समझ नही आरहा था के मैं उन्हे क्या जवाब दु..? मैं सोच रही थी कैसा शौहर मिला है मुझे जो कमरे की बातों को अपने माँ बाप को बता देता है.! और कैसी सास है जो मुझसे इस तरह की बाते कर रही.., रिश्तों का कोई लिहाज नही इन्हे के किसे किया कहना है और किया नही.., खैर मैं फ़ौरन उठ कर अपने कमरे में चली गयी..!
और काशिफ़ का कमरे में आने का इंतज़ार करती रही..!
रात को काशिफ कमरे में आकर सिधा सो गये, मैंने बात करने की कोशिश की मगर उनका कोई जवाब नही आया मुझे बहुत अजीब लगा, दूसरे रोज भी वो दिन भर गायब रहे और रात में कमरे में आकर मेरे तरफ बिना देखे बिना कुछ कहे सो गये, तीसेरे दिन उनका वही हाल था मुझे ताज्जुब हो रही थी के हर रोज मुझे नोच खाने वाला इंसान तीन रोज से मुझसे मुँह फेर कर आखिर कैसे रह रहा है..? अगली दोपहर को वो जैसे ही कमरे में किसी काम से आये मैंने उन्हे रोक लिया और उनके इस रवैये की वजह पूछी..!
“काशिफ क्या हो गया है आप को..? तीन दिन गुज़र गये आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे..? चलिये बात ना करें मगर कमरे में तो रहिए..! ” मैंने पहली बार हिम्मत दिखाते हुए काशिफ से कुछ पूछा..!
” क्यों रहूँ मैं इस कमरे में , और वैसे भी तुम्हारे महीने के दिन चल रहे तो मेरा तुम्हारे साथ रहने का क्या फायदा..? जब मैं तुम्हे छु ही नही सकता..! ” काशिफ चिढ़ कर कहता है..!
” काशिफ कैसी बातें कर रहे है आप..? शौहर बीवी का रिश्ता जिस्मानी ही नहीं रूहानी भी होता है, मेरे पीरियड चल रहे थे माना के आप जिस्मानी रिश्ता नहीं बना सकते थे मगर हम एक दूसरे से बात तो कर सकते थे., आखिर आप के लिये जिस्मानी ही रिश्ता सब कुछ क्यों है..? कभी तो मुझे जानने की कोशिश करें बात करने की कोशिश करें..! ” मैंने रोते हुए कहा..!
तो वो चिढ़ कर मेरी ठुड्डी को अपने हाथों से पकड़ कर चिढ़ते हुए कहता है..! ” शादी के बाद से लेकर आज तक तुमने मुझे क्या खुशी दी है..? बताओ एक बच्चा तो तुम मुझे दे नहीं सकी, पता नही कभी तुम्हें बच्चा होगा की भी नहीं, आज तुम्हारे वजह से मेरे घर में मातम का माहौल है,कितना शौक है मेरे अब्बा को अपने पोते को गोद में खिलाने का कितना दुखी है वो, साला तुम माँ बनने के क़ाबिल है ही नहीं..! मनहूस..! “
“काशिफ आखिर अपने कमरे की बात को घरवालों को बताने की क्या जरूरत है ..? कुछ बातें तो हमारी राज रहने दे! और मैं माँ बनने लायक हूँ या नही आप टेस्ट करवा कर पता कर सकते है और हाँ साथ में आप अपना भी टेस्ट जरूर करवाना क्या पता जो कमी आज आप मुझमे तलाश कर रहे वो शायद आप में हो..? ” मैंने चिढ़ाते हुए कहा!
” तेरी इतनी हिम्मत के तू मेरी मर्दानगी पर सवाल उठाये रुक तुझे अभी बताता हूँ, तीन रोज से तुझे छुआ नही तो तेरी गर्मी तेरे दिमाग में चढ़ गयी है..! ” काशिफ ने कमरे का दरवाजा लगाते हुए कहा ! मेरी इतनी सी बात पर उस वहशी ने एक दरिंदे की तरह मुझे नोच खाया..!
बंद कमरे की दीवारों में मेरी सिसकियों से भरी आवाज़ भी कैद सी होगयी थी, आखिर मैं किसे आवाज़ देती, भला कौन यक़ीन करता के मेरा शौहर मेरा बलात्कार करता है..!
उसके घर वाले तो इस बात के भी मजे लेते है के उनका बेटा अपनी बीवी पर पूरी तरह से कब्जे में रख रहा है..!
मेरे जेहन में आज भी ये बात चलती है के काश के मैं उस दिन काशिफ़ की बात ना मानती और उसके दो मंज़िला मकान के सफाई ना करती तो शायद आज मेरी गोद भी हरी होती..! हयात उस इंसान ने मेरी गोद तक उजाड़ दी और इल्जाम भी मुझपर डाल दिया..!”
इतना कहते ही अल्फ़ाज़ की आँखो से बे इख़्तियार आंसू बहने लगते है..!
तभी कोई अनदेखी वजूद आकर उसके गले लग जाती है ,जिसकी चलती दिल की धड़कने अलफ़ाज़ साफ़ सुन पा रही होती है ! अल्फ़ाज़ उसे खुद से अलग करते हुए जब पीछे की तरफ जाती है तो देखती है कोई नौजवान लड़का होता जिसका पूरा जिस्म रौशनी के मनिन्द चमक रही होती है..!
अलफ़ाज़ उससे डर कर जब अपने कदम पीछे की तरफ करती तो उसका पैर फिसल जाता है जैसे ही वो बालकनी से गिरने ही वाली होती है के हायात उसका हाथ थाम कर बचा लेती है !
“अलफ़ाज़ खुद को संभालो ये दूसरी बार है जब तुम गिरते गिरते बची हो !” हायात कहती है !
“हायात क्या तुम मुझे बताओगे यहाँ पर हम दोनों के अलावा तीसरा किस की मौजूदगी है ? उसे सिर्फ मैं महसूस कर रही या तुम्हे भी किसी तीसरे की मौजूदगी का एहसास हो रहा है..?” अलफ़ाज़ हायात से परेशान होते हुए पूछती है.. !
हायात खामोश खड़ी सोचों में पड़ जाती है के वो अल्फाज को क्या जवाब दे..? तभी एक नुस्वानी आवाज अल्फाज के कानों पर पड़ती है..!
“अस्सलाम ओ अलैकुम….!”
क्रमश : Tamanna_Ae_Khaam- 09
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Shama Khan
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