Tamanna Ae Khaam- 11

माजी में..!

“हां तो कोई छुप छुप कर मेरी विदाई में रो रहा था , यार मेरी शादी क्या हुई तुम तो गायब ही होगए  ना कॉल ना मैसेज कहा हो आखिर ..?” मिस्बाह आमिर को व्हाट्सएप पर मैसेज करती है !

” sorry यार मैं अपनी पढ़ाई में बिजी हो गया था ! ध्यान ही नहीं रहा तुम्हे कॉल या मैसेज करने का ..!” आमिर मैसेज में जवाब देता है !!

“चलो कम से कम मैं तुम्हे याद तो रहा..!” आमिर कहता है..!

“मुझे तुम्हे याद करने की जरूरत नही है आमिर तुम हमेशा से मेरी जिंदगी का अहम हिस्सा रहे हो..!” मिसबाह कहती है..!

“अगर ऐसा था तो फिर एक बार भी मुझे क्यों नहीं बताया के तुम्हारी शादी होने वाली है ..!” आमिर कहता है..!

“सभी को मालूम था के पढ़ाई के बाद से मेरे लिए रिश्ते देखे जाने लगे थे और तुमने भी कभी मेरा हाल नहीं पूछा .!” मिसबाह कहती है..!

“अच्छा। .. मिसबाह क्या मैं तुम्हे अभी कॉल कर सकता हूं..? वीडियो कॉल ..? प्लीज एक बार देखना है तुम्हे ! ” दूसरी तरफ से आमिर का जवाब आता है !

” हां बाबा ओके, कर लो कॉल इसमें पूछने वाली कौन सी बात है  !” कहते हुए मिस्बाह सीधा उसे वीडियो कॉल लगा देती है !

आमिर वीडियो कॉल पर खामोश बस उसे देखे जा रहा होता है !

” क्या हुआ..? तुम इतना खामोश होकर मुझे इस तरह से क्यों देखे जा रहे हो ..? कुछ बोलोगे भी ?” मिसबाह आमिर को खामोश देख कहती है !

“कुछ भी नहीं , मिसबाह बस ऐसे ही !” आमिर कहता हुआ वापस खामोश हो जाता है !

” पता है आमिर आज मैं अपने शादी का वीडियो देख रही थी जिसमें तुम मुझे मेरे विदाई के वक्त बिलकुल कोने में रोते हुए दिखे ! तभी मुझे ख्याल आया के मैने अपने सबसे अच्छे दोस्त से कई महीनों से बात नही की है !” मिस्बाह चहकते हुए कहती हैं !

“मिसबाह यह पिंक सूट , हाथों में लाल चूड़ियां,खूबसूरत चमकता हुआ चेहरा उसपे  माथे पर बिंदी होठों पर सुर्ख लाली , नाक में बेसर , तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मिसबाह..,  दिल कर रहा बस इसी तरह खामोश तुम्हें नज़रे भर कर  देखता रहूं ! पता है मिसबाह जब तुम दुल्हन बनी थी और उस दिन तुमने जो लाल जोड़ा पहना था ,

 क्या बताऊं ऐसा लग रहा था मानों कोई परी जमीन पर उतर आई हो  मैं तो बस तुम्हे देखता रह गया था  !  और हां उस दिन मैं इसलिए रो रहा था क्यों के उस रोज एहसास हुआ के जब आप की कोई अजीज चीज छीन ली जाती है तो कैसा दर्द होता है ..?   उस शख्स की तरफ जाता हुआ तुम्हारे विदाई में तुम्हारा एक एक कदम मेरे दिल पर खंजर भोंक रहा था मगर मैं लाचार एक कोने में खड़ा अपना मातम मना रहा था   !  वैसे मिसबाह तुम लड़कियां बहुत जल्दी बड़ी हो जाती हो यार, पढ़ाई खत्म हुई और शादी हो गई और हमे सालों लग जाते है सैटल होने में तब तक तुम्हारे बच्चे तक बड़े होजाते है और हम ज़िन्दगी के धक्के खा रहे होते…! ” आमिर उदास लहजे में मिसबाह को गौर से देखते हुए बिना रुके कहता है..!

” आमिर तुम ऐसी बहकी बहकी सी बातें क्यों कर रहे हो ..? क्या हो गया है तुम्हे ..? सब ठीक तो है ..? ” मिसबाह अपनी ख़ामोशी तोड़ते हुए कहती है..!

” हां बाबा मैं ठीक हूं..! बस ऐसे ही कह दिया  अच्छा ये बताओ तुम खुश हो अपने शौहर के साथ ..?,वो तुम्हारा ख्याल तो रखता है ना…!” आमिर पूछता है..!

“हां..! आमिर काशिफ बहुत ख्याल रखते है मेरा..! मैं बहुत खुश हूं उनके साथ ..!” मिसबाह कहती है वो आमिर को काशिफ की हकीकत नहीं बताती है..!

“मिसबाह एक बात पुछु बुरा तो नहीं मानोगी ? ” आमिर कहता है !

” हाँ  आमिर कहो किया बात है भला मैं तुम्हारी बातों का बुरा क्यों मानने लगी…. !” मिसबाह कहती है !

 “मैं ये जानना चाह रहा था के  वो काशिफ तो तुम्हे हर रोज छूता होगा ना ..?” आमिर बेचारगी से पूछता है !

आमिर की बात सुन मिसबाह नाराज हो जाती है और कहती है..!

” आमिर तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या ? यह  तुम कैसी बहकी बहकी सी बातें कर रहे हो !”

“बहस मत करो मिसबाह और बस ये बताओ वो तुम्हे रोज छूता होगा ना  तुम तो मना भी नहीं करती होगी ..? ” आमिर फिर से पूछता है !

” हां हर रोज क्यों के आमिर काशिफ मेरे शौहर है , वो जितनी मर्जी चाहे मुझे छू सकते है ये उनका  हक है मुझ पर , और मुझे समझ नहीं आ रहा तुम ऐसी बेहूदा बातें क्यों कर रहे हो ..? तुम तो ऐसे नहीं  थे ..? और मैंने तुम्हें इसलिए कॉल नहीं किया है  के तुम इस तरह की बचकानी बातें मुझसे कहो अगर किसी ने सुन लिया तो मेरी खैर नहीं ..!” मिसबाह नाराज होते हुए कहती है !

“अच्छा बाबा I am sorry , नाराज मत हो मुझसे ,  असल में मिसबाह जब से तुम्हारी शादी हुई है..! मुझे ऐसा लगता है , जैसे मेरी कोई अजीज चीज मुझसे छीन ली गई हो और मैं कुछ भी नही कर पाया !” आमिर उदास लहजे में कहता है !

” तुम पागल हो गए हो , भला दोस्त से दोस्त को कोई भी  छीन सकता है किया ..? मैं तुम्हारी दोस्त थी हूं और  मैं हमेशा तुम्हारी दोस्त रहुंगी ! ” मिसबाह समझाते हुए कहती है !

“मिसबाह तुम समझी ही नही कभी के हमारा रिश्ता दोस्ती से भी ऊपर का था ! खैर तुम मुझे फोन करते रहना प्लीज मैं इंतजार करता रहूंगा !” आमिर कहता है !

“आमिर मैं समझ कर के भी किया  कर लेती..? ठीक है मैं  करूंगी कॉल और आगे से इस तरह की बहकी बहकी बातें  मत करना ठीक है..!” मिसबाह कहती है..!

“हां ..! मैं ख्याल रखूंगा इस बात का ..! ” आमिर कहता है..!

फिर दोनों ही खामोश टकटकी लगाए एक दूसरे को खामोशी से देखते रहते है..! तभी काशिफ की छोटी बहन मिसबाह के कमरे में आ जाती है ! तो मिसबाह हड़बड़ा कर कॉल कट कर देती है..!

” भाभी आप किस  से बात कर रही थी ..? कौन था वो ..?? ” मिसबाह की ननद पूछती है !

” मेरा कजिन था , वो मेरी शादी में नहीं आया था इसलिए आज उसने वीडियो कॉल किया था मुझे देखने के लिए ..?? ” मिसबाह कहती है !

” कौन  कजिन   , जरा मुझे भी बताओ !” काशिफ कमरे में आते हुए कहता है !

“वो मेरे मामा का बेटा था , कभी हम घर गए तो मिलाऊंगी आप से..!” मिसबाह झूठ कह देती  है…!

“तुम्हारे किसी रिश्तेदार से मुझे मिलने का कोई शौक नहीं और तुम भी कोशिश किया करो के सब से कम ही बात करो मुझे ये सब पसंद नहीं..!” काशिफ टीवी चालू कर के बेड पर लेटे हुए कहता है..!

“जी.., मैं आइंदा से ख्याल रखूंगी ..!” कहते हुए मिसबाह खामोश हो जाती है..!

मौजूदा वक़्त में !

अल्फाज अपने माजी के यादों से वापस अपने हकीकी वक्त में लौट आती है यहां झील के ठंडे पानी में उसका  अधमरा सा जिस्म धीरे धीर जमने लगता है ! पानी में चारों ओर उसके सिर से निकलता हुआ खून फैला होता है ..!  अब उसने लगभग सांस लेना छोड़ दिया होता है..! तभी ठंड से पथराती उसके आंखों के सामने उसे एक और फोटो दिखती है जिसमें हायात और नूर   उसके बगल में खड़ा मुस्कुरा रहे होते है !

तभी कोई  मुक्के से मार कर पानी पर जमी बर्फ की परत को तोड़ कर पानी में छलांग लगाता है और अल्फाज  को अपनी बाहों में थाम लेता है अल्फाज अधखुली आंखों से उस शख्स को देखने की कोशिश करती है मगर वो बेहोश हो जाती है ! नूर अल्फाज को झील के पानी से निकाल कर घर पर ले आता है और उसके सर से बहते खून की पट्टी करता है..!  अल्फाज बेहोश पड़ी होती है..! काफी वक़्त तक नूर और हायात अल्फ़ाज़ को होश में लाने की कोशिश करते रहते है !

अलफ़ाज़ के होश में ना आने से परेशान  होकर नूर गुस्से में हायात पर चिलाने लगता है !

 “हायात तुम्हे मैने समझाया था ना के इसे अकेले कही भी जाने मत देना, फिर तुमने इसे अकेले कैसे जाने दिया..? अगर आज मैं वक़्त पर  नहीं पहुँचता और इसे उस ठन्डे झील के पानी से नहीं निकालता  तो आज उसकी मौत तय थी …!

 हायात कम से कम अब तुम इसे समझाओ के ध्यान से कही  भी जाए, मैं हर वक्त इसकी हिफाजत के लिए यहाँ  मौजूद नहीं रह सकता मुझे अपनी दुनिया के भी कई काम अंजाम देने होते है..!”

“नूर भाई आप ये किस तरह से मुझसे बात कर रहे हो…, अल्फाज़ बस कुछ वक्त के लिए ही बाहर गई थी.., मुझे थोड़ा सा  भी इल्म नहीं था के जरा सी देर में ये सब हो जायेगा..!  आप को मालूम है ना के जाने अंजाने में इस लड़की ने हमारी बहुत मदद की है और अब्बा ने हमारे हाथों इसकी हिफाजत सौंपी है , हम इसे इस तरह से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते जो भी इसका दुश्मन है वो हमारा भी दुश्मन है और इसकी हिफाजत हमारी जिम्मेदारी बनती है !” हायात ने जवाब दिया !

“हां मैं सब जानता हूं मगर हायात दुनिया वैसी बिलकुल भी नही है जैसी वो बाहर से दिखती है, ना जाने कितने ही अनगिनत राज इसके विरानो में छुपी है..!”  नूर नाराज होते हुए कहता है !

“नूर भाई वो एक आम इंसान है भला उसकी आँखे वो राज़ कैसे देखेंगी जो हम देख सकते है उसकी आँखे ये सब राज  देखने से कासिर है !” हायात कहती है !

“हायात उस शैतान को कत्ल करना आसान नहीं है मगर फिर भी मैं उसे एक रोज जरूर कत्ल  करूंगा जिससे अल्फाज हिफाजत में रहे तब तक बहुत एहतियात की जरुरत है ..!” नूर कहता हुआ वहाँ से चला जाता है..!

अलफ़ाज़ होश में आ चुकी होती वो बेड पर पड़े हुए उनकी सारी बातें सुन रही होती है ! नूर के वहा से जाने के बाद अलफ़ाज़ अफसोस जाहिर करते हुए हायात से कहती है..!

“मुझे माफ कर दो हायात मेरी वजह से तुम्हे नूर से बहुत कुछ सुनना पड़ा , मेरा यकीन करो अगर मुझे जरा सा भी इल्म होता के वो मरदूद शैतान इस तरह से मेरे पीछे पड़ा है तो मैं कभी अकेले उस रास्ते से नहीं गुजरती..!”

“अल्लाह का शुक्र है अल्फाज के तुम्हे होश आगया तुम मेरी अज़ीज़ दोस्त हो , तुम्हे मुझसे माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है  और जो कुछ भी हुआ तुम्हारी उसमे कोई गलती नहीं हैं..!  हम तुम्हारे मुहाफिज है तुम्हारी हिफाजत हमारी जिम्मेदारी है..!” हायात अलफ़ाज़ के पास बैठते हुए कहती है !

“जहां इस दुनियां में सभी रिश्तों के होते हुए भी मुझे तन्हा इन विरानो में जिंदगी बसर करना पड़ा , अम्मी के अलावा किसी ने भी कभी  मेरी कोई खबर तक नहीं ली ना ही मुझे तलाश करने की कोशिश की के मैं कहाँ हूँ कैसी हूं, ज़िंदा हूँ भी या नहीं , वही तुम्हारा परिवार मेरी जिंदगी में खुदा की  रहमत बन कर आया ..! हायात मैं अब ध्यान दूंगी के कोई भी ऐसी गलती नहीं करू जिससे तुम्हारी और नूर की मुश्किल बढ़ जाए वो कहते है ना एहतियात पछतावे से बेहतर होता है ..!” अलफ़ाज़ कहती है..!

“तो फिर वादा करो के अपने अंदर में जो भी बात तुमने दफन कर रखी है आज मुझे वो सब बताओगी..!” हायात मुसकुराते हुए अपना हाथ अलफ़ाज़ हाथों  में देते हुए कहती है !

“तुम्हे मेरा माज़ी जानने की बहुत जल्दी है !

“हाँ मुझे अपने दोस्त के अंदर बसे हर दुख को खत्म करना है !” हायात कहती है !

वैसे वादा तो नहीं करुँगी मगर कोशिश करुँगी के सब कुछ तुम्हे हूबहू बता सकूं  जो मैंने जिया है और महसूस किया है..!” अलफ़ाज़ हायात का हाथ थामते हुए कहती है !

तभी नूर अलफ़ाज़ के लिए कुछ दवाई लेकर आता है और उसे खाने का इशारा करता है ! अलफ़ाज़ नूर के हाथ से दवाई लेकर खा लेती है !

“तुम तो जिन हो,  तुम मेडिकल से  दवा लेकर कैसे आए..?” अल्फाज पूछती है..!

“जैसे अभी तुम्हारे सामने खड़ा हूं वैसे ही..!” नूर ने जवाब दिया..!

“मगर तुम लोग तो  हर किसी को तो नहीं दिखते और अगर दिख भी गए तो  तुम्हारी ये नीली आंखें और ये लिबास नूर , आम इंसानों की आंखे इतनी खूबसूरत कहा होती है और इधर के लोग इस तरह के कपड़े कहाँ पहनते है..!” अल्फाज ने कहा..!

” कुछ इंसानों की भी आंखें  खूबसूरत होती है अल्फाज फिलहाल तो हमें इंसानों के सामने जाने की जरुरत नहीं पड़ती अगर पड़ती भी है तो ऐसे जाते है जिससे किसी को हमारे जिन होने पर शक ना हो.., समझी तुम..!” नूर ने समझाने वाले अंदाज में कहा..!

“अच्छा..! अल्फाज ने कहा तो नूर मुस्कुराने लगता है..!

“अल्फाज सुनो..!” हायात ने कहा..!

“हां .., हायात बोलो..!” अल्फाज ने कहा..!

“अल्फाज मैं यह कह रही थी के अगर तुम्हे अच्छा महसूस हो रहा हो तो हम बात का आगाज़ करे !” हायात अल्फ़ाज़ के बेड पर उसके पास बैठते हुए कहती है !

“हाँ जरूर बताऊँगी थोड़ा सब्र तो कर लो !” अलफ़ाज़ कहती है !

नूर भी बेड के एक तरफ साइड में बैठ जाता है !

कुछ वक्त के लिए कमरे में मुकम्मल खामोशी छा जाती है..!

अल्फाज काफी वक़्त तक खुद में कुछ सोचते रहती है फिर अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहती है..! “मेरे माँ-बाप ने जितने धूम धाम से मेरा निकाह काशिफ से किया था काशिफ ने उतनी ही सिद्दत से  मेरे हर अरमान का कत्ल किया…!

क्रमश :  Tamanna_Ae_Khaam- 12

Previous Part : Tamanna_Ae_Khaam- 10

Follow Me On : facebook

शमा खान !

Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11Tamanna Ae Khaam- 11

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top
error: Content is protected !!