Tamanna Ae Khaam- 12

जब से मेरी शादी हुई शायद ही कोई वक़्त सुकून का कटा हो कभी शौहर तो कभी सास ससुर कोई ना कोई मुझे परेशान करते रहता था और ज़िन्दगी ने भी उन्ही उलझनों के बीच जीना लगभग सिख ही लिया था ! हाँ मगर एक रोज जब मैं कमरे में सफाई कर रही थी तब काशिफ मेरे साथ बेहद ही मोहब्बत से पेश आये..!

माज़ी में !

 “मिसबाह इधर मेरे पास आकर बैठो !” काशिफ ने कहा तो मैं खामोश  जाकर काशिफ के बराबर में बैठ जाती हूँ क्योंकि मुझे लगा के अगर उनके बुलाने पर मैं नहीं गयी तो शायद वो मुझे फिर कोई सजा देगा या कोई ऐसी बात कहेंगे जिससे मुझे तकलीफ होगी मगर काशिफ ने बेहद ही मोहब्बत से कहा !

“मिसबाह जब से हमारी शादी हुई है तब से सिर्फ हम दोनों ने रंजिश देखी है और देखो अब वापस मेरे दुबई जॉब पर जाने का वक़्त होगया है अगले महीने की 10 तारीख को मैं चला जाऊंगा , मिसबाह मैं नहीं चाहता के जब मैं यहाँ से जाऊं तो अपने साथ कड़वी यादों के साथ जाऊँ , मैं चाहता हूँ पीछे का हम दोनों सब भुला कर वापस से एक नयी शुरुआत करते है जिसमें सिर्फ प्यार ही प्यार हो !

“जी मैं भी यही चाहती हूँ !” मिसबाह ने हलकी मुस्कराहट के साथ कहा !

“मिसबाह वलीमा वाले दिन मेरी खवाहिश थी के मैं तुम्हे लहंगा पहने हुए जी भर कर देखु  मगर मेरे कमरे में आने से पहले तुमने कपड़े बदल लिए थे तो मैं चाहता हूँ के आज तुम बिलकुल वैसे ही सजो जैसे वलीमा वाले दिन सजी थी प्लीज मना मत करना मैं दिल से चाहता हु के दुबई जाने से पहले एक बार वापस तुम्हे दुल्हन बना हुआ देखु !

“ठीक है ..! वैसे काशिफ कल 21 तारीख भी है और इसी तारीख को हमारी शादी भी हुए थी और क्या मालूम हम शादी की पहली सालगिरह पर साथ हो या ना हो  तो क्यों न हम इसे शादी की पहली सालगिरह की तरह मनाये !” मिसबाह ने कहा !

काशिफ कुछ देर सोचता है और कहता है ! “ठीक है हम कल का दिन अच्छे से एन्जॉय करेंगे और  कल रात को तुम मेरे लिए वलीमा वाला लहंगा पहनोगी !”

“जी ठीक है कल रात को आप ठीक 11 बजे कमरे में आना उससे पहले नहीं !” मिसबाह ने कहा !

” ग्यारह बजे मगर क्यों ?” काशिफ ने सवालिया नज़रों से मिसबाह की तरफ देखते हुए कहा !

“घर के काम से फारिग होकर तैयार भी तो  होना है और उसमें में वक़्त भी तो लगता है ! अब मैं अपना काम कर लू !” मिसबाह इजाजत लेते हुए कहती है !

“ठीक है मैं कल रात में 11 बजे के बाद ही आऊंगा अब तुम जाओ अपना काम कर लो  !” काशिफ ने कहा !

दूसरे दिन  मिसबाह ख़ुशी ख़ुशी घर के सारे काम अच्छे से अंजाम देती है आज सारा दिन उसका अच्छा गुजरता है ,क्यों के  इतने महीनों  में पहली बार उसके शौहर  काशिफ ने उससे मोहब्बत से बात की थी ! दिन कामों की मसरूफियत में गुजर जाता है  रात का खाना सभी को खिलाने के बाद किचन की सफाई के बाद नहा कर मिसबाह अपने कमरे में तैयार होने के लिए  जाती है ! तो उसकी नज़र सामने रखे केक और चॉकलेट्स पर पड़ती है उसे अपनी आंखों पर यक़ीन नहीं हो रहा था के ये सब काशिफ ने किया ! वो अलमारी से लहंगा और गहने निकाल कर तैयार होने लगती है..!

लहंगा पहने मिसबाह आईने के सामने खड़ी खुद को निहार रही होती है रात ग्यारह बजे के करीब मिसबाह के कमरे के दरवाज़े पर दस्तक होती है !

“कौन है ?” मिसबाह अंदर से पूछती है !

“भाभी मैं हूँ , खोले दरवाज़ा !” मिस्बाह की ननद ने कहा !

“कोई खास काम है किया  ?” मिसबाह ने अंदर से जवाब दिया !

” जी वो अम्मी आप को बुला रही है !”  मिस्बाह की ननद ने कहा !

“अम्मी। .. ? मगर क्यों ? अभी तो मैं सारे काम खत्म कर के अपने कमरे में आयी हूँ !” मिसबाह अंदर से कहती है !

“मालूम नहीं भाभी बस आप जल्दी दरवाज़ा खोले और जाये अम्मी के पास वरना अम्मी नाराज़ हो जायेगी !”

“अच्छा ठीक है मैं कपड़े बदल कर आती हूँ !” मिसबाह उदास हो कर कहती है क्यों के उसे अब वापस से कपड़े बदल कर नीचे सास के कमरे में जाना पड़ेगा ! अभी वो कपड़े उतार ने का सोचती ही है बाहर दरवाज़े पर किसी के हँसने की आवाज़ आती है ! मिसबाह कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खोल कर देखती है तो सामने काशिफ खड़ा हँस रहा होता !

“आप ? तो आप अपनी बहन की आवाज़ निकाल कर मुझे बेवक़ूफ़ बना रहे थे ? “मिसबाह कहती है !

“हां मैं ही था मैं तो बस अपनी जान को जल्द से जल्द दुल्हन बना हुआ देखना चाहता था और तुम कितनी बेवक़ूफ़ हो मेरी आवाज़ पहचान भी नहीं पायी .! ” काशिफ कहता हुआ कमरे के अंदर दाखिल हो कर दरवाज़े की कुण्डी लगा देता है..!

“हाँ मैं पहचान नहीं पायी थी खैर ये बताये कैसी लग रही हूँ मैं !” मिसबाह ने कहा !

” बिलकुल रौशन चाँद की तरह , मालूम नही मैंने कौनसे नेक काम किये थे के मुझे तुम मिली !” काशिफ कहते हुए मिसबाह को अपने सीने से लगा कर रोने लगता है !

“अरे ये आप रोने क्यों लगे …! कोई गुस्ताखी हो गयी किया मुझसे..?” मिसबाह ने काशिफ आंसुओं को पोंछते हुए कहा !

“जब से हमारी शादी हुई है तब से आज तक मैंने तुम्हे कोई खुशी नहीं दी है फिर भी मेरे एक बार ये खवाहिश जाहिर करने पर के मैं दोबारा तुम्हें दुल्हन के लिबास में देखना चाहता हूँ , तुमने फ़ौरन मेरी ख्वाहिश पूरी करदी बस इसलिए आँखों में आँसू आगये !” काशिफ ने कहा !

“काशिफ मुझे यक़ीन था के एक दिन आप को मुझसे मोहब्बत जरूर होगी !” मिसबाह कहती है !

“मोहब्बत तो तुमसे तब से करता हु जब तुम्हारी फोटो पहली बार देखी थी , तब मैने कह दिया था घर पर शादी करूंगा तो इसी लड़की से ..!” काशिफ कहता है..!

“ऐसा क्या खास देख लिया था आप ने मुझमें..?” मिस्बाह मुस्कुराते हुए पूछती है..!

“मिस्बाह मेरे खानदान में तुम्हारे जैसी खूबसूरत कोई भी नहीं है..! मुझे तुम बहुत पसंद हो..!” काशिफ कहता है..!

“खूबसूरत होना कौनसी खास बात है काशिफ ,कभी कभी अच्छी शक्लें भी अच्छे किस्मत की मोहताज होती है..!” मिस्बाह कहती है..!

“मिसबाह तुम्हारी शक्ल भी अच्छी है और तुम्हारी किस्मत भी अच्छी है क्यों के तुम्हारे पास मैं हु..! पता है पहले मेरे कपड़े कही भी पड़े होते थे कई बार अम्मी और ज़ीनत से कहता तो वो लोग ढूंढ कर देती थी उन्हें बिना आयरन किए पहनता था ,अब जब से तुम आई हो मेरे कपड़े तरतीब से अलमारी में आयरन किए हुए रखे रहते है..!”काशिफ कहता है..!

“आप की खिदमत करना मेरा फ़र्ज़ है , और मुझे आप का काम करने से खुशी मिलती है..! मगर आप कभी मेरे पसंद के कपड़े नहीं पहनते..!” मिसबाह कहती है..!

“अच्छा कल तुम्हारी पसंद के कपड़े पहन लूंगा  अब तुम इधर आकर  बैठो मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी है !”काशिफ मिसबाह को बेड पर बैठाते हुए कहता है फिर खुद अपना सर उसकी गोद में रख कर लेट जाता है ! दोनों आपस में बहुत सारी बातो के साथ साथ एक दूसरे को बेइंतहा मोहब्बत करते है..!

वो रात अपने शौहर के साथ मिसबाह की ज़िन्दगी की सब से बहतर रात थी  !

 मौजूदा वक्त में..!

“यानी तुम दोनों के बीच सब बेहतर हो गया था !” हायात कहती है !

” नहीं वो सिर्फ एकलौती रात थी जिसमें मुझे लग रहा था के सब ठीक हो चूका है ! उसके अगले ही दिन काशिफ ने मेरा सारा भरम तोड़ दिया था !” अलफ़ाज़ कहती है !

“मतलब काशिफ ने उस रात को जो भी अपने हरकतों पर शर्मिंदगी दिखाई थी सब फ़िज़ूल की थी ?” हायात कहती है ! नूर खामोश बैठा उनकी बातें सुन रहा होता है !

 शायद। …..! ” अलफ़ाज़ मुख़्तसर सा कहती !

थोड़ी देर की  खामोशी के बाद अलफ़ाज़ फिर कहती है ! “

काशिफ को मुझसे सिर्फ एक ही मतलब था और वो था अपनी जिस्मानी हवस पूरी करना ..! और  अपने पापा अम्मी के बातों में आकर मुझ पर हाथ उठाना और ये देखते हुए भी के मैं रो रही हु कुत्तों की तरह मेरे जिस्म को नोचना .., मुझे उसके मौजूदगी से भी डर लगने लगा था जब भी वो कमरे में आते मैं डर कर एक साइड सहमी हुई बैठ जाती थी..! 

एक रोज मैंने सोचा के जब मेरे शौहर को सिर्फ मुझसे जिस्मानी रिश्ते बनाने से मतलब है तो क्यों मैं नखरे करू ? फिर मैं रात में काशिफ के आने से पहले अपने कपड़े उतार कर साइड में रख दिया और ब्लैंकेट ओढ़ कर बैठ गई..! काशिफ जब कमरे में आए तो मुझे ऐसी हालत में देख कर हैरान हुए और कहा..! “तुम ऐसे क्यों बैठी हो..? कपड़े क्यों उतार दिए..? “

“असल में आप जब कमरे में आते हो यही सब करते हो ..,मुझे लगा वक्त क्यों बर्बाद करना आप को जो करना है आप करे उसके बाद मैं जल्दी सो जाऊंगी सुबह में जल्दी उठना भी पड़ता है वरना अब्बा गुस्सा करते है..!” मैंने कहा..!

“यह क्यों नहीं कहती के आज तुम्हारा भी मन है..? वैसे कहते है के जब बीवी का मन हो तो और भी मजा आता है..! ” काशिफ कहते हुए मुझपर झपट पड़े और हमेशा की तरह अपनी हवस को अंजाम देते रहे..!

अगली रात भी मैंने ऐसा ही किया काशिफ के आने से पहले अपने सारे कपड़े उतार कर साइड में दिए और खुद ब्लैंकेट ओढ़ कर बैठ गई..!

“मिसबाह ये सब क्या है तुम रोज रोज इस तरह कमरे में बिना कपड़ों के क्यों बैठी रहती हो..? ” काशिफ ने हैरानी से पूछा ..!

“क्यों के ..? मेरी औकात यही है काशिफ ..! मैं आप की बीवी जरूर हु मगर हर रोज आप के बिस्तर पर मुझे महसूस होता है के मैं कोई वैश्या हु जिसे आप अपनी ख्वाहिश पूरा करने के लिए खरीद कर लाए है..! उसके अलावा और क्या रिश्ता है हमारा…? बताए कभी आप ने मुझे बीवी का दर्जा दिया है..? जब मैं आप के लिए वैश्या ही हूं तो ..,  इसलिए मैंने सोचा के आप वापस दुबई चले जायेंगे तो कम से कम आप को याद रहेगा के मैंने हर हाल में खुद को आप के सामने परोसा कभी मायूस नही किया आप को फिर शायद आप को मुझसे मोहब्बत हो जाय ना के मेरे जिस्म से ..! ” मैंने रोते हुए कहा तो काशिफ हैरान खड़े मुझे देख रहे होते है..!

“पागल ये तुम कैसी बातें कर रही .., तू बीवी है मेरी कोई वैश्या थोड़ी है .., चलो इधर आओ और पहनो वापस कपड़े ..!” काशिफ मेरे कपड़े उठाते हुए कहते है..!

और वो पहली बार था जब काशिफ ने मेरे कपड़े उतारने के बजाए मुझे पहनाए थे ..! और इस बीच कई बार प्यार से मेरी पेशानी  बोसा भी दिया था..!

“मुझे माफ कर दो मुझे मालूम नही था के ये सब तुम्हारे जेहन में इतना गहरा छाप छोड़ेगा.., मिसबाह आज के बाद से मैं बिना तुम्हारी इजाजत के तुम्हे हाथ तक नहीं लगाऊंगा..!” काशिफ ने मुझे गले लगाते हुए कहा ..!

पता नहीं क्यों मगर हायात उस दिन काशिफ के गले लग कर बहुत सुकून मिला था मुझे.., उस रोज भी काशिफ़ ने मुझसे बहुत सारी बातें की और मैं काशिफ के कंधे पर सर टिकाए लेटे उसकी बातें सुनती रही..! फिर मैंने अपनी मर्जी से खुद को काशिफ को सौंप दिया..! उसके बाद से फिर कभी काशिफ ने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की और ना ही मैंने कभी उन्हे खुद को छूने से रोका..! हम एक दूसरे के साथ अच्छा वक्त गुजारने लगे थे ..!

“यानी इस बार तुम दोनों के बीच सब कुछ सही हो चुका था ..!” हायात ने पूछा..!

“हां सिर्फ कुछ ही दिनों तक , मालूम नही काशिफ का मेरे साथ रवैया मुझे समझ नहीं आता था , दुबई जाने के ठीक एक रोज पहले फिर उन्होंने मुझे जरा सी बात पर बे इंतिहा पीटा, मैं रोते हुए सिर्फ यही सोच रही थी के काशिफ को आखिर कैसी मोहब्बत है मुझे जो पल पल उनका मिजाज बदल देता है ..?

रात हुई तो मैं सब कुछ भूल कर काशिफ के गले लगकर रोने लगी के , वो दो साल तक मुझसे जुदा रहेंगे  मगर उस इंसान को मुझसे बिछड़ने का गम ही नहीं था.., उसे सिर्फ अपने घर के लोगों की परवाह थी..!” अल्फाज कहती है इस बार उसकी आंखो में माजी के कड़वाहट की नमी दिख रही होती है..!

“सही में अल्फाज आखिर किस तरह का इंसान था वो ,फिर काशिफ के दुबई जाने के बाद किया हुआ था ..?” हायात पूछती है..!

“काशिफ के दुबई जाने के बाद में मेरी असल परेशानी शुरू हुई थी.., कभी कॉल करते कभी नहीं करते ,  और जब भी वो कॉल करते अक्सर  मुझसे लड़ाई करते.., दूसरी तरफ काशिफ के अब्बा काशिफ के जाने के बाद मेरे पिछे ही पड़  गये थे , इनका दो तल्ला मकान था जिस में ऊपर के पांच कमरों में से बीच के एक कमरे में मैं रहती थी और नीचे के कमरों में मेरे सास ससुर और नंद देवर रहते थे …. , जैसे ही लाइट जाती वो मेरे कमरे का इन्वर्टर बंद कर देते , उन दिनों लाइट भी काफी गुल हो रही थी, मुझे सही से याद है जिस रोज काशिफ दुबई के लिए निकले उसी रोज लाइट के कटते ही इनवर्टर खराब है का हल्ला शुरू होगया, जब कई दिन ऐसे ही गुजरे तो एक रोज काशिफ का वीडियो कॉल रात के करीब 10 बजे आया मैं किचेन का काम मुकम्मल कर के कमरे में इमरजेंसी लाइट नीचे से लेकर आई थी.. !

“ये कमरा इतना अंधेरा क्यों है..? और तुमने इमरजेंसी लाइट क्यों जलाया है..?” काशिफ कमरा अंधेरा देख कहते है..!

“जी वो ऊपर का इनवर्टर पुराना हो चुका है इसलिए काम नहीं कर रहा..!” मैने काशिफ से कहा है..!

“मगर मैने इनवर्टर शादी से कुछ दिन पहले ही लगाया है, तो इतनी जल्दी खराब होने का सवाल ही नहीं उठता..!” काशिफ हैरान होते हुए कहता है..!

“अब मुझे जीनत ने यही बताया है..!” मैंने कहा..!

“अच्छा ऐसा करना जब कल शाम में लाइट जाए तो जहां इनवर्टर रखा है वहां तुम खुद जाकर चेक करना के इनवर्टर ऑन रहता है या ऑफ..!” काशिफ ने मुझे कहा फिर वो मुझसे इधर उधर की बातों में लग गए..!

अगले दिन ठीक वक्त पर लाइट गई तो मैं फौरन नीचे उतर कर उस तरफ गई तो देखा के इनवर्टर की स्विच ऑफ है जब मैने उसे ऑन किया तो मेरे कमरे की लाइट इनवर्टर से जलने लगी.., 

“अरे भाभी आप इधर क्या कर रही है..!” मुझे देख ज़ीनत ने कहा..!

“ज़ीनत तुमने तो कहा था के इनवर्टर खराब है मगर यहां तो स्विच ही ऑफ था , मैं ना जाने कितने दिनों से अंधेरे में रह रही थी..!”मैने कहा तो वो कहने लगी..!

“हम झूठ थोड़ी कह रहे आप ने देखा नहीं वो खुद बा खुद ऑन करने के बाद ऑफ हो जा रहा..!” 

“नहीं..! मेरे घर में भी इनवर्टर है मुझे मालूम है के जब बटन खराब होता है तो वो कैसा होता है..!” मैने कहा तो उसने वापस कोई जवाब नहीं दिया..!

“शाम में काशिफ का कॉल आता है , मैं उनके पूछने पर सारी बात उन्हें  बता ती हु..!

“बताओ मैंने ही इनवर्टर लगाया और मेरे आते ही मेरी बीवी को अंधेरे में इन्होंने रखा , मैं अभी इनकी खबर लेता हूं..!” काशिफ गुस्से में कहते है..!

“नहीं रुको रहने दीजिए वो मां बाप है आप के कही गुस्से में आप ने उन्हें कुछ गलत कह दिया तो , और माप बाप से वैसे भी ऊंची आवाज में बात नहीं करनी चाहिए हमारी आखिरत खराब हो जाएगी..!” मैने काशिफ को समझाते हुए कहा तो उन्होंने मेरी बात मान ली..!

मैं काशिफ के फितरत को अच्छे से जानती थी , जितनी तेज रफ्तार से वो मेरी तरफदारी करेंगे उतनी ही तेज रफ्तारी से वो मेरा गला भी काट देंगे..! फिर भी मेरी तालीम ये इजाजत नहीं देती है के मैं एक बेटे को उसके मां बाप से ऊंची आवाज में बात करने दु..!

जब धीरे धीरे काशिफ  मुझसे समझने लगे तो उनको अपने घर वालों की चालाकियाँ नज़र आने लगी ! उन्हें एहसास होने लगा के उन्हें मेरे साथ जो कीमती वक़्त  मिला था उसे उन्होंने फ़िज़ूल झगड़ो में बरबाद किया ! और मै कभी इस बात पर यक़ीन नहीं करती मगर एक रोज मैंने उन्हें अपने घर वालों से मेरे लिए लड़ते सुना !
मैं अपने कमरे से निकल कर अभी सीढ़ियों पर ही थी के मेरे कानों में काशिफ की आवाज़ पड़ी जो के मेरे सास से फ़ोन पर बात कर रहे होते है और फ़ोन का स्पीकर ऑन होता है !
“मै यक़ीन ही नहीं कर सकता के वो 9 बजे सुबह तक सोयी रहती है , या कोई काम नहीं करती ! मैं उसका साथ रहा हु और मैंने अपने आँखो से देखा था के वो कभी लेट से नहीं सो कर उठती थी ना ही किचन का कोई काम अधूरा छोड़ती थी रही बात रोटी की अगर उससे अच्छी रोटी नहीं बन रही आप खुद बना लो ना अब्बा के लिए ! ” काशिफ कहते है !
“वो जो बोलती है तुम वही सुनता है..! चार दिन की आयी हुई लड़की से बहुत जल्दी मोहब्बत हो गयी , और हम जो बचपन से तेरे साथ है आज गलत होगये !” काशिफ की माँ कहती है !

 “उसने मुझसे कभी आप सब की शिकायत नहीं की..! आप सब उसे अपना समझेंगे तभी तो सब को अच्छी और अपनी  लगेगी वो , बहु नहीं बेटी समझो उसे !” काशिफ कहता है !

“वो बाहर की है उसे हमें समझना होगा ना के हमें उसे , तुम को लगता है के हम लोग गलत है तो जाओ अपने बीवी को लेकर कही और रखो मेरे घर में उसके लिए कोई जगह नहीं है..! ” काशिफ के अब्बा काशिफ से कहते है!
“घर के काम से लेकर अम्मा की खिदमत करना ,सब का ख्याल रखना सब तो किया उसने और क्या चाहते हो आप सब ? कहते हुए  काशिफ कॉल काट देते है !
उस वक़्त मुझे ख़ुशी के साथ डर भी लग रहा होता है ! ख़ुशी इस बात की काशिफ मेरी तरफदारी कर रहे थे दूसरी  नीचे उतारते वक़्त डर  मेरे हाथ पाव कांप रहे थे के नाजाने अब काशिफ के अब्बा मुझे क्या सुना देंगे? खैर मैं  हिम्मत कर के नीचे किचन में जाकर काम करना शुरू कर देती हूँ..!

 उस रोज तो उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा मगर फिर मुझे वो सब अपनी बातों से टॉर्चर करने लगे ! किचन का टाइल गन्दा , रोटी सही नहीं फूली , सब्जी सही से नहीं कटी..! वो मेरी दूसरी सास बन चुके थे..!” अल्फ़ाज़ कहती है !
“चलो कम से कम काशिफ तो अब तुम्हारा साथ देने लगा था !” हयात सुकून का साँस लेते हुए कहती नहीं !
“नहीं हयात ऐसा बिलकुल भी नहीं था बल्के अब तो हालात और बदतर होने लगे थे ! क़ाशिफ अपने अब्बा के मुरीद थे वो जो बोलते काशिफ वही सुनते..! 

 कभी काशिफ कॉल पर बहुत मोहब्बत से बात करते तो कभी बिना वजह का कोई बात निकाल कर मुझपर चिल्लाना ! उनके अब्बा और भाई एक रोज मुझपर चिल्लाये मैंने काशिफ से कहा तो यही बात कहते के तुम झूठी हो मेरे भाई कभी अपनी भाभी से बदतमीज़ी कर ही नहीं सकते ! मैं उन्हें बचपन से जानता हु..!

“वाकई में बड़ा अजीब शौहर था तुम्हारा..!” नूर कहता है

“पता नहीं मै ये जादू टोने पर यकीन तो नहीं रखती मगर मैं हर रोज काशिफ के अब्बा को काशिफ और उसके दोनों छोटे भाई की फोटो पर कुछ पढ़ कर दम करते जरूर देखा था..!” अल्फ़ाज़ कहती है..!

“ये तुम्हारा ससुर कम असुर (शैतान) ज्यादा लग रहा मुझे ..!” हयात कहती है..!

 “हयात काशिफ का रोज रोज कॉल पर लड़ना ,मुझे बिना बात के घर वालों के सामने ज़लील करना ! उसके अब्बा अम्मा का टाउचर मुझसे सहा नहीं जा रहा था..! मुझे ऐसा लगता मानो मैं अपनी जान दे दूं..!

 मैं धीरे धीरे बीमार पड़ने लगी ..! जब मेरी अम्मी को मालूम चला के मैं बीमार हु तो मेरी अम्मी ने मेरी बड़ी बहन को मेरे ससुराल भेज कर मुझे घर बुला लिया  और मेरा इलाज कराना शुरू किया , काशिफ अक्सर कॉल करते लड़ते और फिर कॉल करना ही बंद कर दिया..!

मैंने काशिफ को करीब सौ बार से ज्यादा कॉल किया मगर काशिफ ने एक बार भी मेरी कॉल नहीं उठाई..!

जब ये सारी बातें मेरे भाइयों को मालूम चली तो उन्होंने बिना सोचे समझे जाकर पुलिस थाने में कंप्लेन करदी..!” अल्फाज कहते हुए रुक जाती है..!

क्रमशः 13

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शमा खान 

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