Tamanna Ae Khaam -02

तमन्ना खाम -02

दिवाली को गुजरे दो दिन होचुके होते है ..! अपने घर के नजदीक अस्पताल की बिस्तर पर दो दिन से बेहोश पड़ी अल्फ़ाज़ की आँखे अचानक से खुलती है तो वो देखती है उसके चेहरे पर ऑक्सीजंन मास्क लगा होता है और हाथ पर पानी चढ़ने के लिए ड्रिप लगी होती है ! पहले वो आराम से उठ कर बैठती और अपने चेहरे पर लगे ऑक्सीजन मास्क को हटा कर पेसानी पर आये हुए पसीने को अपने आस्तीन से पोछती है फिर वो खुद को छु कर और चिंटी काट कर तसल्ली करती है के वो जिंदा है या नही या यह भी कोई खवाब तो नही ? उसकी नजर हॉस्पिटल के दिवार पर टंगी घड़ी पर पड़ती है जिसमें सुबह के 11 बजे का वक़्त हो रहा होता है !

अल्फाज अंदर से बहुत बेचैन हो रही होती है ..! उसे कुछ भी याद नहीं आरहा होता है..! तभी उसके केबिन का दरवाजा खोल कर एक नर्स उसके पास आती है और कहती है..! “अरे मैडम अब कैसे हो आप ..? शुक्र है के आप को होश आगया..? वरना मुझे लग रहा था के शायद आप कोमा में चली गई हो और आप कभी उठो ही नही..! मैडम आप को मालूम भी है ..? आप पिछले दो दिन से बेहोश थी , और ऊपर से इन दो दिनों में जो खूबसूरत नौजवान आदमी आप को यहां एडमिट करवा कर गया था वो भी आप को दोबारा देखने तक नही आया..!

“क्या कह रही हो आप…?!! मैं पिछले दो दिन से बेहोश थी..? आखिर मुझे हुआ क्या था.? और अस्पताल तक मुझे आदमी छोड़ गया वो कौन था और कहां से लेकर आया था वो मुझे…? ” अल्फ़ाज़ नर्स से सवाल करती है!

“इस बारे में मुझे कुछ भी मालूम नही है के वो इंसान कौन था ? ” नर्स ने जवाब दिया!

“हम्म खैर कोई बात नहीं। …. अच्छा क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ..? ” अल्फ़ाज़ नर्स से पूछती है!

“एक बार डॉक्टर आप को देख ले फिर अगर वो कहे तो आप जा सकती हो! ” नर्स अल्फ़ाज़ से कहती है फिर वो उसकी बीपी जाँच कर वहाँ से चली जाती है!

हॉस्पिटल के बेड पर परेशाँ बैठी अल्फ़ाज़ की नज़र खिड़की से नज़र आने वाले पेड़ों के झुंड की तरफ पड़ती, उन पेड़ों की झुंड में अल्फ़ाज़ को किसी शख्श का साया खड़ा दिखता है, जो के उसे ही मोसल्सल देख रहा होता है! अल्फ़ाज़ बेड से उतर कर हाथों में लगी ड्रिप खुद से निकाल कर खिड़की के करीब चली जाती है..! उसे सामने पेड़ों के बेच खड़ा वो साया अब भी दिख रहा होता है ताज्जुब की बात यह होती है के इतनी दूर से भी अलफ़ाज़ उस शख्श की बोलती नीली आँखों को देख पा रही होती है। ., जो अभी भी उसे लगातार देख रहा होता है !

“अपना ख्याल रखा करो , यूँ लापरवाही अच्छी नही …..! ” एक नुस्वानी आवाज़ हवाओं के थपेड़ों के साथ अल्फ़ाज़ के कानों पर पड़ती है जिसे सुन वो घबरा कर जमीन पर गिर जाती है..!

“अरे मैडम आप उधर खिड़की की तरफ क्या कर रही है..? चालिये उठिये यहां से .., डॉक्टर साहब आ रहे है आप उनसे चेक अप करवा ले..! ” पीछे से आते हुए नर्स अल्फ़ाज़ को जमीन से उठा कर बेड पर बैठाते हुए कहती है..!

” वो… वो शख़्स कौन है? जो पेड़ों के पास झाड़ियों में खड़ा इधर ही काफी देर से देख रहा है ! ” अल्फ़ाज़ नर्स को पेड़ों की तरफ दिखाते हुए कहती है !

” उधर तो कोई भी नही है मैडम, किस आदमी की बात कर रहे हो आप? ” नर्स ने पेड़ों के बीच देखते हुए कहा!

” वहाँ देखो उधर ! ” कहते हुए अल्फ़ाज़ जब खुद पेड़ों के बीच में देखती है तो अब कोई भी वहाँ मौजूद नही होता है!

” अरे मैडम आप आराम से लेटे जाइये अपने बेड पर और अच्छे से आराम करे..! लगता है अभी आप की तबियत सही नही हुई है… ! ” नर्स अल्फ़ाज़ को उसके बेड पर लेटाती हुए कहती है ! तभी डॉक्टर भी अल्फाज को चेक करने के लिये केबिन में आ जाते है!

” कैसी तबियत है अब तुम्हारी..! ” डॉक्टर अल्फ़ाज़ के नब्ज़ का मोयना करते हुए पूछता है !

” जी डॉक्टर अब बहतर है! ” अल्फ़ाज़ ने जवाब दिया!

“वैसे मिस आप का क्या नाम हुआ..? डॉक्टर ने पूछा ..!

“जी मेरा नाम अल्फाज़ है .! ” अल्फाज ने जवाब दिया !

“बहुत ही प्यारा नाम है तुम्हारा.., वैसे अल्फाज आप को मालूम है आप बेहोशी के हालत में यहाँ लायी गयी थी ! और आप के कपड़े कीचड़ में सने हुए थे और साथ साथ आप ने काफी सारा गंदा जमा हुआ पानी भी पी लिया था जिस वजह से आप के पेट में इंफेक्शन होगयी थी, और मोहतरमा आप साँस भी सही से नही ले पा रही थी..! वैसे रिपोर्ट में कही भी आप के साथ कुछ गलत नही हुआ है मगर फिर भी किसी ने आप के साथ कुछ गलत करने की कोशिश की है तो आप पुलिस में शिकायत कर सकती है , मैं आप को जरूर स्पोर्ट करूँगा ! ” डॉक्टर अल्फाज से कहते है ! क्यों के उन्हें लगता है के सायेद अलफ़ाज़ के साथ किसी ने कुछ गलत करने की कोशिश की हो !

” नही डॉक्टर ऐसी कोई बात नही है ,मैं अपने काम से निकली थी बस रास्ता भटक गयी थी और मुझे जमे हुए पानी से डर लगता है शायद इसीलिए बेहोश हो गयी होगी ! अब मैं बहतर महसूस कर रही हु तो क्या अब मैं घर जा सकती हूं..? ” अल्फ़ाज़ ने डॉक्टर से पूछा!

“हाँ बिल्कुल हॉस्पिटल की कुछ फोर्मलिटीज बाकी है आप उसे पुरा करदे और मैं दवाईया लिख देता हूँ वो आप टाइम पर लेते रहना ! ” डॉक्टर कहते हुए चला जाता है!

अल्फ़ाज़ हॉस्पिटल के सारे फोर्मलिटीज पुरे कर हॉस्पिटल से बाहर निकलती है तो उसे हॉस्पिटल के दरवाज़े पर ही राही बैठा मिल जाता है ! जो अलफ़ाज़ को देखते ही ज़ुबान निकाल दुम हिला कर उसे देख अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करता है !

“मैडम यह आप का कुत्ता है क्या..? पिछले दो दिन से यही बैठा है ना कुछ खाता है और ना ही पीता है..! काफी खूबसूरत भी है ! ” दरवाज़े पर बैठा सिक्यूरिटी गार्ड अलफ़ाज़ से पूछता है !

” जी हाँ येह मेरा कुत्ता है !” अलफ़ाज़ मुख़्तसर सा जवाब देती है !

” वाक़ई कुत्ते बड़े वफादार होते है !” सिक्योरिटी गार्ड ने कहा !

राही अलफ़ाज़ को देख अभी तक ख़ुशी से अपनी दुम हिला रहा होता है !

” हाँ बाबा अब मैं ठीक हूँ ! अब घर चलो चल कर घर का हाल देखते है दो दिन से गायब थी मैं और तुम्हे भुख भी तो लगी होगी..!” कहते हुए अल्फ़ाज़ राही के साथ पैदल ही अपने घर की तरफ चल देती है!

अलफ़ाज़ को अपनी स्कूटी घर के बाहर बहतर हालत में खड़ी मिलती है ! उसके घर का दरवाज़ा भी खुला होता है ! अलफ़ाज़ दबे पाँव अपने घर में दाखिल होती है तो उसका घर उसे बहतर हालत में मिलता है ! स्कॉटी ,शॉप और घर की चाभी और उसका कीपैड मोबाइल सामने हॉल रूम में नास्ते के छोटे से टेबल पर रखी होती है ! साथ साथ ताज़ा बना हुआ नास्ता भी ! अलफ़ाज़ फ़ौरन ही चौकन्ना होजाती है और अपने पूरे घर में तलाश करती है मगर उसे कोई भी इंसान के निशान अपने घर पर नहीं मिलते है ! वो थक हार कर नास्ते के टेबल के पास आकर चेयर खिंच कर बैठ जाती है…! राही को उसके बर्तन में खाना देकर वो खुद भी नास्ता करने लगती है जो के उसे मालूम नहीं रहता किसने बनाया हुआ था ! नास्ता करते हुए अलफ़ाज़ अपनी मोबाइल से अपनी अम्मी को कॉल लगाती है !

” अस्सलाम ओ अलैकुम अम्मी कैसे हो आप ?” अल्फ़ाज़ कहती है !

” वालेकुम अस्सलाम बेटा पिछेल दो रोज से किधर थी तुम ,एक भी कॉल नहीं किया था तुमने और ना ही तुम्हारा कॉल लग रहा था सब खैरयत तो है बेटा ?” दूसरी तरफ से अल्फ़ाज़ की अम्मी पोछती है !

” जी अम्मी मैं बिलकुल बहतर हूँ असल में दिवाली के वजह से मैं थोड़ा बिजी थी और मोबाइल में नेटवर्क नहीं था इसलिए बस कॉल नहीं कर पायी थी !” अल्फ़ाज़ कहती है ! वो अपनी अम्मी से दो दिन हॉस्पिटल में रहने की बात को छुपा लेती है क्यों के ? वो नहीं चाहती के उसकी अम्मी उसे लेकर ज्यादा परेशां हो !

“मिसबाह बेटा छे साल होगये है तुझे देखे हुए ! मेरा मनन बहुत घबराता है ! तुझे लेकर मुझे अजीब अजीब से ख्याल आते रहते है..! बेटा तू कब घर वापस आयेगी ? !” अल्फ़ाज़ की अम्मी रोते हुए कहती है !

” अम्मी आप रोये नहीं , मैं बहुत जल्द आप को अपने पास बुला लुंगी ! फ़िलहाल कुछ ही दिनों में कस्टमर से पेमेंट आजाये गे तो स्मार्ट फ़ोन लेकर आप को वीडियो कॉल करुँगी ! ” अल्फाज कहती है !

” बेटा मुझे आज तक यह समझ नहीं आया यहाँ धनबाद में इतना बड़ा घर कारोबार होते हुए तू वहां गैंगटॉक में एक मामूली सी दुकान खोल कर आखिर अकेले क्यों रह रही है ?” अम्मी कहती है !

” अम्मी वो सब मेरे पापा और भाइयों का किया हुआ है ! मैं खुद का अपना कुछ करना चाहती थी सो मैं वो कर रही हूँ ! हाँ मानती हूँ के मेरा बिज़नेस ज्यादा ग्रोथ नहीं किया मगर अम्मी मेरा गुज़ारा होरहा इससे। … , बाकी यहाँ मेरा खुद का अपना घर भी है ऊँचे पहाड़ों पर ..! जब आप यहां आकर देखोगे ना तो आप को बहुत पसंद आयेगा !” अलफ़ाज़ अम्मी को प्यार से समझाते हुए कहती है !

” तू कुछ भी कह ले बेटा मगर अब मेरा दिल नहीं मानता मुझे लगता है मेरी बच्ची कहि न कही कोई परेशानी में जरूर है ! तुझे लेकर मुझे अजीब ओ गरीब ख्वाब आते है..! बेटा बचपन से लेकर तू हमेशा मेरे पास रही कही छोड़ कर नहीं गयी मुझे लेकिन अब …. छे साल होगया तुझे देखा नहीं ! ” अम्मी फिर से रोते हुए कहती है !

” या अल्लाह अम्मी मैं बिलकुल भी परेशान नहीं हूँ मगर आप जैसा बेहवे कर रही है ना उससे मैं जरूर परेशान होजाऊंगी और मैंने कहा ना मैं जल्द आउंगी आप से मिलने बस थोड़ा सा वक़्त और देदे मुझे ! ” अलफ़ाज़ कहती है !

तभी एक अननोन नंबर कॉल वेटिंग पर शो होता है !

“अच्छा ठीक है अम्मी अब कॉल रखे मुझे कोई कॉल आरहा है !” अल्फ़ाज़ कहते हुए कॉल काट देती है !

अननोन नंबर से दोबारा कॉल आता है ! अल्फ़ाज़ फ़ौरन कॉल रिसीव करती है !

” हेल्लो ” अल्फ़ाज़ होम डेकोर ” दूसरी तरफ से एक लेडी बोलती है !

” जी हाँ बोल रही हूँ , कहिये मैं आप की किया सेवा कर सकती हूँ ? ” अलफ़ाज़ बड़े ही नरमी से कहती है !

” क्या आप के पास कैंडल होल्डर्स है ? , कुछ यूनिक से चहिये थे मुझे दो से तीन दिन में!” दूसरी तरफ से लेडी कहती है !

” जी हाँ है ! मैम आप एक बार शॉप पर आकर देख ले !” अलफ़ाज़ कहती है !

” सॉरी मैं शॉप पर नहीं आ सकती , आप ऐसा करो मेरा एड्रेस नोट करो और परसों वहाँ कुछ सैंपल ले आओ मुझे जो सही लगेगा मैं लेलूँगी !” दूसरे तरफ से लेडी कहती है और अलफ़ाज़ को अपना एड्रेस देदेती है !

“ओके ठीक है मैम मैं ले आउंगी थैंक यू फॉर कंटेक्टिंग अल्फ़ाज़ होम डेकोर शॉप ! ” अलफ़ाज़ कहते हुए कॉल कट करदेती है !

अपने रूटीन के हिसाब से अलफ़ाज़ शाम चार बजे अपना डसलर कैमरे लेकर वापस पहाड़ों की तरफ चल देती है जो के उसके घर के पास में ही होते है ! राही भी अलफ़ाज़ के पीछे पीछे चल देता है !

अल्फ़ाज़ अपनी तैय जगह में बैठ जाती है, उसके जेहन में आमिर और उस से जुड़ी यादें रस्क करने लगती है..! जिससे उसकी आंखो में से नमी तैर कर उसके चेहरे को भीगो रहे होते है..! अल्फाज अपने आस्तीन से अपने आंखों की नमी को पोंछ कर अपने कोट के पॉकेट से अपनी डायरी और कलम निकाल कर अपने जज्बातों को लिखने लगती है !

जिसका उनवान (title) होता hai

हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ ! “
तन्हा चलते एक अर्शा हुआ,
वक़्त भी हाथ से निकला फिसलता हुआ ,
आए कई दिल लगी करने वाले मगर
मेरे दिल को कोई दूसरा गवारा नही हुआ !
वक़्त की रफ़्तार के साथ तेरी यादें धुंदली पड़ गयी
मेरे ज़ेहन में किसी और का गुज़र नहीं हुआ
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ ,
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
मेरे माथे पे तेरी गरम होटों की तपिश ,
मेरी जुल्फों में तेरी शख्त सी उंगलियों की सरसराहट
थाम के हाथ तेरा चांदनी रातों में चलना
मेरे दिल के रास्तों पर तेरे क़दमों की आहट
इन खवाबों का कभी सवेरा नहीं हुआ ,
हाँ इश्क़ दोबारा नहीं हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
दिन वही रात वही दिल बहलाने के नगमात वही
मैं बदल ना पायी खुद को कभी ,है जीने के अंदाज वही ,
कलम उठा के तेरी याद में लफ्ज़ मोहब्बत लिख दिया ,
जज़्बात जितने भी थे दिल में किताबों में दबा कर रख दिया
चेहरे और भी कई थे , दिलकश महफ़िल में
पर मेरी नज़रों कोई चेहरा गवारा नहीं हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ ,
तन्हा रह कर जाना ज़िन्दगी को बहुत करीब से मैंने
दुवाओं में फिर भी उसे ही माँगा मेरे नसीब से मैंने
वो मिला मुझे दर्द में , आँसुओ में , बस मेरी ज़िन्दगी के किस्से में नहीं
यूँ तो सब को मिल गया बिन मांगे ही वो ,
बस एक मेरे ही हिस्से में नहीं !
ना इश्क़ की कमी थी ना हुशन की कमी थी
बस तेरे बगैर मेर गुज़ारा नहीं हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
अब तो सुबह होती है किसे के आगोश में
शामे भी अक्सर ढल ही जाती है
मुस्कुरा उठते है लब किसी की बातों पर ,
नज़रे भी अक्सर पिघल ही जाती है !
बहकता है फिर संभाल लेता है खुद को
दिल ये कभी आवारा नहीं हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !
हाँ इश्क़ दोबारा नही हुआ !

ग़ज़ल का हर एक लफ्ज़ अलफ़ाज़ के दिल का हाल बयाँ कर रही होती है ! ग़ज़ल के मुकम्मल होते ही अलफ़ाज़ वापस अपनी डायरी को कोट के पॉकेट में रख कर , अपने डसलर कैमरे को सेट कर डूबते सूरज की तस्वीर लेने लगती है ! वो अपनी नज़रों को कैमरा के लेंस में जमाये चारो तरफ की तस्वीर ले रही होती है तभी उसकी नज़र झाड़ियों में खड़े उसी बोलती नीली आँखों वाले शख्स पर पड़ती है ! जिसे उसने हॉस्पिटल की खिड़की से देखा था ! अलफ़ाज़ जैसे ही अपनी नज़रे कैमरा के लेंस से हटा कर झाड़ियों में देखती है वो पुर इसरार सख़्श अब वहा पर मौजूद नहीं होता है ! जैसे ही अलफ़ाज़ दोबारा कैमरे के लेंस में अपनी आँखे लगा कर देखती है वो सख़्श उसे वापस वहाँ खड़ा दिखायी देता है तो वो उसकी कुछ तस्वीर क्लिक कर लेती है !

“आखिर यह कौन है जो मेरा इस तरह से पीछा कर रहा है ?” अलफ़ाज़ खुद में कहती है !

तभी एक लड़का पिछे से आकर अल्फ़ाज़ से कहता है !

” हेलो मैम disturb करने के लिए माफ़ी चाहता हूँ ! क्या यह कुत्ता आप का है ? यह उधर झाड़ियों की तरफ घूम रहा था ! “

” जी हाँ यह मेरा राही आई मीन कुत्ता है !” अलफ़ाज़ मुख़्तसर सा जवाब देती है !

” असल में यह मुझे वो सामने वाली झाड़ी की तरफ जाते हुए दिखा मुझे लगा कही जंगलों में ना चला जाये। , तो मैं इसे पकड़ कर ले आया !” लड़का उसी तरफ इशारा करते हुए कहता है जिधर अल्फ़ाज़ ने उस पुर इसरार आदमी को देखा हुआ था , मगर वो उस लड़के से कुछ नही कहती है!

” जी शुक्रीया आप का !” अलफ़ाज़ ने मुख़्तसर सा कहा !

“वाओ DSLR कैमरा। … ! अगर आप बुरा न माने तो क्या मैं एक बार आप के कैमरे से एक फोटो क्लिक कर सकता हु आप की ?” लड़का अल्फाज के हाथ में कैमरा देखते हुए कहता है !

” हाँ आप क्लिक कर सकते हो मगर मेरी नही..!” अलफ़ाज़ कहते हुए उसे अपना डसलर दे देती है !

“भला ऐसा क्यों। मोहतरमा हाथ में कैमरा हो और इंसान अपने आस पास की खूबसूरती को कैमरा में कैद न करे भला ऐसा हो सकता है ..?” अनजान लड़का अल्फाज से कैमरे लेते हुए कहता है..!

“क्यों के मुझे फोटो क्लिक करवाना पसंद नही है ..? इसलिए आप sunset और साथ में इन खुबसूरत वादियों की फोटो क्लिक कर सकते हो !”

“आप तो नाराज हो रही ., वैसे भी कौनसा ये फोटोज मैं लेकर जा रहा हूं, रहेंगे तो आप के ही कैमरे में..!” वो लड़का कहता है फिर कुछ डूबता सूरज तो कुछ अलफ़ाज़ की राही के साथ फोटो क्लिक कर के उसे कैमरा वापस कर चल देता है !

अल्फाज़ उस लड़के के रवैए पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए खामोशी से सूरज के गरोब (डूबते) होते ही रौशनियों में नहाये अपने शहर को देखते हुए ऊँचे नीचे रास्तों से होते हुए अपने घर की तरफ चल देती है ! घर पहुँच कर सब से पहले वो खुद के लिये चाय बनाती है, फिर चाय की कप और कुछ बिस्कुट के साथ जब वो अपने लैपटॉप ऑन कर सारे पिक्चर्स को देखती है तभी उसकी नज़र अपनी फोटो पर पड़ती है जिसे उस लड़के ने क्लिक किया था छे सालों में यह अलफ़ाज़ की पहली फोटो होती है वो खुद के फोटो को ध्यान से देखने लगती है !

तभी उस फोटो में अलफ़ाज़ के ठीक बराबर एक परछाई खड़ी दिखती है जिसकी नीली आँखे फोटो में भी साफ झलक रही होती है! अलफ़ाज़ को काफी हैरत होती है ! फिर वो झाड़ियों वाली फोटो देखती जिसमें उसने उस पुर असरार शख्स की फोटो ली थी..! मगर उन फोटोस् में सिवाये झाड़ियों के कुछ भी नही होता है..! जिसे देख अलफ़ाज़ काफी हैरान होती है ! उसे समझ नही आरहा होता है, आखिर उसके साथ यह सब हो क्या रहा है..? और कौन है वो पुर इसरार शख्स जो हर वकत उसे अपनी मौजूदगी का एहसास दिला रहा होता है..!!

क्रमश : tamanna-ae-khaam-03

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